बौद्ध मठवासी धर्मबहनें बौद्ध मठवासी धर्मबहनें 

बौद्ध-ख्रीस्तीय वार्ता का प्रथम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन

अंतरधार्मिक वार्ता हेतु गठित परमधर्मपीठीय सम्मेलन ने ताईवान की महिला धर्मसमाजियों की परमाधिकारियों के संघ तथा मठीय अंतरधार्मिक वार्ता के साथ, ताईवान के फो क्वांग शान में, धर्मबहनों के लिए 14-18 अक्टूबर तक प्रथम अंतरराष्ट्रीय बौद्ध-ख्रीस्तीय वार्ता का आयोजन किया था। सम्मेलन की विषयवस्तु थी "मननशील कार्य एवं सक्रिय चिंतनःवार्ता में बौद्ध एवं ख्रीस्तीय धर्मबहनें।"

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

ताईवान, कोरिया, जपान, भारत, श्रीलंका, म्यानमार, थाईलैंड, सिंगापूर, हॉगकॉग, कम्बोडिया, फिलिपींस, ब्राजील, इटली, जर्मनी, नार्वे तथा अमरीका के प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन में कलीसियाओं की विश्व परिषद् के प्रतिनिधि ने भी हिस्सा लिया।

फो क्वांग शान मठ के शीर्ष अधिकारी अति माननीय हसिन बाओ ने सभी का स्वागत किया। उसके बाद कई अन्य प्रतिनिधियों ने सम्मेलन का अभिवादन किया तथा पीसीआईडी के सचिव एच. एक्स. मिग्वेल अंजेल अयूसो ग्वीजोत ने भाषण प्रस्तुत किया।

सम्मेलन की विषयवस्तु

सम्मेलन की विषयवस्तु बौद्ध एवं ख्रीस्तीय महिला धर्मसमाजियों का आज की परिस्थिति में मठीय जीवन, उत्पति, विकास तथा बौद्ध मनन-ध्यान तथा ख्रीस्तीय चिंतन, मानवता की सेवा, महिला धर्मसमाजी नारी प्रतिभा की रक्षा आदि थीं।  

सम्मेलन में छोटे दलों एवं दो-दो व्यक्तियों के बीच बातचीत, बौद्ध भजन एवं ख्रीस्तीय प्रार्थनाओं पर काफी समय दिया गया। कार्यक्रम में फो क्वांग शान संग ली कॉलेज, बुद्ध संग्राहालय तथा माता मरियम के निष्कालंक गर्भागमन के वानचिन महागिरजाघर का दौरा भी शामिल था। 

सम्मेलन का परिणाम

विश्वासियों को प्रोत्साहन एवं सम्मेलन के परिणाम पर प्रतिभागी निम्नलिखित बातों पर सहमत हुए।

1. हम स्वीकार करते हैं कि धर्मबहनों के लिए प्रथम अंतरराष्ट्रीय बौद्ध-ख्रीस्तीय वार्ता, समाजी महिलाओं के बीच आपसी समझदारी एवं मित्रता बढ़ाने के लिए एक सीमा रेखा थी ताकि हम हमारे विभिन्न आध्यात्मिक मार्गों के बीच सेतु का निर्माण कर सकें। 

2. हम स्वीकार करते हैं कि अपनी गहरी आस्था में दृढ़ रहते हुए, हम एक-दूसरे से सीखते हुए आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक रूप से अपने आपको को समृद्ध कर सकते हैं। इस तरह हम अपने भाई-बहनों के बीच अधिक विनम्र एवं विश्वसनीय साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं।

3. हम मानते हैं कि हमारे जीवन का साक्ष्य जो उपभोक्तावाद, भौतिकतावाद एवं व्यक्तिवाद से विरक्ति के द्वारा अर्थपूर्ण एवं आनन्दमय हो सकता है, वह दूसरों को भी भलाई के रास्ते पर आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहन प्रदान करेगा।

4. हम काम के साथ चिंतन के महत्व पर जोर देते हैं जो आवश्यकता में पड़े लोगों के प्रति कोमलता दिखलाने के लिए एक साथ कार्य करते तथा उनके जीवन में चंगाई एवं आशा लेकर आते हैं।

5. हम विश्वास करते हैं कि अंतरधार्मिक वार्ता एक यात्रा है जिसपर सभी स्त्री-पुरूषों को चलना चाहिए। अतः हम अधिक से अधिक धर्मसमाजी महिलाओं को प्रोत्साहन देते हैं कि वे अपनी नारी प्रतिभा द्वारा योगदान दें ताकि अंतरधार्मिक वार्ता को नये एवं रचनात्मक रूपों में प्रस्तुत किया जा सके तथा हमारे समुदायों में अधिक खुलापन लाया जा सके।

6. हमें उन विद्यार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों एवं अन्य लोगों के समर्थन की आवश्यकता है जो शांति एवं सौहार्द के अग्रदूत बनें तथा मानवता को सशक्त करते हुए उन्हें पर्यावरणीय चंगाई एवं अहिंसा के रास्ते पर चलने का निमंत्रण दे सकें।

7. हम स्वीकार करते हैं कि "प्रेम हमारी आम भाषा है" जो हमें निमंत्रण देता है कि हम अपने आप से बाहर निकलें तथा विविधताओं के बावजूद दूसरों का आलिंगन करें।  

8. हम एक-दूसरे से करीबी महसूस करते हैं जब हम मन और हृदय से जुड़े होकर अपने-अपने आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ते हैं। अतः हम आपसी समृद्धि के इस आम यात्रा को विश्व की बेहतरी के लिए जारी रखने की आवश्यकता महसूस करते हैं।

प्रतिभागियों का आभार   

सम्मेलन के प्रतिभागियों ने आयोजकों के प्रति अपना आभार प्रकट किया जिन्होंने एक अनुकूल वातावरण तैयार किया, अच्छी मेजबानी की एवं मित्रतापूर्ण का भाव प्रकट किया, जिसने वार्ता को फलप्रद बनाया। उन्होंने नागरिक अधिकारियों, फो क्वांग शान के बौद्ध मठ के अधिकारियों, स्थानीय काथलिक कलीसिया एवं वेनजाओ उर्सुलाईन विश्वविद्यालय के उदार सहयोग के लिए धन्यवाद दिया, जिनकी बदौलत धर्मबहनों के लिए प्रथम अंतरराष्ट्रीय बौद्ध-ख्रीस्तीय वार्ता सम्मेलन सफल हो पाया।

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24 October 2018, 17:18