आमदर्शन समारोह : धैर्य के सदगुण पर पोप की धर्मशिक्षा

बुधवारीय आमदर्शन के दौरान अपनी धर्मशिक्षा में, पोप फ्रांसिस ने विश्वासियों से ख्रीस्त के धैर्य का अनुकरण करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह सदगुण प्रभु के प्रेम की सबसे ठोस गवाही में से एक है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, बुधवार, 27 मार्च 2024 (रेई) : बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, 27 मार्च को, संत पापा फ्राँसिस ने, वाटिकन के संत पौल षष्ठम सभागार एकत्रित, सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के सामने, सदगुणों पर अपनी धर्मशिक्षा माला जारी रखते हुए धैर्य के सदगुण पर चिंतन किया।

धैर्य का सदगुण

पिछले रविवार को हमने प्रभु के दुःखभोग वृतांत का पाठ सुना। येसु सह रहे कष्टों का जवाब एक सदगुण से देते हैं : धैर्य के सदगुण से, हालाँकि इसे पारंपरिक नहीं माना जाता है, लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है। यह कष्ट सहनेवाले व्यक्ति की सहनशीलता से संबंधित है: यह कोई संयोग नहीं है कि धैर्य का मूल दुःखभोग के समान ही है। वास्तव में, दुःखभोग में ही ख्रीस्त का धैर्य उभरता है; उदाहरण के लिए, वे विनम्रता और सौम्यता के साथ, गिरफ्तार किया जाना, पीटा जाना और अन्यायपूर्ण तरीके से निंदा किया जाना स्वीकार करते हैं; वे पिलातुस के सामने दोषारोपण नहीं करते; सैनिकों द्वारा अपमानित होना, थूका जाना और कोड़े लगाये जाना सहन करते हैं; क्रूस का बोझ उठाते; वे उन लोगों को क्षमा करते हैं जिन्होंने उन्हें लकड़ी पर कीलों से ठोंका और क्रूस पर टंग दिया, वे चिढ़ाये जाने का जवाब नहीं देते बल्कि दया करते हैं। यह येसु का धैर्य है। ये सारी चीजें हमें बताती हैं येसु के धैर्य में पीड़ा के प्रति कठोर प्रतिरोध शामिल नहीं है, बल्कि यह एक बड़े प्रेम का फल है।

धैर्यशील खीस्तीय येसु के प्रेम की गवाही देते हैं

प्रेरित संत पौलुस, तथाकथित "भ्रातृप्रेम के गुणगान" में, प्रेम और धैर्य को बारीकी से जोड़ते हैं। वास्तव में, प्रेम का गुणगान करते समय, वे एक शब्द का प्रयोग करते हैं जिसका अनुवाद "उदार", या "धैर्यवान" होता है। प्रेम उदार है, वह धैर्यशील है। यह एक आश्चर्यजनक अवधारणा को व्यक्त करता है, जो अक्सर बाइबल में दिखाई देती है: ईश्वर, हमारी बेवफाई के सामने, खुद को "देर से क्रोध करनेवाले" के रूप में दिखाते हैं। (निर्गमन 34,6) मनुष्य की बुराई और पाप के प्रति अपनी घृणा व्यक्त करने के बजाय, वे अपनी महानता प्रकट करते हैं, हर बार अनंत धैर्य के साथ प्रारम्भ से शुरु करने के लिए तैयार रहते हैं। संत पौलुस के लिए, यह ईश्वर के प्रेम का पहला सदगुण है, जो पापों को क्षमा प्रदान करते हैं। लेकिन इतना ही नहीं: यह हर महान प्रेम का पहला गुण है, जो बुराई का जवाब अच्छाई से देना जानते हैं, जो क्रोध और निराशा में खुद को बंद नहीं होते, बल्कि धैर्य बनाये रखते और फिर शुरू करते हैं। इसलिए, धैर्य की जड़ में प्रेम है, जैसा कि संत अगुस्टीन कहते हैं: "जो किसी भी बुराई को सहन करने के लिए जितना अधिक मजबूत होता है, उसमें ईश्वर का प्रेम उतना ही अधिक होता है।"

