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मानव और ग्रह के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक तत्व है जल, वाटिकन

वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष इवन यूरकोविक ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार समिति के 45वें सत्र को सम्बोधित किया और कहा कि "जल जीवन का सबसे आवश्यक तत्व है और मानव का भविष्य इसकी रक्षा करने और इसे साझा करने की हमारी क्षमता पर निर्भर करेगा।"

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 17 सितम्बर 2020 (रेई)- संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार समिति के 45वें सत्र में, वाटिकन के स्थायी पर्यावेक्षक  महाधर्माध्यक्ष इवन यूरकोविक ने परमधर्मपीठ की ओर से, "सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल एवं सफाई के अधिकार" पर बुधवार को अपना वक्तव्य पेश किया।

जल ˸ जीवन के लिए आवश्यक तत्व

संत पापा फ्राँसिस का हवाला देते हुए महाधर्माध्यक्ष ने याद दिलाया कि "जल जीवन के लिए सबसे आवश्यक तत्व है और मानव का भविष्य इसकी रक्षा करने और इसे साझा करने की हमारी क्षमता पर निर्भर करेगा।" उन्होंने इस बात पर भी गौर फरमाया कि जल की प्राप्ति एवं सफाई न केवल मौलिक मानवीय आवश्यकता है बल्कि पृथ्वी और इसमें जीवनयापन करनेवाले सभी जीवों के लिए भी महत्वपूर्ण तत्व है।

महाधर्माध्यक्ष यूरकोविक ने स्वीकार किया कि 17 दिसम्बर 2015 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने परमधर्मपीठ के समान दृष्टिकोण व्यक्त किया था। हालांकि, परमधर्मपीठ ने लगातार जोर दिया है कि इस मौलिक अधिकार को विश्व स्तर पर जोर देने के लिए और बहुत कुछ करने की जरूरत है।  

जल का अधिकार मानव प्रतिष्ठा से जुड़ा है

महाधर्माध्यक्ष ने कई "विशेष प्रकार के संसाधनों के उल्लेख की पुष्टि की, जो आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय वाचा में निहित अधिकारों को प्राप्त करने में योगदान करते हैं।" किन्तु उन्होंने कहा कि मानव अधिकार, जल के अधिकार सहित, मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर आधारित है और किसी भी तरह के सिर्फ मात्रात्मक मूल्यांकन में नहीं है, जो पानी को केवल आर्थिक तत्व मानता है।"

वाटिकन पर्यावेक्षक ने गौर किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक नये तरह की एकात्मता की आवश्यकता को समझना चाहिए जो प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित है। जल संसाधन को व्यवस्थित करना सामाजिक जिम्मेदारी है, जो एक पारिस्थितिक व्यवहार की मानसिकता और राष्ट्रों के बीच वैश्विक एकात्मकता से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संसाधनों को मजबूत करने एवं भविष्य के लिए सुरक्षित रखने का यही एकमात्र रास्ता है।   

संत पापा के शब्दों का हवाला हेते हुए वाटिकन स्थायी पर्यवेक्षक ने अपने वक्तव्य के अंत में कहा कि "यह आत्मकेंद्रीकरण का समय नहीं है क्योंकि जो समस्या हम झेल रहे हैं वह सभी का है, व्यक्ति के बीच भेदभाव किये बिना (...) आइये, हम एकात्मता का साक्ष्य देने के अवसर को और न गवाँये, नवीन समाधानों की ओर रुख करते हुए भी।" (उर्बी एत ओरबी 27 मार्च 2020)  

 

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17 September 2020, 16:09