संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना : अपने जीवन में ईश्वर की उपस्थिति पहचानें

संत पापा फ्राँसिस ने रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित कर, याद दिलाया कि ईश्वर की अदृश्य उपस्थिति हमारे जीवन एवं इतिहास में हमेशा सक्रिय है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 13 जून 2021 (रेई)- संत पापा फ्रांसिस ने रविवार 13 जून को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

दृष्टांत, जिनको आज की धर्मविधि प्रस्तुत करती है, दोनों दृष्टांत, बिलकुल  सामान्य जीवन से प्रेरित हैं और येसु की चौकस दृष्टि को प्रकट करते हैं जो वास्तविक एवं छोटी दैनिक छवियों के द्वारा ईश्वर के रहस्य एवं मानव जीवन की खिड़कियों को खोलते हैं। येसु समझने के लिए सहज तरीके से बोलते थे, वे दैनिक जीवन की वास्तविक छवि से बोलते थे। इस प्रकार वे हमें हर दिन की चीजों के द्वारा भी सीख देते हैं जो कभी-कभी एक समान दिखाई पड़ते और जिन्हें हम भटके मन एवं थकान में पूरा करते जबकि उनमें ईश्वर की उपस्थिति छिपी रहती है, अर्थात् उनका एक अर्थ है, कि हमें भी चौकस आँख की जरूरत है जिससे कि हम "हर चीज में ईश्वर को पाना जान सकें।" 

ईश्वर हमारे जीवन में क्रियाशील

आज येसु ईश्वर के राज्य की तुलना करते हैं अर्थात् उनकी उपस्थिति चीजों और दुनिया के केंद्र में हैं, राई का दाना जो सभी बीजों से छोटा है फिर भी यदि उसे जमीन पर डाला जाए, तो वह बढ़कर विशाल पेड़ बन जाता है। (मार. 4,31-32). ईश्वर ऐसा ही करते हैं। कई बार दुनिया के शोरगुल, अनेक प्रकार के क्रिया-कलाप जो हमारे दैनिक जीवन को व्यस्त बना देते, हमें रूकने और देखने नहीं देते कि प्रभु इतिहास को किस रास्ते पर ले जाना चाहते हैं। फिर भी, सुसमाचार हमें आश्वासन देता है कि ईश्वर क्रियाशील हैं, उस छोटे अच्छे बीज की तरह जो चुपचाप और धीरे से अंकुरित होता है। और धीरे धीरे विशाल पेड़ बनता है जो सभी को जीवन एवं विश्राम प्रदान करता है। हमारे अच्छे कार्यों के बीज भी छोटे लग सकते हैं, लेकिन जो कुछ अच्छा है ईश्वर से आता है। इस प्रकार यह विनम्रता एवं धीरज से फल लाता है। यह अच्छी बात है, आइये हम याद रखें, हमेशा विनम्र, छिपे एवं अक्सर अदृश्य रूप में बढ़ें।     

ईश्वर की उपस्थिति को पहचानें

 संत पापा ने कहा, “प्यारे भाइयो एवं बहनो, इस दृष्टांत के द्वारा येसु हमें दृढ़ता प्रदान करना चाहते हैं। जीवन की कई परिस्थितियों में, अक्सर, ऐसा हो सकता है कि हम निराश हो जाते हैं, क्योंकि अच्छाई की तुलना में बुराई अधिक प्रबल दिखाई पड़ती है और हम भ्रम में लकवाग्रस्त हो सकते हैं जब हम पाते हैं कि हम कठिन परिश्रम कर रहे हैं किन्तु परिणाम नहीं मिल रहा है और चीजों के बदलने की उम्मीद नहीं है। सुसमाचार हमें अपने आप को एवं वास्तविकता को पुनः झांककर देखने के लिए कहता है। यह हमें वृहद दृष्टि की मांग करता है जिसके द्वारा हम दूर तक देख सकें। खासकर, दिखावे से परे, ताकि ईश्वर की उपस्थिति को देखा जा सके, जो एक विनम्र प्रेम की तरह हमारे जीवन एवं इतिहास की मिट्टी में लगातार काम करते हैं।  

यही हमारी दृढ़ता है, जो हमें हर दिन आगे जाने की शक्ति प्रदान करती है, धीरज पूर्वक अच्छाई के बीज बोते हुए जो फल लायेगी। यह मनोभाव महामारी से अच्छी तरह बाहर निकलने के लिए भी महत्वपूर्ण है। ईश्वर के हाथ में होने की दृढ़ता महसूस करने तथा सभी के लिए पुनः निर्माण करने और धीरज एवं दृढ़ता के साथ पुनः शुरू करने के लिए हम अपने आप को समर्पित कर सकें।  

हमारे जीवन में ईश्वर का कार्य

कलीसिया में भी, संदेह की जंगली घास जड़ जमा सकती है, खासकर, उस समय जब हम विश्वास के संकट एवं योजनाओं तथा प्रयासों की असफलता को महसूस करते हैं। किन्तु हम न भूलें कि बोने का परिणाम हमारी क्षमता पर निर्भर नहीं करता। वे ईश्वर के कार्य पर निर्भर करते हैं। यह हम पर निर्भर करता है कि हम प्रेम, समर्पण और धैर्य से बोयें। किन्तु बीज की शक्ति ईश्वरीय है। इसे येसु आज के दूसरे दृष्टांत में समझाते हैं : किसान बीज बोता है और नहीं जानता कि यह कैसे फल लाता क्योंकि बीज अपने आप दिन और रात बढ़ता है जबकि वह उसकी उम्मीद भी नहीं किया होता है। ईश्वर के साथ अत्यन्त बंजर भूमि में भी आशा के नये अंकुर की उम्मीद है।  

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना की कि अति निष्कलंक मरियम प्रभु की दीन सेविका ईश्वर की महानता को देख पाने में मदद दे जो छोटी चीजों में कार्य करते एवं निराश होने के प्रलोभन से बचता, हम उन्हें अपने प्रत्येक दिन को समर्पित करें।  

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना में संत पापा का संदेश

 

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13 June 2021, 16:08