वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन  (ANSA)

परोलिन : पोप के लिए, समझौता आत्मसमर्पण नहीं, सच्ची शांति हेतु एक शर्त

रेडियो टेलीविजन सुइस के साथ यूक्रेन में युद्ध पर पोप फ्राँसिस के साक्षात्कार के बाद, वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने इतालवी समाचार पत्र 'कोरिएरे डेला सेरा' के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए कहा कि परमाणु हथियार के बढ़ने का खतरा है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 12 मार्च 2024 (रेई) : हम कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन द्वारा जॉन ग्वीदो वेकी को दिए गए एक साक्षात्कार को प्रकाशित कर रहे हैं, जो मंगलवार को इतालवी समाचार पत्र कोरिएरे डेला सेरा में प्रकाशित हुआ है।

प्रश्न : महामहिम, यह स्पष्ट है कि पोप आत्मसमर्पण के बजाय बातचीत का आह्वान कर रहे हैं। लेकिन दोनों पार्टियों में से केवल एक, यूक्रेन को ही संबोधित क्यों किया जा रहा है, रूस को क्यों नहीं? और क्या कोई जोखिम नहीं है कि बातचीत के लिए प्रेरणा के रूप में आक्रामक पक्ष की "हार" का आह्वान करना प्रतिकूल है?

जैसा कि वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक ने पिछले साल 25 फरवरी को संत पापा के शब्दों का हवाला देते हुए कहा था, पोप की अपील है कि "न्यायसंगत और स्थायी शांति की खोज में राजनयिक समाधान के लिए स्थितियाँ बनाई जाएँ।"

यह स्पष्ट है कि ऐसी स्थितियों के निर्माण की ज़िम्मेदारी केवल एक पक्ष पर नहीं बल्कि दोनों पर आती है, और मुझे पहली शर्त बिल्कुल आक्रामकता को समाप्त करने की लगती है।

इसमें संदर्भ को कभी नहीं भूलना चाहिए, जो इस मामले में एक प्रश्न है जिसको पोप को संबोधित किया गया था। जवाब में, उन्होंने समझौता और विशेष रूप से बातचीत करने के साहस की बात कही थी, जो आत्मसमर्पण बिलकुल नहीं है।

वाटिकन इस पंक्ति का अनुसरण करता और युद्धविराम का आह्वान करता रहता है - और आक्रामकों को चाहिए कि वे पहले गोलीबारी बंद करें - और फिर वार्ता शुरू करें। संत पापा बताते हैं कि बातचीत करना कमजोरी नहीं बल्कि ताकत है। यह समर्पण नहीं, बल्कि साहस है।

और वे कहते हैं कि हमें मानव जीवन का अधिक ख्याल रखना चाहिए, उन लाखों मानव जीवन का जो यूरोप के मध्य में इस युद्ध में बलिदान हुए हैं। ये ऐसे शब्द हैं जो यूक्रेन के साथ-साथ पवित्र भूमि और दुनिया को प्रभावित करनेवाले अन्य संघर्षों पर भी लागू होते हैं।

प्रश्न: क्या कूटनीतिक समाधान अब भी संभव है?

चूँकि ये ऐसे निर्णय हैं जो मानवीय इच्छा पर निर्भर करते हैं, इसलिए राजनयिक समाधान तक पहुंचने की संभावना हमेशा बनी रहती है।

यूक्रेन के विरुद्ध छेड़ा गया युद्ध किसी बेकाबू प्राकृतिक आपदा का परिणाम नहीं है, बल्कि पूरी तरह से मानवीय स्वतंत्र इच्छाशक्ति का परिणाम है। उसी मानवीय स्वतंत्र इच्छाशक्ति से, जो इस त्रासदी का कारण बनी, इसे समाप्त करने के लिए कदम उठाने और राजनयिक समाधान का मार्ग प्रशस्त करने की संभावना और जिम्मेदारी भी है।

प्रश्न: क्या परमधर्मपीठ तनाव बढ़ने को लेकर चिंतित है? यह कुछ ऐसा है जिसका उल्लेख आपने स्वयं किया है, यह कहते हुए कि "पश्चिमी देशों की भागीदारी की परिकल्पना" भयावह है।

वाटिकन युद्ध के बढ़ने के खतरे को लेकर चिंतित है। संघर्ष का बढ़ना, नए सशस्त्र संघर्षों का भड़कना और हथियारों की होड़ इस संबंध में नाटकीय और परेशान करनेवाले संकेत हैं।

युद्ध के बढ़ने का मतलब होगा नई पीड़ा, नया शोक, नए पीड़ित लोग और नया विनाश, जिसके अलावा यूक्रेनी लोग, विशेष रूप से बच्चे, महिलाएँ, बुजुर्ग एवं नागरिक, अब इस अन्यायपूर्ण युद्ध का प्रत्यक्ष अनुभव कर रहे हैं और इसकी भारी कीमत चुका रहे हैं।

प्रश्न: पोप फ्रांसिस ने दोनों पक्षों की "जिम्मेदारी" को उजागर करते हुए इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के बारे में भी बात की है। इन दोनों स्थितियों में क्या समानता है?

दोनों स्थितियों में निश्चित रूप से यह तथ्य समान है कि वे खतरनाक रूप से किसी भी स्वीकार्य सीमा से आगे बढ़ गये हैं, कि उसका हल नहीं किया जा सकता, कि उसके विभिन्न देशों पर प्रभाव पड़ रहे हैं, और गंभीर बातचीत के बिना कोई समाधान नहीं पाया जा सकता है।मैं उनके द्वारा पैदा की जा रही नफरत को लेकर चिंतित हूँ।' इतने गहरे घाव कब भरेंगे?

प्रश्न: वृद्धि के विषय पर, पोप ने कई बार परमाणु संघर्ष के खतरे के बारे में बात करते हुए कहा है, "इसके लिए केवल एक घटना की आवश्यकता है।" क्या यह वाटिकन का अंतर्निहित डर है? 1914 में सारायेवो जैसी "घटना" के समान?

परमाणु युद्ध की ओर घातक 'बहाव' का जोखिम वास्तविक है। जरा देखिए कि कुछ सरकारी प्रतिनिधि नियमित रूप से इस प्रकार की धमकी का सहारा लेते हैं। मैं केवल यह आशा कर सकता हूँ कि यह वास्तव में किसी संभावित चीज़ की 'चेतावनी' के बजाय रणनीतिक प्रचार हो।

जहाँ तक वाटिकन के "अंतर्निहित डर" का सवाल है, मेरा मानना है कि यह उससे बढ़कर है कि इस दुखद स्थिति में विभिन्न राजनेता अपने स्वयं के हितों में और भी अधिक उलझे हुए हैं, और न्यायपूर्ण एवं स्थिर शांति प्राप्त करने के लिए जो वे कर सकते हैं उसे नहीं कर रहे हैं।

 

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12 March 2024, 16:04