संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  संपादकीय

संत पापा एवं परमधर्मपीठ के क्रिया-कलापों पर एक नजर

वाटिकन न्यूज के वरिष्ठ पत्रकार सेरजो चेंतोफनी ने एक लेख में, नये साल में संत मर्था में ख्रीस्तयाग प्रवचन, देवदूत प्रार्थना एवं प्रभु प्रकाश महापर्व पर संत पापा फ्राँसिस के संदेशों पर प्रकाश डाला है।

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 7 जनवरी 2020 (रेई)˸ वाटिकन न्यूज के वरिष्ठ पत्रकार सेरजो चेंतोफनी ने अपने लेख में कहा है कि आज पूर्वी काथलिक कलीसिया और ऑर्थोडॉक्स कलीसिया जो जुलियन कैलेंडर को मानते हैं, ख्रीस्त जयन्ती का त्योहार मना रहे हैं। संत पापा ने उन्हें अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ दी हैं। ख्रीस्तीय एकता ईश्वर का वरदान है किन्तु हमारा कर्तव्य है कि अन्य सभी वरदानों की तरह हम उसे स्वीकार करें, चाहे, हमारे हृदय में विभाजन के कारण कितनी ही कड़वाहट क्यों न हो।  

हमारा हृदय कठोर हो जाता है किन्तु उससे भी बड़ा खतरा है कि हम उसे महसूस नहीं करते। संत पापा ने यह बात वाटिकन के प्रेरितिक आवास संत मर्था में, नये साल के प्रथम ख्रीस्तयाग में कही। 

हम ख्रीस्तियों के लिए खतरा यह है कि हम विश्वास को ईश्वर की भावना के साथ नहीं किन्तु दुनियावी भावना के साथ अचेतना में जीते हैं। नाममात्र के लिए ख्रीस्तीय बनते और गैरख्रीस्तीय का जीवन जीते हैं। भ्रष्टाचार में फंस जाते हैं जो पाप से भी अधिक बुरा है। पाप हमें ईश्वर से दूर नहीं करता, यदि हम अपनी गलती महसूस करते एवं उसके लिए क्षमा मांगते हैं किन्तु दुनियावी भावना में हम पाप को ही भूल जाते हैं और हमें लगता है कि सब कुछ किया जा सकता है।

पवित्र आत्मा हमें ईश्वर की ओर ले चलता है और यदि हम पाप में गिरते हैं तो वह उठने में हमारी सहायता करता है जबकि दुनियादारी की भावना भ्रष्टाचार की ओर खींचती और उस गर्त में गिरा देती है जहाँ से हम अच्छाई और बुराई का फर्क ही नहीं कर पाते। यही कारण है कि संत पापा हमें निमंत्रण देते हैं कि हम दिन में अंतःकरण की जाँच के लिए समय निकालें। इसके द्वारा हम समझ पायेंगे कि हमारा हृदय किससे संचालित है और हम पवित्र आत्मा से कृपा की याचना करेंगे कि वे इस भावना को हमसे दूर कर दें।

संत पापा ने प्रार्थना करने का प्रोत्साहन देते हुए कहा है, "हमें ईश्वर को समय देने जानना चाहिए। हमारा दिनचर्या बहुधा व्यस्त होता है किन्तु हमें आराधना (प्रार्थना) के लिए समय निकालना चाहिए।"

प्रभु प्रकाश के पर्व के उपलक्ष्य में अर्पित ख्रीस्तयाग में संत पापा ने याद दिलाया कि हम दो व्यक्तियों का चुनाव कर सकते हैं; हेरोद का अथवा ज्योतिषियों का। हेरोद के समान मानव प्राणी जब ईश्वर को दण्डवत नहीं करता, तब वह अपने आपको ही दण्डवत करता है। ऐसा ख्रीस्तीय जीवन में भी हो सकता है व्यक्ति ईश्वर की सेवा करने की अपेक्षा उनका प्रयोग करने लगता है। ज्योतिषी अपना देश छोड़कर ईश्वर से मिलने और उन्हें दण्डवत करने बाहर निकले।

संत पापा ने कहा कि विश्वास को सुन्दर दस्तावेज तक सीमित नहीं रखा जा सकता किन्तु यह प्रेम करने के लिए एक जीवित संबंध है। ईश्वर की आराधना करने के द्वारा हम प्रेम के रहस्या के सामने दूसरों के भाई-बहन बनते हैं जो हर प्रकार की दूरी को पार कर उनके पास पहुँचता है। ख्रीस्तीय विश्वास दूरी नहीं बढ़ाता, यह इसे कम करता है और समाप्त भी कर देता है जैसा कि ईश्वर ने किया जब वे स्वर्ग से धरती पर उतरे और हमारे बीच आये।

पर क्या हम उनके करीब रहने का समय निकाल पाते हैं? हम बहुधा बिना दण्डवत किये प्रार्थना करते हैं, ईश्वर से दूर रहकर, अपने आपको केंद्र में रखते हैं। प्रार्थना का समय ही हमें ईश्वर के करीब लाता है क्योंकि यह ईश्वर को हमारे हृदय में लाता है।  

जो कोई भी येसु के सम्पर्क में आता है वह जरूर बदलता है। येसु के साथ मुलाकात उसमें बदलाव लाता है। प्रभु प्रकाश पर्व के अवसर पर देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये गये संदेश में संत पापा ने इसी बात की याद दिलायी। उन्होंने कहा, "हम पहले के समान नहीं रह जाते, येसु के साथ मुलाकात का हर अनुभव हममें बदलाव लाता है क्योंकि उनसे एक अच्छी शक्ति निकलती है वह हमारे हृदय को चंगा करती और बुराई से मुक्त कर देती है। "बुरा" शब्द हमें याद दिलाता है कि इसके पीछे कौन है: "शैतान का कैदी"। विश्वास के खिलाफ लड़ाई उसके बहकावे में जाने नहीं देता।

संत पापा ने पुनः एक बार मूर्तिपूजा की याद की, वस्तुएँ जो हमारे हृदय को गुलाम बना देती हैं, वे हैं धन, ईश आराम, सफलता, आत्मकेंद्रण आदि। यदि हम सच्चाई से बाहर झाँककर देखते हैं तो हम पायेंगे कि उस मूर्तिपूजा से मुक्त होना कितना कठिन है जो हमारी आत्मा को गुलाम बना देता है।

सच्ची स्वतंत्रता प्रेम है। 5 अक्टूबर के देवदूत प्रार्थना में संत पापा ने कहा था कि हमारे लिए ईश्वर की एक योजना है कि वे हम सभी को येसु में अपने पुत्र-पुत्रियाँ बनायें। यह अनन्त आनन्द की योजना है। यह कोई परी की कहानी नहीं है। यह जीवन की सार्थकता की सच्चाई है। ख्रीस्त का सुसमाचार कोई मिथक या कथा नहीं है। सुसमाचार मनुष्यों के लिए ईश्वर की योजनाओं का प्रकटीकरण है। "यह एक" सरल और "भव्य" संदेश है कि हम अपनी कमजोरियों के बावजूद सुसमाचार का प्रचार करने के लिए बुलाये गये हैं। अतः हम ईश्वर के तरीके को अपनायें, करुणा का भाव रखें न कि दोष और दण्ड दें।      

अंततः संत पापा भयंकर अंतरराष्ट्रीय तनाव के बीच शांति की आपील करते हैं। उनका कहना है कि युद्ध केवल मृत्यु और विनाश लाता है। ईश्वर और मानव के सामने, पृथ्वी के शक्तिशालियों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।  उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

07 January 2020, 17:35