दादा-दादी एवं बुजूर्गों के लिए प्रथम विश्व दिवस के अवसर पर लोकधर्मी परिवार एवं जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल केविन फर्रेल्ल दादा-दादी एवं बुजूर्गों के लिए प्रथम विश्व दिवस के अवसर पर लोकधर्मी परिवार एवं जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल केविन फर्रेल्ल 

कार्डिनल फर्रेल्ल ˸ दादा-दादी व बुजर्गों के लिए विश्व दिवस "एक उत्सव"

दादा-दादी एवं बुजूर्गों के लिए प्रथम विश्व दिवस के अवसर पर लोकधर्मी परिवार एवं जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल केविन फर्रेल ने कहा कि यह "एक उत्सव" है। "हमें सचमुच इसकी आवश्यकता थी ˸ इस कठिन साल को पार करने के बाद हमें निश्चय ही दादा-दादी एवं पोता पोती तथा युवा और बुजूर्गों को खुशी मनाना है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 22 जून 2021 (रेई)- कार्डिनल फर्रेल ने कहा, "दृष्टांत में पिता कहते हैं, 'हमें आनन्द मनाना और उल्लासित होना उचित था'"। उन्होंने कहा कि मुश्किल भरे महीनों के बाद एक नया पृष्ट खुला है। बुजूर्गों के प्रति कोमलता की जरूरत है क्योंकि जैसा कि संत पापा कहते हैं, वायरस उनके प्रति अधिक कठोर रहा है। यही कारण है कि पोप उम्मीद करते हैं कि एक दूत उनके पास आकर उनकी एकाकी में उन्हें सांत्वना देंगे और वे कल्पना करते हैं कि यह दूत उस युवा के समान होगा जो बुजूर्गों से मुलाकात करता है।

दादा-दादी की कोमलता  

दूसरी ओर, यह दिवस उस कोमलता की भी याद दिलाता है जिसको दादा-दादी अपने पोते पोतों के लिए प्रकट करते हैं। कार्डिनल ने कहा, "कोमलता न केवल व्यक्तिगत अनुभव है जो घावों को आराम देती बल्कि दूसरों के साथ व्यवहार करने का तरीका है जिसको लोगों के बीच भी महसूस किया जा सकता है।"

उन्होंने खेद प्रकट किया कि हम अकेले जीने के आदी हो गये हैं, एक-दूसरे का आलिंगन नहीं करते। एक-दूसरे को अपने स्वस्थ के लिए खतरा के रूप में देखते हैं। अपने प्रेरितिक पत्र फ्रातेल्ली तूत्ती में संत पापा फ्रांसिस कहते हैं कि हमारा समाज अब टुकड़ा टुकड़ा हो चुका है।      

जबकि कोमलता जीवन का एक रास्ता है जो हृदय से उत्पन्न होता है, सहानुभूति की नजर तथा विचारों एवं सच्ची उदारता में परिणत होने से बढ़ता है।

दादा-दादी के लिए समर्पित विश्व दिवस की विषयवस्तु है, "मैं सदा तुम्हारे साथ हूँ।" कार्डिनल ने कहा कि यह एक वादा है जो हम सभी के लिए प्रभु की ओर से मिला है और हम प्रत्येक जन अपने भाई-बहनों के लिए इसे दुहराने हेतु बुलाये गये हैं।

संदेश में दादा-दादी एवं बुजूर्गों के लिए प्रेम एवं मांग

कार्डिनल ने बतलाया कि आज के संदेश में दादा-दादी एवं बुजूर्गों के लिए प्रेम एवं मांग दोनो है। संत पापा उन्हें स्नेह से सम्बोधित करते हैं किन्तु उनकी बुलाहट को नवीकृत करने का भी आह्वान करते हैं। इस बुलाहट की तीन विशेषताएँ हैं- स्वप्न, स्मृति एवं प्रार्थना।  

कार्डिनल ने कहा कि दादा-दादी एवं बुजूर्गों के लिए कलीसिया में एक सम्मानपूर्ण स्थान है और यह दिवस इसे सुदृढ़ करना चाहता है। प्रेरितिक देखभाल में हमारे सभी समुदायों का आह्वान किया जाता है कि बुजूर्गों को हमारे समाज सेवा के ग्राहक के रूप में न देखा जाए बल्कि हमारे कार्यक्रमों के मुख्य पात्र के रूप में, उन्हें केंद्र में रखा जाए। दरकिनार करने की संस्कृति के विपरीत यह न केवल उदारता का कार्य है बल्कि प्रेरितिक ध्यान द्वारा जागृति लाना है कि परिवार, कलीसिया एवं समाज में उनका क्या महत्व है।

बुजूर्गों की प्रज्ञा

कार्डिनल ने पोप फ्रांसिस के शब्दों की याद करते हुए बुजूर्गों की प्रज्ञा पर प्रकाश डाला जिसको वे जीवन के लम्बे अनुभव के कारण प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा, "संकट से बदतर नहीं, बल्कि बेहतर बाहर निकलने के लिए बुजुर्ग एक महान संसाधन हैं।" अपने संदेश में संत पापा सभी बुजूर्गों से कहते हैं कि वे भी इस संकट से नवीकृत अनुभव के साथ बाहर निकलें। आज हम जिन बाधाओं का सामना कर रहे हैं और जो दुर्गम लगती हैं दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में देखे जाने पर सही अनुपात की मांग करता है इस अर्थ में कि बुजुर्गों का अनुभव युवाओं की मदद कर सकता है: उनकी मदद करें, अपने स्वयं के जीवन को अधिक अलग और यथार्थवादी तरीके से समझने के लिए, अच्छे चुनाव करने हेतु सावधानी जरूरी है। कितनी बार दादा-दादी बच्चों को यह समझने में मदद करते हैं कि निराशापूर्ण परिस्थिति एक नया रास्ता है जिसको प्रभु दिखा रहे हैं।  

उसी तरह कलीसिया भी ख्रीस्तियों के अनुभवों एवं उनके विश्वास से आगे बढ़ी है जो में यह समझने के लिए प्रेरित करे कि हम जिन संकटों का अनुभव कर रहे हैं, वे पूरे इतिहास में लोगों की यात्रा के साथ केवल एक कदम है।

कार्डिलन फार्रेल ने आशा व्यक्त की कि दादा-दादी एवं बुजूर्गों के लिए विश्व दिवस हमें बुजूर्गों के लिए प्रेम में बढ़ने हेतु मदद करेगा तथा हम उन्हें कोमलता के शिक्षक, राहों पर मार्गदर्शक एवं प्रज्ञा के औषधि निर्माता के रूप में देख सकेंगे। इस तरह पूरी कलीसिया दादा-दादी एवं बुजूर्गों से कहेगा, "हम सदा आपके साथ हैं।"  

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22 June 2021, 15:56