अफगानिस्तान के शरणार्थी अफगानिस्तान के शरणार्थी  

अपगानिस्तान के लिए प्रार्थना एवं उपवास हेतु संत पापा की अपील

संत इजिदियो समुदाय के संस्थापक अंद्रेया रिकार्दी ने अफगानिस्तान के लिए संत पापा फ्रांसिस की अपील पर टिप्पणी की तथा प्रार्थना एवं उपवास के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने उसे आशा का माध्यम कहा।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

अफगानिस्तान, बुधवार, 1 सितम्बर 2021 (रेई)- अफगानिस्तान में हुई त्रासदी के आलोक में, संत पापा फ्राँसिस एक बार फिर दुनिया भर के विश्वासियों से प्रार्थना के लिए एक साथ आने एवं उपवास करने पर जोर दे रहे हैं।

यह अपील उन्होंने पिछले रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान की जिसको उन्होंने अपने ट्वीट में भी कई बार दुहराया है। संत पापा ने यह अपील मानवीय संकट को देखते हुए की है।

संत पापा ने कहा था, "मैं सभी से अपील करता हूँ कि प्रार्थना और उपवास तेज करें ˸ प्रार्थना और उपवास एवं प्रार्थना और प्रायश्चित। अभी ही इसे करने का समय है। अपनी अपील पर जोर देते हुए उन्होंने कहा था, "मैं गंभीरता से कह रहा हूँ ˸ प्रार्थना एवं उपवास को तेज करें, प्रभु से करूणा एवं क्षमा की याचना करें।"

मानवीय संकट के सामने प्रार्थना एवं उपवास

वाटिकन न्यूज के पत्रकार सलवातोरे चेरनुत्सियो के साथ एक साक्षात्कार में संत इजिदियो समुदाय के संस्थापक अंद्रेया रिकार्दी ने युद्धग्रस्त देश के लिए प्रार्थना एवं उपवास हेतु संत पापा की अपील पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, "प्रार्थना और उपवास बिल्कुल भी कालानुक्रमिक अभ्यास नहीं हैं, अध्यात्म की तो बात ही छोड़ दें। दूसरी ओर में मानता हूँ कि हम कलीसियाओं में शांति के लिए बहुत कम प्रार्थना करते हैं। रविवार की प्रार्थनाओं में हम अफगानिस्तान एवं उत्तरी मोजम्बिक जैसे देशों की याद कम ही करते हैं जहाँ से लाखों शरणार्थी हैं, कई युद्धग्रस्त देशों को भुला दिया गया है। हम शांति के लिए बहुत कम प्रार्थना करते हैं। जबकि प्रार्थना शक्ति है।"   

अंद्रेया ने गौर किया कि इस प्रार्थना और उपवास मैराथन को जारी करने की वास्तव में तत्काल आवश्यकता है। "जब दूर के युद्धों का सामना करना पड़ता है, ऐसी परिस्थिति से जूझना पड़ता है जिन्हें हम नहीं जानते कि कैसे हल किया जाए, तब ऐसा लगता है कि मानो हम कुछ नहीं कर सकते और नपुंसकता की भावना पैदा होती है।" उन्होंने जोर दिया कि इस नपुंसकता से उदासीनता आती है"।

उदासीनता से ऊपर उठना

अंद्रेया ने गौर किया कि संत पापा ने अक्सर उदासीनता के वैश्विकरण के खिलाफ आवाज उठायी है। उन्होंने बतलाया है कि हमारी उदासीनता वहाँ से आती है जहाँ हम सोचते कि "हम कुछ नहीं कर सकते।"

उन्होंने कहा, "जबकि मैं मानता हूँ कि इस विश्व में हर पुरूष और स्त्री कुछ न कुछ जरूर कर सकता है। यदि छोटे दल आतंक बो सकते हैं, तो छोटे दल शांति भी बो सकते हैं। और वे ऐसा प्रार्थना एवं उपवास के द्वारा कर सकते हैं जो दैनिक जीवन से अनासक्त होना भी है यह युद्ध के खिलाफ 'विद्रोह' है, साथ ही साथ प्रभु का आह्वान करना भी है, इतिहास के प्रभु का आह्वान, ताकि हम अपने रास्तों को शांति के लिए खोल सकें और उनकी आत्मा की प्रेरणा से व्यक्तियों, शक्तिशाली लोगों एवं संस्थाओं में सदभावना उत्पन्न कर सकें।"

संत पापा के अपील के महत्व पर प्रकाश डालते हुए अंद्रेया जो एक गैरकाथलिक हैं उन्होंने प्रार्थना एवं उपवास के लिए विभिन्न धर्मों के लोगों को एकजुट होने हेतु उनके बार-बार निमंत्रण की याद की। उन्होंने बारी में 2018 में संत पापा की सभा की याद की जिसमें विशुद्ध सुसमाचार प्रचार की छवि दिखाई पड़ती है।  

"भाइयों के बीच सहमति हमें प्रेरित कर सकती है, शांति के लिए इतिहास को खोल सकती है। यह असीसी का मनोभाव है, शांति हेतु प्रार्थना का आह्वान, 1986 में जॉन पौल द्वितीय द्वारा शुरू की गई क्रांतिकारी और निर्णायक सफलता है : दूसरों के लिए एक साथ प्रार्थना करना, न कि एक-दूसरे के खिलाफ होना।"

अंद्रेया ने कहा, "हम अपने आप से पूछें कि हम किस तरह के समाज का निर्माण करना चाहते हैं? दीवार एवं भय के समाज का अथवा आशा एवं स्वागत करनेवाले समाज का? आशा एवं स्वागत को प्रार्थना द्वारा पोषित किया जा सकता है।"

प्रार्थना हमें साहसी एवं सक्षम बनाता है जिससे हम एक साथ जीने के नये सूत्र का सपना दे सकते हैं।   

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01 September 2021, 17:08