संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार पुरस्कार संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार पुरस्कार 

मानवाधिकार कार्यकर्ता हुए संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार से सम्मानित

मानव अधिकारों की रक्षा में सबसे अधिक समर्थन देने वाले संगठनों और व्यक्तियों को मानवाधिकार के क्षेत्र में, संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार द्वारा हर 5 साल में सम्मानित किया जाता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 20 दिसम्बर 2018 (रेई)˸ पाकिस्तान की साहसी मानव अधिकार कार्यकर्ता एवं वकील स्वर्गीय असमा जहांगीर को तीन अन्य लोगों एवं संगठनों के साथ मानव अधिकार के क्षेत्र में 2018 का संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार से मंगलवार को सम्मानित किया गया।

तीन अन्य पुरस्कार विजेता हैं, महिलाओं एवं लड़कियों के अधिकारों के लिए काम करने वाली तनजानिया की रेबेका ग्यूमी, आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले ब्राजील के जोएनिया वापीकाना तथा मानव अधिकार कार्यकर्ताओं की रक्षा करने वाला आयरिश संगठन फ्रॉंट लाईन डिफेंडर।

हर पाँच वर्षों में संयुक्त राष्ट्र द्वारा ऐसे लोगों को यह पुरस्कार प्रदान की जाती है जो मानव अधिकार की रक्षा हेतु अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। पुरस्कार विजेताओं की घोषणा 25 अक्टूबर को की गयी थी।

इस वर्ष मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 70वीं वर्षगांठ पर, 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाने के संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में दुनिया भर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को 18 दिसंबर को जनरल असेंबली हॉल में सम्मानित किया गया।

संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख

पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुटेर्रेस ने कहा कि विश्व में विजेताओं एवं मानव अधिकारों की रक्षा करने वालों का कार्य, एक साथ शांति के सतत् निर्माण और सभी के लिए मानवाधिकारों के समावेशी विकास एवं सम्मान सुनिश्चित करने हेतु महत्पूर्ण है।

उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों की रक्षा करने वाले आवाजहीनों को आवाज तथा अन्याय के शिकार कमजोर लोगों को कवच प्रदान करते हैं। वे शिक्षा के माध्यम से लोगों को सशक्त बनाने के लिए काम करते हैं, और अन्य मानवाधिकार रक्षकों को उत्पीड़न, धमकी या गिरफ्तारी से बचाने में मदद करते हैं।

जहांगीर

पुरस्कार वितरण समारोह में जहांगीर जिनकी मृत्यु 11 फरवरी को 66 वर्ष आयु में हृदय गति रूक जाने के कारण हुई, उनका प्रतिनिधित्व उनकी बेटी मुनिजाए ने की। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि उनकी माँ जिन्होंने धार्मिक चरमपंथ से संघर्ष किया था तथा शोषित अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा हेतु कार्य किया, वे अपना पुरस्कार विश्वभर के मानव अधिकार रक्षकों एवं पाकिस्तान की उन महिलाओं के साथ साझा करते जिनके साथ उन्होंने जीवनभर कार्य किया।

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20 December 2018, 15:20