सन्त पापा फ्राँसिस वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस वाटिकन में   (REMO CASILLI)

अफ्रीकी देशों के बच्चों से सन्त पापा फ्राँसिस की मुलाकात

अफ्रीका डे के उपलक्ष्य में रोम में एकत्र विभिन्न अफ्रीकी देशों के बच्चों ने सोमवार को अपने अभिभावकों एवं कई अफ्रीकी राजदूतों सहित सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका आशीर्वाद ग्रहण किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर, वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 मई 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): अफ्रीका डे के उपलक्ष्य में रोम में एकत्र विभिन्न अफ्रीकी देशों के बच्चों ने सोमवार को अपने अभिभावकों एवं कई अफ्रीकी राजदूतों सहित सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका आशीर्वाद ग्रहण किया।  

अफ्रीका डे

बच्चों को इस मुलाकात के लिये धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि 25 मई 1963 को अफ्रीकी संघ की स्थापना के स्मरणार्थ वार्षिक रूप से अफ्रीका डे या अफ्रीकी दिवस सम्पूर्ण अफ्रीकी महाद्वीप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह दिवस स्वतंत्रता, विकास तथा आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति के साथ-साथ अफ्रीका की सांस्कृतिक विरासत को मज़बूती और गहराई को समझने हेतु संघर्ष का प्रतीक है।

सन्त पापा ने बच्चों से कहा, "मैं आपको "अलग" होने का साहस करने, उदारता, सेवा, पवित्रता,  क्षमा, न्याय और सामान्य भलाई के लिए संघर्ष, गरीबों के प्रति प्रेम तथा सामाजिक मैत्री के सौन्दर्य के गवाह बनने के लिए आमंत्रित करता हूं।"

इस बात पर उन्होंने गहन क्षोभ व्यक्त किया इस समय प्रिय अफ्रीकी महाद्वीप आतंकवाद, खराब शासन, भ्रष्टाचार, बड़े पैमाने पर युवा बेरोज़गारी, आप्रवास, समुदायों के बीच संघर्ष और साथ ही जलवायु एवं खाद्य संकट जैसी भारी चुनौतियों का सामना कर रहा है।

सपनों का पीछा करें

उन्होंने कहा, "इस संदर्भ में, आप असहाय और निराश महसूस कर सकते हैं और सोच सकते हैं कि आपका भविष्य अंधकारमय और संभावनाओं से रहित है। फिर भी आप युवा हैं और समृद्ध रूप से प्रतिभाशाली हैं, आपकी उच्च महत्वाकांक्षाएं हैं, महान सपने हैं: आप उनका पीछा करें और अपने भविष्य को सरल एवं सुन्दर बनाने का प्रयास करें।।"

सन्त पापा ने कहा, मेरे प्यारे दोस्तों, मैं आप में से प्रत्येक से कहना चाहता हूं: "अपने सपनों को कभी न छोड़ो, कभी भी पूरी तरह से एक बुलाहट को दफन न करो, और कभी भी हार ने मानो।" उन्होंने कहा, आप यह याद रखें कि "अफ्रीका की समृद्धि में से एक इसके युवा लोगों की तीव्र बुद्धि है। अध्ययन के प्रति आपकी प्रतिबद्धता मानव और समाज के अभिन्न विकास में योगदान करती है।"

बाल सैनिकों का स्मरण

बाल सैनिकों का स्मरण कर सन्त पापा ने कहा, मेरे विचार उन बच्चों के प्रति अभिमुख होते हैं जिन्हें बलात सेना में भर्ती कर लिया जाता है और जो हर प्रकार के संघर्षों एवं उससे जुड़ी हिंसा के शिकार बनाये जाते हैं। बच्चों से उन्होंने आग्रह किया कि वे सैनिक बच्चों को कदापि न भूलें, वे उनके क़रीब रहें ताकि वे स्वतः को बहिष्कृत एवं परित्यक्त न समझें।

अफ्रीकी देशों से आये बच्चों को सन्त पापा ने परामर्श दिया कि वे अपने बड़ों की सलाह और गवाही से स्वतः को  प्रबुद्ध करें। उन्होंने कहा कि अपनी जड़ों के साथ, अपने बुजुर्गों के साथ, अपने से पहले आए लोगों के साथ संवाद करें ताकि आगे बढ़ने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि जीवन की चुनौतियों में से एक शांति के लिए संघर्ष है और इस समय मानवजाति एक कठिन दौर से गुज़र रही है, वह ख़तरे में है, इसलिए अपने आसपास और अपने भीतर हम शांति बनाये रखें और शांति में जिएं। आप शांति के दूत बनें, ताकि विश्व प्रेम, एकता, बंधुत्व और एकजुटता के सौन्दर्य की पुनर्खोज कर सके।

 

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29 May 2023, 11:21