संत पापाः येसु और दूसरों के लिए कुछ करें

संत पापा फ्रांसिस ने आगमन के तीसरे रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये गये संदेश में विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को येसु और दूसरों के लिए छोटा कार्य करने का निमंत्रण दिया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, 13 दिसम्बर 2021 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने 12 दिसम्बर  को वाटिकन संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के संग देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

संत पापा ने कहा आगमन के तीसरे रविवार का सुसमाचार हमारे लिए विभिन्न तरह के लोगों को प्रस्तुत करता है, भीड़, नाकेदारों और सिपाहिगण जो योहन बपतिस्ता के उपदेश से प्रभावित उनसे पूछते हैं,“हमें क्या करना चाहिए” (लूका. 3.10)। हम इस सवाल पर चिंतन करें।

हम क्या करेंॽ

यह हमारे लिए कर्तव्य से उत्पन्न नहीं होती बल्कि इसकी उत्पत्ति ईश्वर द्वारा हृदय स्पर्श से होती है। यह उनके आने के उत्साह से उत्पन्न होती है जो उन्हें यह पूछने को प्रेरित करता है, “हमें क्या करना चाहिएॽ” हम इसे एक उदाहरण के रुप में देखें, हम अपने एक प्रिय व्यक्ति के बारे में सोचें जो हमसे मिलने आता है। हम आनंद और अधीरता में उस व्यक्ति की प्रतीक्षा करते हैं। उस व्यक्ति के स्वागार्थ हम उन चीजों को करते हैं जो हमारे लिए जरूरी हैं- हम अपने घरों की सफाई करते हैं, हम सर्वोतम पकवान तैयार करने की कोशिश करते हैं, शायद एक उपहार तैयार करते हैं,...संक्षेप में हम कई तरह से अपनी तैयारी करते हैं। ईश्वर के साथ भी वैसे ही है। उनके आने की खुशी हममें सवाल लाती है हमें क्या करना चाहिएॽ ईश्वर हमारे लिए सवाल को एक ऊँचे स्तर तक ले जाते हैं। मुझे अपने जीवन में क्या करना चाहिएॽ मेरा बुलावा क्यों हुआ हैॽ मुझे क्या बनना हैॽ

हमारा जीवन अर्थहीन नहीं

इस सवाल को हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हुए सुसमाचार हमें एक महत्वपूर्ण चीज के बारे में याद दिलाता है, जीवन में हमारा एक कर्तव्य है। हमारा जीवन अर्थहीन नहीं  है, हम यूं ही अनायास ही दुनिया में नहीं आये हैं। ऐसा नहीं है। यह जीवन ईश्वर का दिया हुआ एक उपहार है। वे हम से कहते हैं आप इस बात की खोज करें कि आप क्या हैं, और इस भांति आप अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिन मेहनत कीजिए जिससे आप का जीवन अर्थपूर्ण हो। हमसे हर कोई- इस बात को न भूलें कि हमारा एक प्रेरितिक कार्य है जिसे हमें पूरा करने की आवश्यकता है। अतः हम ईश्वर से यह पूछने हेतु न डरें- मुझे क्या करना हैॽ हम निरंतर उनसे यह सवाल पूछें। हम इस सवाल की पुनरावृत्ति धर्मग्रंथ में पाते हैं, प्रेरित चरित में, बहुत से लोग, येसु के पुनरूत्थान पर पेत्रुस के संबोधन सुनने के उपरांत, “हृदय की गहराई तक प्रभावित होते और पेत्रुस और दूसरे प्रेरितों से पूछते हैं, भाइयों हमें क्या करना चाहिएॽ” (प्रेरि.2.37)। संत पापा ने कहा कि हम अपने आप से पूछें, “मुझे अपने लिए और अपने भाई-बहनों के लिए क्या करना उचित होगाॽ” मैंने किस तरह कलीसिया और समाज की भलाई हेतु सहयोग दे सकता हूँ। आगमन काल का अर्थ हमारे लिए यही हैः हमें रूक कर यह पूछने की जरुरत है कि हम येसु के आने ख्रीसमस की तैयारी कैसे करें। हम उपहारों और अन्य चीजों के संबंध में तैयारी में अपने को व्यस्त पाते हैं जो खत्म हो जाती हैं। लेकिन हम स्वयं से यह पूछें कि हमें येसु और दूसरों के लिए क्या करने की आवश्यकता हैॽ

विश्वास की अभिव्यक्ति ठोस कार्य में

हमें क्या करना चाहिएॽ इस सवाल के बाद, सुसमाचार हमारे लिए योहन बपतिस्ता के उत्तरों की एक सूची प्रस्तुत करता है जो अलग-अलग समुदाय के लोगों के लिए अलग-अलग हैं। वास्तव में, योहन बपतिस्ता इस बात का सुझाव देते हैं कि जिसके पास दो कुरते हैं वह एक उसे दे जिसके पास नहीं है, नाकेदारों से वे कहते हैं कि निर्धारित चुंगी से अधिक की मांग मत करो, वहीं वे सिपाहियों से कहते हैं, “किसी पर अत्याचार मत करो, किसी पर झूठा दोष मत लगाओ और अपने वेतन से संतुष्ट रहो”। वे सभों के लिए एक विशेष शब्द का उपयोग करते हैं जो उनके वास्तविक जीवन से संबंधित है। यह हमें एक मूल्यवान शिक्षा देती है- विश्वास हमारे ठोस जीवन में मूर्तरूप लेता है। यह अपने में अमूर्त नहीं है, यह कोई सामान्यीकृत सिद्धांत नहीं है। यह व्यक्तिगत रुप में हमारा स्पर्श करता और हमारे जीवन में परिवर्तन लाता है। हम अपने जीवन में विश्वास के ठोस रुप को सोचें। क्या मेरा विश्वास अमूर्त है या अपने में ठोस हैॽ क्या यह मुझको दूसरों की सेवा हेतु अग्रसर करता हैॽ

मैं क्या कर सकता हूँॽ  

संत पापा ने कहा कि अंत में हम अपने आप से पूछें, “इन दिनों जब हम ख्रीसमस के निकट आ रहते हैं, हमें ठोस रूप में क्या करना चाहिएॽ मेरे हिसाब से मैं क्या कर सकता हूँॽ हम छोटे रुप में ही सही लेकिन अपने लिए कुछ ठोस चुनें, जो हमारे जीवन के जुड़ा हुआ हो, और हम उस पर अमल करते हुए इस ख्रीसमस की तैयारी करें। उदाहरण के लिए, मैं अकेले रहने वाले व्यक्ति को फोन कर सकता हूँ, बुजुर्ग व्यक्ति या बीमार व्यक्ति की भेंट करता सकता हूं, गरीब व्यक्ति कि सेवा हेतु कुछ कार्य करता हूँ, या उनकी जो जरुरत की स्थिति में हैं। इससे भी बढ़कर, मुझे क्षमा मांगने, क्षमा देने की आवश्यकता है, किसी स्थिति को स्पष्ट करना है, ऋण चुकाना है। शायद मैंने लम्बें समय से अपने प्रार्थनामय जीवन के प्रति उदासीनता का जीवन व्यतीत किया है अतः यह समय मेरे लिए क्षमा मांग का अवसर है। प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा कि हम अपने लिए कुछ ठोस सोचें और उसे अपने जीवन में पूरा करें। माता मरियम हमारी सहायता करें जिनके गर्भ में ईश्वर मानव का रुप धारण करते हैं।  इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने सभों के संग दूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

 

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13 December 2021, 12:43