संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना : येसु हमारे घायल हृदय को चंगा करते हैं

रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्राँसिस ने याद किया कि येसु हमारे पापों एवं पूर्वाग्रहों के परे जाकर, हमारे अतीत के घावों एवं गलतियों से हमें चंगा करते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 27 जून 2021 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 27 जून को संत पापा फ्रांसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज के सुसमाचार पाठ में (मार.5,21-43) येसु हमारे दो दुखद परिस्थितियों, मृत्यु और बीमारी का सामना करते हैं। उनसे वे दो व्यक्तियों को चंगा करते हैं ˸ एक छोटी लड़की, जिसकी मृत्यु उस समय हो गई थी जब उसके पिताजी येसु से मदद मांगने गये थे; और एक महिला जो कई सालों से रक्त स्राव से पीड़ित थी।

स्वस्थ और प्रेम

संत पापा ने कहा, "येसु हमारी पीड़ा और  मौत में खुद का स्पर्श करने देते और दो चंगाई के कार्य सम्पन्न करते हुए यह बतलाते हैं कि न तो दुःख और न ही मौत के पास अंतिम शब्द है। वे बतलाते हैं कि मौत अंत नहीं है। वे इस शत्रु पर विजयी हुए हैं जिससे हम केवल अपनी शक्ति से बच नहीं सकते।"  

हालांकि, ऐसे समय में, जब बीमारी अब भी खबरों का केंद्र बनी हुई है, हम दूसरे चिन्ह पर ध्यान केंद्रित करें, महिला की चंगाई पर। उसके स्वस्थ से बढ़कर, उसके प्रेम पर ध्यान दिया गया है, क्यों? वह रक्त स्राव से पीड़ित थी और इसलिए, उस समय की मानसिकता के अनुसार अशुद्ध समझी जाती थी। अतः वह एक हाशिये पर जीवनयापन करनेवाली महिला थी, वह किसी से स्थायी संबंध नहीं बना सकती थी, वह न पति, न परिवार और न ही एक सामान्य सामाजिक संबंध स्थापित कर सकती थी। क्योंकि वह अशुद्ध थी, एक बीमारी उसे अशुद्ध बना रही थी। वह एक घायल हृदय के साथ अकेली जी रही थी। संत पापा ने कहा, “जीवन की सबसे गंभीर बीमारी क्या है? कैंसर? टीबी अथवा महामारी? जी नहीं... जीवन की सबसे बड़ी बीमारी है, प्रेम का अभाव और दूसरों को प्यार नहीं कर पाना। यह बेचारी महिला रक्तस्राव से पीड़ित थी, किन्तु उसके कारण उसके लिए प्रेम की कमी थी क्योंकि वह सामाजिक रूप से दूसरों के साथ नहीं मिल-जुल सकती थी। और चंगाई में जो सबसे अधिक मायने रखती है वह है प्रेम की चंगाई। पर इसे कैसे पाया जाए?” हम अपने प्रेम पर चिंतन करें, क्या यह बीमार है या सुस्वस्थ? यदि यह बीमार है... येसु इसे चंगा कर सकते हैं।  

व्यर्थ की चीजों में इलाज की खोज

बिना नाम की इस महिला की कहानी, जिसमें हम सभी अपने आपको देखते हैं, एक उदाहरण है। सुसमाचार पाठ बतलाता है कि उसने चिकित्सा करने की बहुत कोशिश की थी, अनेकानेक वैदों के इलाज के कारण उसे बहुत कष्ट सहना पड़ा था और सब कुछ खर्च करने पर भी उसे कोई लाभ नहीं हुआ था। संत पापा ने कहा कि हम भी कई बार हमारे प्रेम की कमी का गलत इलाज अपनाते हैं। हम सोचते हैं कि सफलता और धन ही हमें खुशी प्रदान कर सकते हैं किन्तु प्रेम को खरीदा नहीं जा सकता, यह मुफ्त है। हम वर्चुवल (अभासी) की शरण लेते हैं किन्तु प्रेम ठोस है। हम अपने आपको वैसे स्वीकार नहीं कर पाते जैसे हम हैं और बाहय् मेकअप के पीछे छिपते हैं किन्तु प्रेम दिखावटी नहीं है। हम जादूगरों एवं गुरूओं से हल की खोज करते हैं जिसके कारण हम उसी स्त्री की तरह बिना पैसे एवं बिना शांति के हो जाते हैं।

