कार्डिनल रानियेरो कान्तालामेस्सा, फाईल तसवीर कार्डिनल रानियेरो कान्तालामेस्सा, फाईल तसवीर 

संवाद की कमी के कारण कलीसिया के भीतर पड़ी दरारें, कार्डिनल

वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस की उपस्थिति में जारी परमधर्मपीठीय धर्माधिकारियों की छः दिवसीय आध्यात्मिक साधना के दौरान शुक्रवार को प्रवचनकर्त्ता कार्डिनल रानियोरो कान्तालामेस्सा ने कहा कि कलीसिया में दरारें पड़ने का मुख्य कारण सम्वाद की कमी था।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर, वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 3 मार्च 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस की उपस्थिति में जारी परमधर्मपीठीय धर्माधिकारियों की आध्यात्मिक साधना के दौरान शुक्रवार को प्रवचनकर्त्ता कार्डिनल रानियोरो कान्तालामेस्सा ने कहा कि कलीसिया में दरारें पड़ने का मुख्य कारण सम्वाद की कमी था।

ग़लतियों से शिक्षा  

उन्होंने कहा कि 19 वीं शताब्दी तथा 20 वीं शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों से हमें कटु शिक्षा मिली है, जिसे कभी भी भुलाया नहीं जाना चाहिये ताकि फिर से हम ऐसी ग़लती न करें। उन्होंने कहा कि समाज में होते परिवर्तनों तथा आधुनिकता के संकट पर ध्यान न देने के कारण कलीसिया को दुखद परिणाम भोगने पड़े।

उन्होंने कहा कि परिवर्तित समाज के साथ सम्वाद न करना सबसे बड़ी भूल थी जिसने एक ओर आधुनिक जगत के कुछेक विशेषज्ञों को अतिवाद एवं अपधर्म के प्रति आकर्षित किया तो दूसरी ओर, कलीसिया को उसकी ऊर्जा से वंचित किया। उन्होंने कहा कि सम्वाद की कमी के कारण कलीसिया अपने आप में सिमट गई तथा समय के साथ चलने की गति को उसने खो दिया।      

कार्डिनल कान्तालामेस्सा ने कहा कि द्वितीय वाटिकन महासभा एक नबूवती पहल के रूप में उभरी, जिसने कलीसिया में नवीनता की बहाली कर उसे इतिहास के अन्तराल में मानवता के साथ चलने तथा समय के संकेतों को पहचनने हेतु मार्गदर्शन दिया।  

नवीनता को नवीनीकृत करते रहें

कार्डिनल महोदय ने कहा कि द्वितीय वाटिकन महासभा जो नवीनता लेकर आई थी उन्हें अनवरत नवीन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “केवल एक बार नवीनीकृत होना पर्याप्त नहीं है; हमें उसी नवीनता को बारम्बार नवीनीकृत करने की आवश्यकता है" - इप्सा नोवितास इनोवेंदा इस्त।

सन्त ईरेनियुस के कथन की याद दिलाते हुए कार्डिनल कान्तालामेस्सा ने कहा: प्रकट सत्य "एक मूल्यवान बर्तन में निहित एक कीमती अँगूरी की तरह है। पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से, यह अनवरत कार्यरूप लेता और उसमें पुनः फ्राण फूँक देता है।"

उन्होंने कहा, वह "पात्र" जिसमें प्रकट सत्य समाहित है, कलीसिया की जीवित परंपरा है। "कीमती अँगूरी", सुसमाचार का प्रतिनिधित्व करती है। पवित्र आत्मा, स्वभाव से ही, नवीनता है। रोमियों को प्रेषित पत्र के सातवें अध्याय के छठे पद में सन्त पौल बपतिस्मा प्राप्त ख्रीस्तीयों का आह्वान करते हुए लिखते हैं, "हम पुरानी लिखित संहिता के अनुसार नहीं, बल्कि आत्मा के नवीन विधान के अनुसार ईश्वर की सेवा करें।"

कार्डिनल कान्तालामेस्सा ने कहा कि द्वितीय वाटिकन महासभा के साथ ही समाज रुक नहीं गया, बल्कि इसमें एक लंबवत त्वरण आया। उन्होंने कहा कि जिन बदलावों में एक या दो सदी लगती थी, उनमें अब एक दशक लग जाता है। निरंतर नवीनीकरण, निरंतर परिवर्तन की मांग करता है, जो व्यक्तिगत विश्वासी से लेकर सम्पूर्ण कलीसिया तक अपने मानवीय और ऐतिहासिक घटक में विस्तारित है।

उन्होंने कहा कि वास्तविक समस्या नवीनता में नहीं है; बल्कि यह उस तरीके में है जिससे हम नवीनता से निपटते हैं। प्रत्येक नवीनता और प्रत्येक परिवर्तन एक चौराहा है; यह दो विपरीत मार्ग अपना सकता है: या तो संसार का या ईश्वर का: या तो मृत्यु का मार्ग या जीवन का मार्ग।

पवित्र आत्मा प्रेरणा का स्रोत

पवित्र आत्मा की प्रेरणा हेतु सतत् प्रार्थना का आग्रह करते हुए कार्डिनल कान्तालामनेस्सा ने कहा कि हमारे पास हर बार जीवन का मार्ग और प्रकाश लेने का एक अचूक साधन है: वह है पवित्र आत्मा। यह वह निश्चितता है जिसे येसु ख्रीस्त ने प्रेरितों को दी थी। सन्त योहन रचित सुसमचार के 14 वें अध्याय के 16 वें पद के अनुसार, येसु कहते हैं: "मैं पिता से प्रार्थना करूंगा, और वह तुम्हें एक दूसरा सहायक प्रदान करेगा, जो सदा तुम्हारे साथ रहेगा और तुम्हें आशीष देगा।" और फिर: "जब सत्य का आत्मा आयेगा तो वह तुम्हें पूर्ण सत्य तक ले जायेगा"

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03 March 2023, 11:01