आमदर्शन समारोह
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धैर्य की परीक्षा

कोई यह कह सकता है कि एक धैर्यशील ख्रीस्तीय से मिलने से बढ़कर, येसु के प्रेम का कोई दूसरा साक्ष्य नहीं हो सकता। लेकिन आइए यह भी सोचें कि कितने माता-पिता, कार्यकर्ता, डॉक्टर और नर्स एवं बीमार लोग हैं जो हर दिन, छिपकर, पवित्र धैर्य से दुनिया को सुशोभित करते हैं! जैसा कि धर्मग्रंथ में कहा गया है, "धैर्य एक नायक की ताकत से बेहतर है।" हालाँकि, संत पापा ने स्वीकार किया कि ईमानदारी से देखा जाए तो, हममें अक्सर धैर्य की कमी होती है। रोजमर्रा की जिंदगी में हम सभी अधीर होते हैं। हमें आगे बढ़ने के लिए "आवश्यक विटामिन" के रूप में इसकी आवश्यकता है, लेकिन हम सहज रूप से अधीर हो जाते हैं और बुराई का जवाब बुराई से दे जाते हैं:

शांत रहना, स्वभाविक प्रवृत्ति पर नियंत्रण रखना, बुरी प्रतिक्रियाओं को रोकना, परिवार में, काम पर या ख्रीस्तीय समुदाय में बहस और झगड़ों को शांत करना कठिन है। तुरंत बदला लेने की बात आती है और हम धीरज नहीं रख सकते हैं।

येसु के धैर्य पर चिंतन

संत पापा ने कहा, हालाँकि, आइए याद रखें कि धैर्य केवल एक आवश्यकता नहीं है, यह एक आह्वान है: यदि ख्रीस्त धैर्यवान है, तो ख्रीस्तीयों को भी धैर्यवान होने के लिए कहा जाता है। और इसके लिए हमें व्यापक तौर पर, आज की मानसिकता के विपरीत जाने की आवश्यकता है, जिसमें जल्दबाजी और "सब कुछ तत्काल" हावी है; जहाँ, स्थितियों के परिपक्व होने की प्रतीक्षा करने के बजाय, तुरन्त बदलने की अपेक्षा की जाती है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल्दबाजी और अधीरता आध्यात्मिक जीवन के दुश्मन हैं। क्यों? क्योंकि ईश्वर प्रेम है, और जो प्रेम करता है वह थकता नहीं, क्रोधी नहीं होता, अंतिम चेतावनी नहीं देता, ईश्वर धैर्यवान है, वे इंतजार करना जानते हैं। आइए, उस दयालु पिता की कहानी के बारे में सोचें, जो घर छोड़ चुके अपने बेटे की प्रतीक्षा करते हैं: धैर्यपूर्वक दर्द सहते, और जैसे ही उसे वापस लौटते देखते हैं, उसे गले लगाने के लिए अधीर हो जाते। (लूक 15,21); या आइए गेहूं और जंगली घास के दृष्टांत के बारे में सोचें, ईश्वर समय से पहले बुराई को खत्म करने की जल्दी में नहीं हैं, ताकि कुछ भी न खो जाए। (मती. 13,29-30) धैर्य हमें सब कुछ बचा लेता है।

