"आप्रवासी फाऊँडेशन" के तत्वधान में आयोजित सम्मेलन के प्रतिभागियों से मुलाकात करते पोप फ्राँसिस "आप्रवासी फाऊँडेशन" के तत्वधान में आयोजित सम्मेलन के प्रतिभागियों से मुलाकात करते पोप फ्राँसिस 

अगर एकीकृत हों, तो आप्रवासी समाज एवं चर्च को बढ़ने में मदद करते हैं, पोप

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को "आप्रवासी फाऊँडेशन" के तत्वधान में आयोजित सम्मेलन के 200 प्रतिभागियों को सम्बोधित किया जो इटली के आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के इताली काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन का प्रेरितिक विभाग है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 11 नवम्बर 21 (रेई)- संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में "यूरोप में इटली निवासी और ख्रीस्तीय मिशन" विषय पर आयोजित सम्मेलन के प्रतिभागियों को सम्बोधित किया।

संत पापा ने बृहस्पतिवार को प्रेरितिक विश्व पत्र फ्रतेल्ली तूत्ती का हवाला देते हुए कहा, "लातीनी अमरीका में अपने अनुभव के आलोक में, मैं पुष्ट कर सकता हूँ कि आप्रवासी यदि एकीकृत किये जाने में मदद देते हैं तो वे आशीर्वाद हैं, समृद्धि के स्रोत हैं और नये उपहार हैं जो एक समाज को बढ़ने देता है।"

सम्मेलन को 9-12 नवम्बर तक रोम में आयोजित किया गया है जिसकी विषयवस्तु है, "यूरोप में इटली निवासी और ख्रीस्तीय मिशन।"

एकीकरण

संत पापा ने बिन्दुओं पर जोर दिया – आप्रवासियों का स्वागत करना, साथ देना, प्रोत्साहन देना और एकीकृत करना। उन्होंने चेतावनी दी कि इनमें असफल होने पर गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। बेल्जियम के ब्रसेल्स में 22 मार्च 2016 को  3 आत्मघाती बम धमाके हुए थे। ये घटनाएँ उन बच्चों द्वारा अंजाम दिये गये जो गैर- एकीकृत थे।  

आप्रवासी विविधता में एकता लाने में मदद देते हैं

संत पापा ने कहा कि आप्रवासी यूरोप और इसकी कलीसिया के लिए एक आशीर्वाद हैं। “अगर एकीकृत हों, तो [आप्रवासी] एकता को पुनर्जीवित करनेवाली विविधता की हवा में सांस लेने में मदद करते हैं; वे काथलिक धर्म के चेहरे को पोषित करते हैं; कलीसिया की प्रेरिताई की गवाही देते; और पवित्रता की कहानियाँ उत्पन्न करते हैं।"

उदाहरण के लिए संत फ्राँसिस जेवियर कब्रिनी जो 1946 में अमरीका की नागरिक बनीं थीं उन्हें कलीसिया ने संत घोषित किया। इटली में जन्मी मिशनरी धर्मबहन येसु के पवित्र हृदय के धर्मसमाज की थीं जिन्होंने अमरीका में अपने इताली सह-नागरिकों की सेवा की।

संत पापा ने गौर किया कि सम्मेलन की विषयवस्तु प्रेरितिक चिंता एवं मिशनरी भावना की ओर इशारा करती है जो इटली वासियों के यूरोप की ओर जाने से संबंधित मिशनरी भावना है जो नवीन सुसमाचार प्रचार के लिए खमीर बन सकती है। इस संबंध में उन्होंने तीन बिन्दुओं पर चिंतन किया।

मानवीय गतिशीलता "हम" के रूप में समझा जाना

उन्होंने कहा, गतिशीलता या प्रवासन की घटना को "हम" के रूप में पढ़ने की पहली चिंता। "हम अक्सर आप्रवासियों को केवल 'अन्य' के रूप में, एक अजनबी के रूप में देखते हैं," जबकि वास्तव में आप्रवासी 'हम' का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, वे हमारे ही करीबी - हमारे परिवार, हमारे युवा छात्र, बेरोजगार, हमारे उद्यमी होते हैं। क्रेमोना के धर्माध्यक्ष जेरेमिया बोनोमेली के अनुसार, जिन्होंने 1900 में विदेश में इटलीवासियों की मदद के लिए एक प्रेरिताई शुरू की, इटली के आप्रवासी "इटली पुत्री" की तरह हैं जो यूरोप और दुनिया में यात्रा कर रही हैं। अर्जेंटीना के पोप ने कहा, "यह एक वास्तविकता है जिसे मैं विशेष रूप से महसूस करता हूँ, क्योंकि मेरा परिवार भी इटली से अर्जेंटीना चला गया था"।

यूरोप एक आमघर

संत पापा ने दूसरे बिन्दू में यूरोप को एक सामान्य घर के रूप में चिंतन किया। उन्होंने कहा कि यूरोप की कलीसिया हजारों इटलीवासियों और विदेशी आप्रवासियों को ध्यान दिये बिना नहीं रह सकती जो शहर और देश के चेहरे को नवीकृत करते हैं। संयुक्त यूरोप के सपने को पोषित करते हैं, एक ही मूल को पहचानने की क्षमता रखते एवं विविधता से खुश होते हैं। उन्होंने अपील की कि सुन्दर पच्चीकारी पर पूर्वाग्रह या घृणा की भावना से कोई दाग न लगे।

विश्वास का साक्ष्य

तीसरा बिन्दु जिसपर संत पापा ने ध्यान आकृष्ट किया वह है इताली आप्रवासियों द्वारा यूरोपीय देशों में विश्वास का साक्ष्य देना। अपनी गहरी जड़ें जमानेवाली लोकप्रिय धार्मिकता के माध्यम से, उन्होंने सुसमाचार के आनंद का संचार किया है और स्थानीय ख्रीस्तीय समुदायों के रास्तों को साझा करके खुले और स्वागत करनेवाले समुदायों की सुंदरता को दिखाया।

पीढ़ियों के संबंध

संत पापा ने कहा कि इसके लिए वार्ता की बहुत अधिक आवश्यकता है, खासकर, दादा-दादी और पोते-पोतियों के बीच। यद्यपि इटली के युवा आज विश्वास के मामले में अपने दादा-दादी से बहुत भिन्न हैं किन्तु आमतौर पर वे उनसे बहुत अधिक जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि युवा इटलीवासी अन्य यूरोपीय पृष्टभूमियों में रहते हुए अपनी जड़ों से जुड़े रहें और अपने दादा-दादी से मानवीय एवं आध्यात्मिक मूल्यों का रस लें। इस संबंध में, "लोकप्रिय धर्मपरायणता की अभिव्यक्तियाँ हमें बहुत कुछ सिखा सकती हैं," विशेषकर नए सुसमाचार प्रचार को देखते हुए।

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11 November 2021, 17:01