वाटिकन में आध्यात्मिक साधना वाटिकन में आध्यात्मिक साधना  

विनम्रता देहधारण को समझने की कुँजी, वाटिकन उपदेशक

वाटिकन में इन दिनों जारी आगमनकालीन आध्यात्मिक साधना का नेतृत्व कर रहे फादर रानियेरो कान्तालामेस्सा ने शुक्रवार को सन्त पापा फ्राँसिस एवं परमधर्मपीठ के धर्माधिकारियों को दिये उपदेश में कहा कि "विनम्रता येसु के देहधारण को समझने की कुँजी है।"

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 18 दिसम्बर 2020 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में इन दिनों जारी आगमनकालीन आध्यात्मिक साधना का नेतृत्व कर रहे फादर रानियेरो कान्तालामेस्सा ने शुक्रवार को सन्त पापा फ्राँसिस एवं परमधर्मपीठ के धर्माधिकारियों को दिये उपदेश में कहा कि "विनम्रता येसु के देहधारण को समझने की कुँजी है।"

विनम्रता की ज़रूरत

उन्होंने कहा कि विनम्रतापूर्वक ईश्वर के कार्यों में दृढ़ विश्वास कर ही हम मानव बने ईश्वर का मर्म समझ सकते हैं। आगमनकाल के तीसरे रविवार के सुसमाचार पाठ को उद्धृत कर उन्होंने कहा कि योहन बपतिस्ता का दुखद विलाप यही था कि "आप में से एक है जिसे आप नहीं पहचानते हैं।"  

फादर कान्तालामेस्सा ने कहा, "क्रिसमस महापर्व हमारे क्षितिज को विस्तृत करने का मौका देता है। गलीलिया के सागर से लेकर प्रेरितों और पृथ्वी के अन्तिम छोर तक सन्त योहन के सुसमाचार के यही शब्द गुँजायमान होते हैं: "शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया", किन्तु इस उदघोषणा को ग्रहण करने तथा इसे आत्मसात करने के लिये विनम्रता की नितान्त आवश्कता है। जब तक हम विनम्र नहीं बनेंगे तब तक हम मानव बने ईश पुत्र की महिमा देखने में असमर्थ ही रहेंगे।"  

सन्त अगस्टीन का अनुभव  

सन्त अगस्टीन की उदाहरण देते हुए फादर कान्तालामेस्सा ने कहा, "येसु मसीह में विश्वास की पहली महान लड़ाई, उनकी दिव्यता के बारे में नहीं थी, अपितु उनकी मानव प्रकृति और देहधारण की सच्चाई के बारे में थी, और उससे इनकार की जड़ में प्लेटो की हठधर्मिता थी, जो कहा करते थे कि ईश्वर कभी मनुष्य के साथ नहीं मिलते। तथापि, उन्होंने कहा कि सन्त अगस्टीन ने अपने व्यक्तिगत अनुभव से यह खोज निकाला था कि देहधारण को स्वीकार नहीं करने का मूल कारण था विनम्रता की कमी। जैसा कि वह अपने कन्फेशन में लिखते हैं, "ख़ुद विनम्र होने में विफल रहने के कारण मैं ईश्वर की विनम्रता को नहीं समझ सका।" उन्होंने कहा, "सन्त अगस्टीन का अनुभव आधुनिक विश्व की नास्तिकता को समझने में हमारी मदद कर सकता है। उनका अनुभव हमें दर्शाता है कि ईश्वर एवं उनके कार्यों में विश्वास नहीं करनेवाले, क्यों? सुसमाचार के सत्य एवं येसु ख्रीस्त के ईश्वरत्व को समझने में विफल रहे।"

बच्चों के सदृश सरल

फादर कान्तालामेस्सा ने कहा कि सन्त अगस्टीन का अनुभव हमें दर्शाता है कि केवल अपने अहंकार एवं घमण्ड का परित्याग कर ही हम ईश्वर की विनम्रता को बुद्धिगम्य कर पायेंगे क्योंकि, जैसा कि सन्त मत्ती रचित सुसमाचर में प्रभु येसु कहते हैं, "पिता स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने इन सब बातों को ज्ञानियों एवं समझदारों से छिपा कर निरे बच्चों को पर प्रकट किया।" फादर कान्तालामेस्सा के अनुसार, "अविश्वास का सम्पूर्ण इतिहास येसु के इन्हीं शब्दों से समझा जा सकता है। ईश्वर की प्रज्ञा को समझने के लिये हमें बच्चों के सदृश सरल और विनम्र बनने की आवश्यकता है।"

प्रवचनकर्त्ता कान्तालामेस्सा ने कहा कि दिखावा बहुत सरल है किन्तु अपने आप को मिटा देना बहुत कठिन कार्य है, जिसे प्रभु येसु ने अपने देहधारण से कर दिखाया। मानवजाति के प्रति अपने प्रेम के कारण उन्होंने स्वतः को मिटा दिया, जैसा कि फिलिप्पियों को लिखे पत्र में सन्त पौल बताते हैं: "उन्होंने दास का रूप धारण कर और क्रूस पर मरण तक आज्ञाकारी बनकर अपने आप को खाली कर दिया।"  

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18 December 2020, 11:22