औद्योगिक दुर्घटनाओं के लिए इटली के बीमा संघ के प्रतिनिधियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस औद्योगिक दुर्घटनाओं के लिए इटली के बीमा संघ के प्रतिनिधियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस   (Vatican Media)

पोप : उदासीनता एक औसत दर्जे के समाज की निशानी है

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को कार्यस्थल पर दुर्घटनाओं के शिकार लोगों के लिए काम करनेवाले एक संघ के सदस्यों को संबोधित किया और उनसे आग्रह किया कि वे विकलांगता के विभिन्न रूपों को पहचानना सीखें, साथ ही साथ प्रत्येक कार्यकर्ता के विभिन्न संघर्षों का सामना करें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

बृहस्पतिवार को संत पापा फ्राँसिस ने आईएनएआईएल, औद्योगिक दुर्घटनाओं के लिए इटली के बीमा संघ के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।

अपने संबोधन में संत पापा ने उन्हें एक ऐसे समाज के निर्माण की प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद दिया जिसमें ध्यान दिया जाता है कि कोई भी पीछे न छूटे।

संत पापा ने इस बात पर ध्यान देते हुए अपना वक्तव्य शुरू किया कि अक्सर, अन्यायपूर्ण ढंग से, एक दुर्घटना का बोझ "परिवार के कंधों पर डाल दिया जाता है।"

पोप ने उल्लेख किया, महामारी के आगमन के साथ स्थिति और खराब हो गई, किन्तु उन्होंने संघ के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, "आपने स्वास्थ्य संकट की ऊंचाई पर अतिरिक्त देखभाल के लिए, विशेषकर सबसे कमजोर लोगों की ओर ध्यान दिया है।”

संत पापा ने कहा, "पिछले कुछ महीनों में महिला दुर्घटना के मामलों में भी वृद्धि देखी गई है, जो हमें याद दिलाती है कि कार्यस्थल पर महिलाओं को पूरी सुरक्षा अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।"

जीवन का कोई मूल्य नहीं

संत पापा ने जोर देते हुए कहा, “जीवन का कोई मूल्य नहीं रह गया है, ” यह समझाते हुए कि कार्यस्थल में सुरक्षा में निवेश नहीं करने के कारण दुर्घटनाओं में वृद्धि है, उन्होंने कहा, "एक व्यक्ति के स्वास्थ्य को कुछ अतिरिक्त यूरो या किसी के व्यक्तिगत फायदे से नहीं बदला जा सकता।

संत पापा फ्राँसिस ने आगे कहा कि "परिवार और कार्य वातावरण के स्पष्ट अलगाव का न केवल परिवार पर, बल्कि कार्य संस्कृति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।" उन्होंने समझाया कि इसने इस विचार को पुष्ट किया है कि परिवार उपभोग का स्थान है और उद्यम उत्पादन का स्थान। यह इस मानसिकता को मजबूत करता है कि लोग जो कुछ भी उत्पन्न करते हैं उसके लायक हैं। लेकिन ऐसा नहीं है।

अक्षमता केवल शारीरिक नहीं होता

इसे ध्यान में रखते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे "उभरनेवाली सभी प्रकार की विकलांगताओं के चेहरे पर गौर करें," और न केवल शारीरिक, बल्कि मनोवैज्ञानिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विकलांगता भी गौर करें।

संत पापा ने जोर देकर कहा, "'घायल व्यक्ति' जैसी कोई चीज नहीं है, लेकिन उस व्यक्ति का नाम और चेहरा है जिसे चोट लगी है, और इस कारण उनके प्रति सहानुभूति नहीं छोड़नी चाहिए, क्योंकि यह" साझा करने का आधार है।”

अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि हर कोई एक दूसरे के करीब हो, अंतर को पाटने में मदद करे, "अपने आप को एक समान नाजुकता के एक ही तल पर रखे।" संत पापा ने जोर देते हुए कहा, "जितना अधिक व्यक्ति महसूस करता है कि वह नाजुक है, उतना ही अधिक निकटता का हकदार है।"

अपने प्रवचन को समाप्त करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि हम अपनी बहनों और भाइयों के घावों से खुद को चुनौती देने दें और "भाईचारे के मार्ग का पता लगाएँ।"

संत पापा ने निष्कर्ष निकाला कि "उदासीनता एक हताश और औसत दर्जे के समाज का संकेत है।" अंत में उन्होंने सभी उपस्थित लोगों को श्रमिकों के संरक्षक संत जोसेफ के संरक्षण में सौंप दिया।

 

 

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09 March 2023, 17:13