'जीवन की ईशशास्त्रीय नैतिकता' लक्ष्यों पर महाधर्माध्यक्ष पालिया
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर- वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 1 जुलाई 2022 (रेई, वाटिकन न्यूज़): 'जीवन की ईशशास्त्रीय नैतिकता' शीर्षक से पहली जुलाई को प्रकाशित हो रहे दस्तावेज़ के लक्ष्यों को समझाते हुए जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष विन्चेन्सो पालिया ने वाटिकन मीडिया से कहा कि यह दस्तावेज़ धर्मशास्त्रीय परम्पराओं एवं व्यवाहरिक चुनौतियों पर प्रकाश डालता है।
वाटिकन प्रकाशन केन्द्र द्वारा 'जीवन की ईशशास्त्रीय नैतिकता' शीर्षक से उक्त दस्तावेज़ का प्रकाशन किया जा रहा है जिसमें जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी के तत्वाधान में सम्पादित अध्ययन शिविरों के सुझाव सम्मिलित हैं।
ईशशास्त्र के नवीन क्षितिज
उक्त दस्तावेज़ के संपादक महाधर्माध्यक्ष विन्चोन्सो पालिया ने वाटिकन मीडिया से बातचीत में कहा कि इस दस्तावेज़ का लक्ष्य लोगों में ईशशास्त्र पर व्याप्त भ्राँतिपूर्ण विचारों का खण्डन करना है। विशेष रूप से, उन्होंने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस के ईशशास्त्र सम्बन्धी विचारों को लोगों में स्पष्ट करना इसका लक्ष्य है। इस सन्दर्भ में, उन्होंने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस के विश्व पत्र, एवान्जेली गाओदियो, लाओदातो सी, आमोरिस लेतित्सिया और वेरितातिस गाओदियुम मानवजाति के समक्ष ईशशास्त्र के नवीन क्षितिजों को खोल देते हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि इन विश्व पत्रों में धर्मतत्व विज्ञान की ही बात नहीं की गई है अपितु लोगों के बीच वार्ताओं एवं विचारों के आदान प्रदान द्वारा समृद्धि प्राप्त करने का भी आग्रह किया गया है।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि उक्त दस्तावेज़ मानव जीवन पर केन्द्रित है, विशेषतः, मानव जीवन की ईशशास्त्रीय नैतिकता पर इसलिये कि जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी मानव केन्द्रित विषयों के प्रति शुरु से ही जागरूक रही है तथा स्वास्थ्य देखभाल आदि मुद्दे उसके लिये विशेष रुचि के रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें निरंतर वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचार पर सामयिक चिन्तन की ज़रूरत रहा करती है।
महाधर्माध्यक्ष पालिया ने स्मरण दिलाया कि 25 वर्षों पूर्व सन्त जॉन पौल द्वितीय के विश्व पत्र एवान्जेलियुम वीते से जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी ने मानव केन्द्रित यह यात्रा शुरु की थी। अस्तु, उन्होंने कहा कि 25 वर्षों बाद यह अति अनिवार्य था कि विश्व विदों एवं ईशशास्त्रियों को 2021 में रोम में एक अध्ययन शिविर में बुलाया जाये। उन्होंने कहा कि उक्त दस्तावेज़ में इसी शिविर में रखे गये प्रस्तावों को सम्पादित किया गया है।
"अपनी तरह का अनूठा" दस्तावेज़
दस्तावेज़ के प्राक्कथन के बारे में महाधर्माध्यक्ष पालिया ने कहा कि इसमें उन्होंने इस दस्तावेज़ को "अपनी तरह का अनूठा" दस्तावेज़ इसलिये निरूपित किया है क्योंकि, "हमारा लक्ष्य काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा पुस्तकों को समझाना मात्र नहीं है, अपितु इस दस्तावेज़ के माध्यम से लोगों के बीच विचारों के आदान प्रदान एवं सम्वाद को प्रश्रय देना है।"
महाधर्माध्यक्ष पालिया ने कहा कि ईश्वर की सृष्टि एवं मानव जीवन की सुरक्षा के लिये यह अति आवश्यक है कि सच्चाई के साथ परस्पर बातचीत सम्भव बने तथा हर पग पर पवित्रआत्मा की वाणी को सुना जाये जो अनवरत हमें प्रभु येसु मसीह के सुसमाचार को सुनने, उसे समझने और अपने जीवन में उसे प्रभावशाली बनाने हेतु प्रेरणा देते रहते हैं।
उन्होंने कहा कि उक्त दस्तावेज़ का आधार धर्म सैद्धान्तिक दृष्टकोण से मानव विज्ञान को समझना है, जो समकालीन संस्कृति के साथ घनिष्ठ संवाद में कलीसियाई विश्वास से प्रेरित है।
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