कार्डिनल पिएत्रो परोलिन कार्डिनल पिएत्रो परोलिन 

कार्डिनल परोलिन˸ यूएन को अब भी लोगों की आशाओं का जवाब देना है

संयुक्त राष्ट्र की 75 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 21 सितंबर को एक आभासी (वर्चुवल) उच्च-स्तरीय बैठक में, वाटिकन के राज्य सचिव, कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने संयुक्त राष्ट्र के लिए परमधर्मपीठ का समर्थन दोहराया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 23 सितम्बर 2020 (वीएन)- परमधर्मपीठ ने संयुक्त राष्ट्र के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है तथा इससे "दुनिया के लोगों की कम हो रही उम्मीदों" का प्रत्युत्तर देने के लिए आग्रह किया है। वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सोमवार को एक आभासी उच्च स्तरीय बैठक के दौरान एक वक्तव्य पेश किया।

संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी जब संयुक्त राष्ट्र के घोषणा पत्र को सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों सहित, इसकी अधिकांश हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा पुष्टि की गई। संयुक्त राष्ट्र दिवस हर साल 24 अक्टूबर को मनाया जाता है।

1964 से ही परमधर्मपीठ को संयुक्त राष्ट्र में एक स्थायी पर्यवेक्षक राज्य का दर्जा प्राप्त है और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक स्थायी पर्यवेक्षक मिशन है।

सोमवार को आयोजित इस सभा की विषयवस्तु थी, "हम जैसा भविष्य चाहते हैं, वैसे संयुक्त राष्ट्र की जरूरत है।"

आशा और शांति के स्रोत

संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कार्डिनल परोलिन ने गौर किया कि विगत 75 सालों से दुनिया के लोगों ने विश्व शांति तथा राष्ट्रों के बीच सौहार्द के लिए संयुक्त राष्ट्र को आशा के स्रोत के रूप में देखा है। उन्होंने इसे संघर्ष और तनाव की समाप्ति, मानव व्यक्ति की गरिमा के लिए अधिक सम्मान, पीड़ा और गरीबी का निवारण एवं न्याय के विकास के रूप में देखा ।

वाटिकन राज्य सचिव ने कहा कि परमधर्मपीठ ने संयुक्त राष्ट्र का समर्थन किया है तथा सक्रिय भूमिका निभायी है। संत पापा फ्राँसिस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित किया था एवं अपील की थी कि इस नेकी संस्था को एक नैतिक घर होना चाहिए जहां हर देश अपना घर महसूस कर सके। "यह वह जगह है जहां राष्ट्रों का परिवार सम्मेलन करता है और जहां अंतर्राष्ट्रीय समुदाय - मानव भाईचारे और एकजुटता की भावना में - वैश्विक चुनौतियों के लिए बहुपक्षीय समाधानों के साथ मिलकर आगे बढ़ता है।"

कार्डिनल ने कहा कि कोविड-19 ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हम केवल अपने लिए चिंता नहीं कर सकते अथवा विभाजन को बढ़ावा नहीं दे सकते। हमें "दुनिया की सबसे बुरी विपत्ति को दूर करने के लिए एक साथ काम करने की आवश्यकता है, यह ध्यान रखना है कि कुछ लोगों के बोझ से, मानवता और राष्ट्र का पूरा परिवार प्रभावित होता है"।

75 वर्षों के समझौते

संयुक्त राष्ट्र के 75 सालों तक साथ देने पर प्रकाश डालते हुए कार्डिनल ने कहा कि इसने अंतरराष्ट्रीय कानून की रक्षा एवं सेवा की है। हथियारों और शक्ति पर कानून एवं न्याय के शासन के आधार पर दुनिया को बढ़ावा दिया है। इसने भूखों को खिलाया है, बेघरों के लिए घरों का निर्माण किया है, हमारे सामान्य घर की सुरक्षा के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया है, और एकीकृत मानव विकास की दुनिया को आगे बढ़ाया है।

कार्डिनल ने कहा कि "संयुक्त राष्ट्र ने सार्वभौमिक मानव अधिकारों के लिए चैंपियन बनने का प्रयास किया है, जिसमें जीवन और धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल है, क्योंकि वे एक ऐसी दुनिया के लिए आवश्यक हैं जहाँ हर मानव व्यक्ति की गरिमा संरक्षित और उन्नत हो सके।" इसके युद्ध एवं तनाव को समाप्त करने, हिंसा और संघर्ष के द्वारा नष्ट किये हुए को ठीक करने और विपक्ष को टेबल पर लाने का प्रयास किया है ताकि एक साथ कूटनीति एवं बातचीत द्वारा समस्या का समाधान किया जा सके।  

असफलताएँ

कार्डिनल पारोलिन ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र हमेशा अपने नाम और आदर्शों पर खरा नहीं उतरा है, और जब भी आम हित पर विशेष हित हावी हुई है इसने खुद को नुकसान पहुँचाया है। इसलिए, बदलती दुनिया के संदर्भ में, घोषणापत्र के सिद्धांतों और उद्देश्यों के अनुरूप, इसकी मूल भावना को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि अपने देशों का प्रतिनिधित्व करनेवाले राजनयिकों को वास्तविक आम सहमति और समझौता के माध्यम से सभी लोगों को विश्वास में लेने की जरूरत है।

कार्डिनल परोलिन ने इस बात पर भी जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र जहाँ दुनियाभर के लोग वार्ता एवं सार्वजनिक कार्य में एक साथ आते हैं,  आज दुनिया के लोगों की कम हो रही आशाओं का जवाब देने के लिए भी इसकी उतनी ही आवश्यकता है।”

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23 September 2020, 14:50