संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

देवदूत प्रार्थना में पोप : अच्छा काम करने में हमेशा रचनात्मक एवं चतुर रहें

संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों का आह्वान किया है कि वे अपनी रचनात्मता, बुद्धिमानी और यहाँ तक कि चतुराई को भी अपने दैनिक जीवन में सुसमाचार को जीने के लिए प्रयोग करें तथा इस दुनिया की चीजों का प्रयोग करने में उदार बनें। उन लोगों के प्रति भाईचारापूर्ण प्रेम एवं सामाजिक मित्रता दिखलाएँ जो जरूरतमंद हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 18 सितम्बर 2022 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार, 18 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।"

आज की धर्मविधि के सुसमाचार पाठ में दृष्टांत (लूक.16,1-13) हमारे समझने के लिए थोड़ा कठिन प्रतीत होता है। येसु भ्रष्टाचार की कहानी बतलाते हैं : एक बेइमान कारिंदा चोरी करता और जब वह अपने स्वामी के द्वारा पकड़ा जाता है जो इस परिस्थिति से ऊपर उठने के लिए बुद्धिमानी से काम लेता है। संत पापा ने पाठ पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा, "हम अपने आप से पूछें: यह किस प्रकार की बुद्धिमानी है और येसु हमें क्या बतलाना चाहते हैं?"

अच्छाई के लिए चतुर बनें

इस कहानी में हम देखते हैं कि कारिंदा किस तरह परेशानी में पड़ जाता है क्योंकि उसने अपने स्वामी की अच्छाई का फायदा उठाया। अब उसे हिसाब देना है और वह अपनी नौकरी खो देगा। लेकिन वह निराश नहीं होता, वह अपने आपको अपने भाग्य पर नहीं छोड़ता और न ही पीड़ित महसूस करता है। इसके विपरीत, वह तत्काल बुद्धिमानी से काम लेता है। वह एक समाधान खोजता और रचनात्मक बनता है। येसु इस कहानी को हमारे सामने एक उत्तेजना के रूप में रखते हुए कहते हैं, "इस संसार की संतान आपसी लेन-देन में ज्योति की संतान से अधिक चतुर है।"(8)  

अक्सर ऐसा होता है कि जो लोग अंधकार में चलते हैं, वे दुनिया के स्तर पर कुछ हद तक जानते हैं कि कठिनाई के समय में क्या करना है। वे दूसरों से अधिक चतुर होते, जबकि येसु के शिष्य अर्थात् हम निंद्रा में रहते, या अनाड़ी होते और नहीं जानते कि कठिनाई के समय में रास्ता कैसे निकाला जाए। (एवनजेली गौदियुम 24) संत पापा ने कहा, "मैं व्यक्तिगत एवं सामाजिक संकट किन्तु कलीसियाई संकट के बारे में सोच रहा हूँ। कई बार हम निराश हो जाते या शिकायत करने लगते और पीड़ित महसूस करते हैं। किन्तु येसु कहते हैं कि हम भी सुसमाचार के अनुसार चतुर हो सकते हैं, उस वास्तविकता के लिए सचेत और जागरूक हो सकते हैं तथा सही समाधान अपने एवं दूसरों के लिए पाने हेतु रचनात्मक बन सकते हैं।"

सभी के लिए अच्छाई

संत पापा ने येसु की दूसरी शिक्षा पर ध्यान देते हुए कहा, "लेकिन एक दूसरी शिक्षा है जिसको येसु हमें देते हैं।" कारिंदा की चतुराई क्या थी? उसने उन लोगों को छूट देने का निश्चय किया जिन्होंने उधार लिया था, इस तरह वे उसके मित्र बन गये। वह इस आशा से ऐसा करता है कि जब उसका स्वामी उसे काम से निकाल देगा तो वे उनकी मदद करेंगे। पहले वह अपने लिए धन जमा करता था किन्तु अब इसका प्रयोग वह मित्र बनाने में करता है जो उसे भविष्य में मदद दे सकते हैं।

येसु शिक्षा देते हैं कि हम भौतिक चीजों का प्रयोग किस तरह करें : "और मैं तुम लोगों से कहता हूँ, झूठे धन से अपने लिए मित्र बना लो जिससे उसके समाप्त हो जाने पर वे लोग परलोक में तुम्हारा स्वागत करें।"(9) इस प्रकार अनन्त जीवन पाने के लिए, इस दुनिया में धन जमा करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि महत्वपूर्ण है हमारे भाईचारापूर्ण संबंध को उदारतापूर्वक जीने की। येसु हमसे यही मांगते हैं: इस संसार की वस्तुओं को सिर्फ अपने लिए एवं अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए प्रयोग मत करो लेकिन मित्र बनाने के लिए करो, अच्छे संबंध बनाने के लिए, उदारता का कार्य करने के लिए, भाईचारा को बढ़ावा देने के लिए और सबसे कमजोर लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाने के लिए।

सकारात्मक सोच रखें

संत पापा ने आधुनिक विश्व की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा, "भाइयो एवं बहनो, आज भी दुनिया में भ्रष्टाचार है जैसा कि सुसमाचार में बतलाया गया है : बेईमान आचरण, अनुचित नीतियाँ, स्वार्थ है जो व्यक्तियों और संस्थानों की पसंद पर हावी है, और कई अन्य अस्पष्ट स्थितियाँ हैं। किन्तु हम ख्रीस्तीय निराश होने अथवा बदतर बनने, चीजों को जाने देने और उनके प्रति उदासीन बने रहने के लिए नहीं बुलाये जाते हैं। इसके विपरीत, हम बुद्धिमानी और सुसमाचार की चतुराई के साथ अच्छा करने के लिए बुलाये जाते हैं, इस दुनिया की अच्छाई का प्रयोग करने, न केवल भौतिक बल्कि उन सभी दानों को जिन्हें हमने प्रभु से प्राप्त किया है। हमें अपने आपको समृद्ध नहीं करना है बल्कि भाईचारापूर्ण प्रेम एवं सामाजिक मित्रता उत्पन्न करना है।"

तब संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "आइये हम धन्य कुँवारी मरियम से प्रार्थना करें, ताकि वे हमें उनके समान दीन मनोभाव धारण करने और आपसी प्रेम में समृद्ध होने में मदद दें।"

देवदूत प्रार्थना में संत पापा का संदेश

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

18 September 2022, 14:32