संत पापा सिनोड के सत्र में संत पापा सिनोड के सत्र में 

संत पापा: धर्माध्यक्षों की धर्मसभा 2023 और 2024 में होगी

संत पापा फ्राँसिस ने रविवार को देवदूत प्रार्थना के उपरांत इस बात की घोषणा की कि सिनोडलिटी पर धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की सभा दो सत्रों में: अक्टूबर 2023 और अक्टूबर 2024 में होगी ।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी सोमवार,17 अक्टूबर 2022 (रेई) वाटिकन में धर्माध्यक्षों की धर्मसभा - मूल रूप से अक्टूबर 2023 में होने वाली थी - अब सिनोडालिटी पर होने वाली यह धर्मसभाअक्टूबर 2024 में 2 सत्रों में आयोजित की जाएगी। संत फ्रांसिस ने रविवार को देवदूत प्रार्थना के उपारांत संत पेत्रुस महागिरजाघर में जमा हुए तीर्थयात्रियों और सभी विश्वासियों को संबोधित करते हुए धर्मसभा के विस्तार की घोषणा की।

विस्तारित विचार-मंथन

उन्होंने इस बात को ऱेखांकित करते हुए कहा कि धर्मध्यक्षों की धर्मसभा की 16वीं आमसभा का पहला चरण 10 अक्टूबर 2021 को शुरू किया गया जिसका केन्द्र-विन्दु सुनना और आत्म-परीक्षण करना है।

संत पापा ने कहा कि चल रही धर्मसभा में पहले से ही बहुत-सी अच्छी बातें उभर कर आयी हैं, लेकिन उन्हें पूरी तरह से परिपक्व होने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है।

“गहन आत्म-परीक्षण और समय दिया जाये, अतः मैंने यह निर्णय लिया है कि यह धर्मसभा सभा दो सत्रों में: पहला 4-29 अक्टूबर 2023 को और दूसरा अक्टूबर 2024 में होगी।”

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह निर्णय “कलीसिया की सिनोडलिटी को एक संवैधानिक तत्व के रूप में समझने हेतु मदद करेगा, साथ ही यह सभी भाई-बहनों को एक यात्रा के रूप में जीने में मदद करेगा जो सुसमाचार के आनंद का साक्ष्य देते हैं।”

धर्मसभा सचिवालय की विज्ञप्ति

संत पापा की घोषणा के बाद, धर्मसभा के महासचिव ने निर्णय की व्याख्या करने के लिए एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि प्रेरितिक संविधान एपिस्कोपेलिस कम्युनियो एक ही धर्मसभा को विभिन्न सत्रों में आयोजन करने की संभावित अनुमति देता है।

“इस निर्णय की उत्पत्ति इस इच्छा से होती है कि एक सिनोडल कलीसिया, अपनी बृहदता और महत्वपूर्ण के कारण, न केवल धर्मसभा के सदस्यों द्वारा, बल्कि पूरी कलीसिया द्वारा लंबे समय तक विचार-विमर्श का विषय हो सकती है।”

धर्मसभा सचिवालय ने कहा कि समय विस्तार चल रही धर्मसभा यात्रा के साथ सटीक बैठता है, क्योंकि धर्मसभा “एक घटना नहीं है, बल्कि एक प्रक्रिया है जिसमें सारी ईशप्रज्ञा को एक साथ चलने के लिए बुलाया जाता है, जहाँ हम पवित्र आत्मा की सहायता से कलीसिया में ईश्वर की योजना को समझने हेतु  सक्षम होते हैं।”

एक वर्ष तक सत्रों का विस्तार इस भांति हमें “यात्रा के अंदर यात्रा” करते हुए इसके लक्ष्य को और अधिक परिपक्व रुप में विचार-मंथन करने में मदद करेगा। 

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17 October 2022, 17:28