हम धैर्य के सदगुण में कैसे बढ़ें

हम धैर्य में कैसे बढ़ सकते हैं? जैसा कि संत पौलुस सिखलाते हैं, यह पवित्र आत्मा का फल है। (गला 5,22) इसलिए इसे ईश्वर की आत्मा से मांगना है। वे हमें धैर्य की विनम्र शक्ति प्रदान करते हैं - धैर्य एक विनम्र शक्ति है - क्योंकि सिर्फ "अच्छा बने रहना ख्रीस्तीय सदगुण की विशेषता नहीं है, बल्कि यह भी जानना है कि बुराई को कैसे सहन किया जाए।" (संत अगुस्टीन, संभाषण, 46,13) विशेषकर इन दिनों, हमारे लिए क्रूसित येसु के धैर्य को आत्मसात् करने के लिए उनपर चिंतन करना अच्छा होगा। एक अच्छा अभ्यास यह भी है कि सबसे अधिक परेशान करनेवाले लोगों को प्रभु के पास लाया जाए, और उनके प्रति दया का व्यवहार कर पाने की कृपा मांगी जाए, जिसपर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता और उसकी अनदेखी की जाती है: परेशान करनेवाले लोगों को धैर्यपूर्वक सहन करना। संत पापा ने कहा, यह आसान नहीं है।

आइए, हम चिंतन करें कि क्या हम ऐसा करते हैं: कष्टप्रद लोगों को धैर्यपूर्वक सहन करते हैं? इसकी शुरुआत उन्हें दया की दृष्टि से, ईश्वर की दृष्टि से देखने से होती है, यह जानने से कि उनके चेहरों को उनके दोषों से कैसे अलग किया जाए। हमें लोगों को उनकी गलतियों के साथ सूचीबद्ध करने की आदत है। संत पापा ने कहा, ये अच्छा नहीं है। हम लोगों को उनके चेहरों, उनके दिलों की वजह से तलाशे, उनकी गलतियों की वजह से नहीं!

ईश्वर के धीरज से कष्ट सहना बेकार नहीं

अंत में, धैर्य विकसित करने के लिए, एक सदगुण जो जीवन को सांस देता है, अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाना अच्छा है। उदाहरण के लिए, संसार को अपनी परेशानियों तक सीमित नहीं रखकर, प्रभु येसु का अनुकरण हमें ऐसा करने के लिए आमंत्रित करता है: "क्या आप दूसरों की अत्यंत दर्दनाक परेशानियों को याद रख सकते हैं, ताकि आप अपने छोटे बच्चों को अधिक आसानी से सहन कर सकें।" यह याद करते हुए कि "ईश्वर के लिए जो कुछ भी कष्ट सहा जाता है, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, पुरस्कार के बिना पार नहीं होता।" और अभी भी, जब मैं अपनी परीक्षा के चंगुल में, जैसा कि योब सिखाते हैं कि ईश्वर की नवीनता के प्रति आशा के साथ खुद को खोलना, इस दृढ़ विश्वास के साथ कि वे हमारी उम्मीदों को निराश नहीं करेंगे। धैर्य का अर्थ है बुराइयों को सहन करने जानना है।

इस्राएली और अरबवासी पिताओं से मिलते संत पापा फ्राँसिस
इस्राएली और अरबवासी पिताओं से मिलते संत पापा फ्राँसिस

एक इजरायली और एक अरबवासी का धैर्य

उसके बाद उदाहरण देते हुए संत पापा ने कहा, “आज यहां, इस आमदर्शन समारोह में, दो व्यक्ति हैं, दो पिता: एक इजरायली और एक अरबवासी। इस युद्ध में दोनों ने अपनी बेटियों को खो दिया है और दोनों दोस्त हैं। वे युद्ध की शत्रुता को नहीं देखते हैं, बल्कि वे दो व्यक्तियों की मित्रता को देखते हैं जो एक-दूसरे से प्यार करते हैं और दोनों ने एक ही क्रूस को पार किया है। आइए हम इन दो लोगों की इस बेहद खूबसूरत गवाही के बारे में सोचें, जिन्होंने पवित्र भूमि में युद्ध से अपनी बेटियों को खो दिया। प्रिय भाइयों, आपकी गवाही के लिए धन्यवाद!

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की। उन्होंने युवाओं, बीमारों, बुजुर्गों और नवविवाहितों को विशेष रूप से याद किया और अंत में “हे हमारे पिता”प्रार्थना का पाठ करते हुए सभी को अपना प्ररितिक आशीर्वाद दिया।       

 

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27 March 2024, 15:08