युवाओं के साथ संत पापा फ्राँसिस युवाओं के साथ संत पापा फ्राँसिस 

सिनॉड में यौन दुराचार एवं महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश

8 अक्टूबर को धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की प्रेस ब्रीफिंग में दो मुख्य मुद्दों पर चर्चा की गयी, नाबालिगों के साथ यौन दुराचार एवं कलीसिया में महिलाओं की भूमिका।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

सोमवार के प्रेस ब्रीफिंग में माल्टा के महाधर्माध्यक्ष चार्ल्स शिक्लूना, लेओन के सहायक धर्माध्यक्ष फ्रानचे इम्मानुएल गोबील्लियार्द तथा इटली के लेखक थॉमस लेओनचिनी मुख्य प्रवक्ता थे।

महाधर्माध्यक्ष शिक्लूना ने प्रेस ब्रीफिंग की शुरूआत करते हुए कहा कि वे सिनॉड में 30 युवाओं के सक्रिय उपस्थिति से अत्यन्त प्रभावित हुए जिन्होंने जो सुना उसपर जोरदार प्रतिक्रिया व्यक्त किया उन्होंने कहा कि उनकी इस प्रतिक्रिया से धर्माध्यक्षों को उनकी उम्मीद का सही संकेत मिला।

धर्माध्यक्ष गोबील्लार्द ने कहा कि युवाओं ने धर्माध्यक्षों को स्मरण दिलाया कि वे कलीसिया के अंग हैं तथा उन्होंने उन्हें सुसमाचार की शिक्षा अधिक प्रमाणिक रूप से देने का रास्ता दिखलाया।

लेओनचिनी ने कहा कि अनेक नेताओं के बीच संत पापा फ्राँसिस कई युवाओं के एक महान नेता रहे जिनको उन्होंने सचमुच ध्यान देकर सुना और उनके साथ चिंतन किया। उन्होंने कहा कि सिनॉड ने यह दिखलाया है कि कलीसिया उन सवालों से भयभीत नहीं है जिनका सही उत्तर दिये जाने की आवश्यकता है।   

यौन दुराचार

महाधर्माध्यक्ष शिक्लूना ने दुराचार पर सीधा प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछला सप्ताह मेलबॉर्न के महाधर्माध्यक्ष अंतोनी फिसर ने गलती स्वीकार करते हुए क्षमा याचना की थी जिसने सिनॉड के सभी धर्माचार्यों का ध्यान खींच लिया था। उन्होंने युवाओं से कहा था कि युवा एक सच्ची कलीसिया की खोज कर रहे हैं और सिनॉड का हरेक दल उनके इस मुद्दे से प्रभावित हैं। कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा था कि धर्माध्यक्षों को न केवल ईश्वर को हिसाब चुकाना होगा बल्कि उनकी प्रजा को भी। उन्होंने उनके लिए कारिंदे शब्द का प्रयोग किया था। महाधर्माध्यक्ष शिक्लूना के कहा कि उन्होंने यौन दुराचार के शिकार लोगों के दुःख में दुःखी हुए और उनसे वे उस समय मिले जब समय बीत चुका था तथा वे युवा नहीं रह गये थे। उन्होंने कहा, "मेरे लिए यह अत्यन्त पीड़ादायक है कि न्याय मिलने में इतना समय लगता है। यह संत पापा फ्राँसिस के लिए भी पीड़ादायक है। उन्होंने कहा कि न्याय प्रक्रिया बहुत धीमी गति से चलती है तब संत पापा फ्राँसिस कितना अधिक परेशान होते हैं उसका वे प्रत्यक्षदर्शी हैं।   

धर्माध्यक्ष गोबिल्लार्द ने कहा कि पाप ढांके जाने की अपेक्षा प्रकट किया जाना उचित था क्योंकि इसके द्वारा पीड़ितों के घावों की चंगाई शुरू होती है तथा यह कलीसिया को भी इस समस्या पर कार्रवाई करने में मदद करती है। उन्होंने कहा कि यौन दुराचार के कारण कलीसिया अत्यन्त लज्जित है। यह धर्माध्यक्षों के लिए महत्वपूर्ण है कि वे युवाओं का साथ दिए जाने को महत्व दें। ताकि प्रशिक्षण केद्रों एवं सेमिनरी में इन मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जा सकते। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि चूँकि कलीसिया ने अपमान का सामना किया है इसका अर्थ नहीं है कि मानव प्राणी होने के आयाम पर बात करने से रोक दिया जाए।     

महिलाएँ

कलीसिया में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए लेओनचिनी ने कहा कि छोटे दल में महिलाओं के अधिकार पर बड़े पैमाने पर चर्चा हुई। जिसमें गौर किया गया कि उनकी भूमिका अलग-अलग संस्कृतियों में पृथक हो सकती है। उन्होंने कहा कि स्थानीय कलीसियाओं में कई महिलाएं सक्रिय हैं और यह महत्वपूर्ण सच्चाई है जिसको पहचाना जाना चाहिए।    

महाधर्माध्यक्ष शिक्लूना ने कहा कि महिलाओं की भूमिका का मुद्दा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसके बारे संत पापा ने पहले भी आवाज उठायी है। उन्होंने कहा कि कलीसिया को चाहिए कि वह महिलाओं को सुने तथा नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका में उन्हें अधिक अवसर प्रदान करे। उन्होंने याद किया कि स्थानीय कलीसियाओं में महिलाएँ अधिक सशक्त हैं।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

09 October 2018, 16:03