नाबालिकों की सुरक्षा के संबंध में जर्मन कार्डिनल रेनहार्ड मार्क्स वक्तव्य देते नाबालिकों की सुरक्षा के संबंध में जर्मन कार्डिनल रेनहार्ड मार्क्स वक्तव्य देते 

नाबालिकों की सुरक्षाः कलीसिया की विश्वासनीयता

नाबालिकों की सुरक्षा के संबंध में जर्मन कार्डिनल रेनहार्ड मार्क्स ने कहा कि यौन शोषण की घटनाओं की खोज पड़ताल और पारदर्शिता कलीसिया को विश्वासनीय बनती है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

नाबालिकों की सुरक्षा के संबंध में कलीसियाई अधिकारियों द्वारा जाँच पड़ताल और पारदर्शिता “कलीसिया के लिए निर्णयक कारक है जो इसकी विश्वासनीयता और भरोसे को कामय रखती है।” यह पारदर्शिता की कमी है जो यौन शोषण के कारण कलीसिया के स्वरुप को विकृत करती है।” उक्त बातें जर्मन कार्डिनल रेनहार्ड मार्क्स ने “नाबालिकों की सुरक्षा हेतु कलीसियाई धर्माध्यक्षों की सभा” के तीसरे दिन शनिवार को अपने वक्तव्य के दौरान वाटिकन में कही।

नाबालिकों की सुरक्षा हेतु संत पापा फ्रांसिस द्वारा बुलाये गये धर्माध्यक्षीय अध्यक्षों की चार दिवासीय सभा में करीब 190 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं जिनमें आचार्यों, कार्डिनलों, धर्माध्यक्षों, धर्मसंघ के अधिकारियों और वाटिकन के विभिन्न परमधर्मपीठीय विभाग के धर्माध्यक्षीय अधिकारी सहभागी हो रहे  हैं।

विगत तीन दिनों की विषयवस्तु जिम्मेदारी, जवाबदेही और पारदर्शिता अपने में विशिष्ट रही। “विश्वासियों के समुदाय में पारदर्शिता” पर अपने व्यक्तव्य देते हुए जर्मन कार्डिनल ने कार्रवाई, निर्णय, कार्यविधि और  प्रक्रिया  जैसी बातों पर बल दिया। उन्होंने कहा, "पता लगाने की क्षमता और पारदर्शिता का एक दूसरे के साथ अटूट संबंध है।"

शासन प्रबंधन

कार्डिनल मॉक्स ने कहा कि कलीसिया सम्पूर्ण शासन प्रबंधन नाबालिकों के साथ होने वाले यौन दुराचार की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। कलीसिया का दृश्यमान सामाजिक प्ररुप उन्होंने कहा कि येसु ख्रीस्त के रुप में कलीसिया की सेवा है। अतः कलीसिया का सम्पूर्ण शासन प्रबंधन कलीसिया की सेवा हेतु अभिमुख हो जिसकी आधारशिला न्याय में स्थापित हो। प्रशासन, प्रकिया और कार्यविधि को मानकीकृत करता है जिसके फलस्वरुप लक्ष्य परिभाषित किये जाते जो नियमों और विधि-व्यवस्था लागू करने में सहायक होता है। प्रशासन सामान्य हितों, नियमों और कानूनों के खिलाफ उल्लंघन को नियंत्रित करता है और प्रतिबंध लगाता है।

शक्ति का दूरुपयोग

कार्डिनल ने इस बात से सचेत किया कि प्रशासन प्रबंधन का अपने में दुरुपयोग उपयोग किया जा सकता है विशेष कर जब हम यह भूल जाते हैं हम दूसरों की सेवा हेतु नियुक्त किये गये हैं। प्रबंधन नियमों का हवाला देते हेतु लोगों पर अपनी शक्ति को थोप सकता है। 

कार्डिनल ने इस बात की ओर ध्यान इंगित कराया कि “प्रबंधन द्वारा शक्ति का उपयोग करते हुए बच्चों और युवाओं का शोषण अपने में नगण्य नहीं है।” “इस संदर्भ में प्रंबधन ने कलीसियाई प्रेरितिक कार्य की ओर ध्यान न देकर उसे अस्पष्ट, बदनाम और असंभव बना दिया है।” “वे दस्तावेज जिन पर घिनौने कार्यों को कलमबंध किया गये था उन्हें नष्ट कर दिया गया। शोषण का शिकार हुए लोगों को सहायता करने के बदले चुप रहने हेतु दबाव डाला गया। उनके अधिकारों को रौंद दिया गया।”

उन्होंने कहा, “ये सारी बातें कलीसिया के कार्यों का विरोधाभाव रुप पेश करती है।” कलीसिया के प्रबंधन ने मानवता को जोड़ने के बजाय इसके उद्देश्यों को भंग किया है। “यदि कलीसिया येसु के नाम में कार्य करने की बात कहती लेकिन इसका प्रबंधन अपने में उचित कार्यों को नहीं करता तो उसका सरोकार येसु ख्रीस्त से कुछ भी नहीं है।”

जाँच पड़ताल और पारदर्शिता

कलीसियाई प्रेरितिक कार्य को उनकी प्रकृति में करने हेतु प्रबंधन को अपने संचालन की प्रक्रिया में जांच पड़ताल और पारदर्शिता कायम रखने की जरुरत है। यह अपने में तब पारदर्शी होता है जब हम अपने कार्यो के संदर्भ में क्या, कब, क्यों, किसके लिए, क्या निर्धारित, त्याग या दिया गया को समझते हुए जांच करने का कोशिश करते हैं। इस भांति जो अपने में पारदर्शी संचालन का अनुभव करते वे अपनी छुपी गलतियों औऱ खाम्मियों को जानते हुए अपने कार्यों के प्रति सतर्कता बरत सकते हैं। जांच पड़ताल और पारदर्शिता में विरोध परमधर्मपीठीय की योपनीयता का उल्लंघन या गलत अरोप द्वारा हो सकता है  जिससे निर्दोष पुरोहितों और कलीसिया का अपमान किया जा सकें। 

लेकिन कार्डिनल मॉक्स ने इस बात का भी उल्लेख किया कि एक स्पष्ट रूप से परिभाषित सार्वजनिक प्रक्रिया विश्वसनीयता को स्थापित करती है जो गलत तरीके से अरोपित व्यक्ति की प्रतिष्ठा को कायम कर सकती है।

त्वरित मापदण्ड

नाबालिकों के प्रति यौन अपराध त्वरित महत्वपूर्ण कदम लेने की मांग करता है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि परमधर्मपीठ गोपनीयता के उद्देश्य और सीमाओं के साथ इसकी विश्वासनीयता को स्पष्ट रुप से परिभाषित करने की जरुरत है जिससे कलीसिया संदेह के घेरे में न रहे। हमें कलीसियाई कार्यविधि में पारदर्शिता हेतु उत्तम प्रक्रिया और नियमों को स्थापित करने की जरुरत है। यह हमें न्यायिक प्रक्रिया को स्थापित करने की मांग कती है नहीं तो न्यायलय की क्रार्यवाही कलीसिया के क्रियाकलापों और छवि को धूमिल करती रहेगी।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

25 February 2019, 17:41