अंततः उसने (स्त्री) येसु को चुना और उनके कपड़ों को छूने के लिए भीड़ में गई। अर्थात् उस स्त्री ने येसु से सीधे शारीरिक रूप से सम्पर्क करने की कोशिश की। खासकर, इस समय हम समझ सकते हैं कि सम्पर्क करना एवं संबंध बनाये रखना कितना महत्वपूर्ण है। येसु के साथ भी यही बात लागू होती है। कभी-कभी हम कुछ नियमों को पूरा कर देना तथा प्रार्थनाओं को दुहरा देना काफी समझते हैं जबकि येसु हमसे मुलाकात करने का इंतजार करते हैं कि हम उनके लिए अपना हृदय खोलें। उस महिला के समान हमें भी उनके कपड़े का स्पर्श करना है ताकि हम चंगे हो सकें। क्योंकि येसु के साथ संबंध गहरा करने के द्वारा ही हम अपने प्रेम में चंगाई प्राप्त करते हैं।

येसु की चंगाई भरी नजर  

येसु यही चाहते हैं। वास्तव में, हम पढ़ते हैं कि भीड़ होने के बावजूद येसु खोजते हैं कि किसने मुझे छूआ। शिष्य कह रहे थे : "आप देखते ही हैं कि भीड़ आप पर गिरी  पड़ती है...” किसने मुझे छुआ? यही येसु की नजर है। अनेक लोगों के बीच भी वे उस चेहरे एवं हृदय की खोज करते हैं जो विश्वास से भरा है। येसु हमारी तरह भीड़ को नहीं देखते बल्कि व्यक्ति को देखते हैं। वे अतीत के घावों एवं गलतियों पर नहीं रूकते बल्कि पापों एवं पूर्वाग्रहों से परे जाते हैं। हम सभी की एक कहानी है, और हम प्रत्येक जन अपने रहस्यमय जीवन में, अपनी कहानी की बुरी चीजों को अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन येसु उसे चंगा करने के लिए जानते हैं। जबकि हम दूसरों की बुराई देखना पसंद करते हैं। कई बार जब हम बात करते हैं गपशप करने लग जाते हैं। दूसरों की शिकायत करना, उनका खाल खींचना शुरू करते है। संत पापा ने कहा, "पर देखिये : यह जीवन का कौन सा क्षितिज है? यह येसु के समान नहीं है जो हमेशा बचाने का उपाय देखते हैं। वे आज को भली इच्छा से देखते हैं और हमारे बुरे इतिहास को भी नहीं देखते। येसु पाप के परे जाते, वे पूर्वाग्रह से ऊपर उठते हैं।"   

वे दिखावटी में नहीं रूकते बल्कि हृदय तक पहुँचते हैं। येसु उसे चंगाई प्रदान करते हैं जिसको सभी लोगों ने बेकार समझा था, अशुद्ध मान लिया था। वे बड़े स्नेह से उसे “बेटी” पुकारते हैं। (34) येसु का व्यवहार था, सामीप्य, सहानुभूति और कोमलता, वे कहते हैं “बेटी” और खुद पर भरोसा को बनाये रखते हुए उसके विश्वास की सराहना करते हैं।

प्रेम ही हृदय को चंगा कर सकता है

संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, “बहनो एवं भाइयो, आप जो यहाँ हैं येसु को देखने दें और अपने हृदय को उन्हें चंगा करने दें। मुझे भी ऐसा करना है :  येसु को अपने हृदय को देखने देना और चंगा करने देना है। यदि आपने उनके स्नेहिल नजरों को पहले ही अनुभव कर लिया है तो उनका अनुकरण करें, वे जैसा करते हैं वैसा ही करें। अपने आसपास देखें, और आप देखेंगे कि आपके अगल-बगल रहनेवाले घायल और अकेलापन महसूस करते हैं। उन्हें प्रेम किये जाने के एहसास की आवश्यकता है। येसु आपसे एक ऐसी नजर की मांग करते हैं जो केवल बाहर, दिखावटी में नहीं रूकती बल्कि हृदय तक पहुँचती है। एक नजर जो न्याय नहीं करती। आइये हम दूसरों का न्याय करना छोड़ें येसु एक ऐसे नजर की मांग करते हैं जो न्याय नहीं करती बल्कि स्वागत करती है। दूसरों का स्वागत करने के लिए हम अपना हृदय खोलें क्योंकि केवल प्रेम जीवन को चंगा कर सकता है। केवल प्रेम जीवन को स्वस्थ कर सकता है।

हमारी माता मरियम, दुखियों की दिलासा, हमें उन लोगों के लिए स्नेह प्रदान करने में मदद दे जिनका हृदय घायल है और जो हमारी यात्रा में हमसे मुलाकात करते हैं।

संत पापा ने पुनः जोर देते हुए कहा, “किसी व्यक्ति का न्याय नहीं करें, उनकी सामाजिक सच्चाई पर न्याय न करें। ईश्वर सभी को प्यार करते हैं। इसलिए न्याय नहीं करें दूसरों को जीने दें और प्रेम से अपने निकट आने दें।"

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना में संत पापा का संदेश

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27 June 2021, 16:04