जेनेवा में श्रमिक संगठन को सम्बोधित करते संत पापा फ्रांसिस जेनेवा में श्रमिक संगठन को सम्बोधित करते संत पापा फ्रांसिस 

आईएलओ से पोप ˸ 'आर्थिक सुधार और सभी कामगारों की सुरक्षा की तत्काल जरूरत'

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की स्थापना के 109 वर्ष पूरे होने पर, संत पापा फ्राँसिस ने एक वीडियो संदेश भेजा जिसमें उन्होंने हर प्रकार के काम में श्रमिक और प्रत्येक कार्यकर्ता के अधिकारों के महत्व पर जोर दिया, आर्थिक सुधार की उम्मीद में विशेषकर, इस समय, जब हम कोविड -19 महामारी से बाहर निकल रहे हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 17 जून 2021 (रेई)- संत पापा फ्रांसिस ने 17 जून को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक-संगठन के 109वें सम्मेलन को सम्बोधित किया।

संत पापा ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह सम्मेलन सामाजिक और आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण समय में आयोजित किया गया है, जब पूरी दुनिया में गंभीर और कठिन चुनौतियां हैं। उन्होंने महामारी के इस समय में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक-संगठन द्वारा सबसे कमजोर भाईबहनों पर विशेष ध्यान दिये जाने की सराहना की।

उन्होंने कहा, "इस लगातार संकट के समय में हमें सार्वजनिक भलाई के लिए "विशेष देखभाल" की जरूरत है। कई संभावित और अपेक्षित उथल-पुथल अभी तक प्रकट नहीं हुए हैं अतः सावधानी पूर्वक निर्णय लेने की जरूरत है।"

संत पापा ने बेरोजगारी बढ़ने एवं सार्वजनिक सेवाओं तथा कई व्यवसायों में कठिनाई बढ़ने पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "2020 में हमने पूरी दुनिया में रोजगार का अभूतपूर्व नुकसान देखा है।"

आइए हम, कोविड-19 भय के अंत में वृहद आर्थिक गतिविधियों की ओर लौटने से पहले, लाभ, अलगाव, राष्ट्रवाद, अंधे उपभोक्तावाद और हमारे समाज में अपने भाइयों और बहनों के खिलाफ "निरर्थक" भेदभाव, निर्धारण करने से बचें। दूसरी ओर उस समाधान के लिए कार्य करें, जो रोजगार के नये भविष्य का निर्माण करने में मदद दे, जो सभ्य और सम्मानजनक कामकाजी परिस्थितियों के आधार पर, सामूहिक बातचीत से उत्पन्न, एवं सार्वजनिक भलाई को बढ़ावा देने हेतु, एक ऐसा वाक्यांश हो, जो रोजगार को समाज और निर्माण के लिए हमारी देखभाल का एक अनिवार्य घटक बना देगा।

आप्रवासी एवं कमजोर श्रमिक

संत पापा ने कहा कि आप्रवासी जो बहिष्कार की भावना के शिकार हैं हम हमारे समाज में उन्हें इसी भावना से देखने के आदी हैं। आप्रवासी, वास्तव में दूसरे कमजोर श्रमिकों और उनके परिवारों के साथ, अकसर राष्ट्रीय स्वास्थ्य संवर्धन, बीमारी की रोकथाम, उपचार और देखभाल कार्यक्रमों के साथ-साथ वित्तीय सुरक्षा योजनाओं और मनोसामाजिक सेवाओं से वंचित होते हैं। संत पापा ने चेतावनी दी कि यह बहिष्कार कोविड-19 महामारी का सामने करने में जटिलता उत्पन्न करती है, संक्रमण के फैलने की जोखिम बढ़ाती जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त खतरा बढ़ जाता है।  

मुख्य चिंता

संत पापा ने कई बातों पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, यह कलीसिया का आधारभूत मिशन है कि वह सभी को एक साथ काम करने के लिए एकजुट करे ताकि सार्वजनिक भलाई को सहयोग दिया जा सके, जिसका उद्देश्य है सबसे बढ़कर, "सभी लोगों के बीच शांति और विश्वास जगाना और मजबूत करना।”

उन्होंने कहा कि कमजोर लोगों को चर्चा के विषय से अलग रखा नहीं जा सकता जहाँ सरकार, व्यवसायियों और श्रमिकों को एक साथ लाया जाना चाहिए।  

सेतु निर्माता के रूप में कलीसिया

संत पापा ने कहा कि इस संबंध में यह आवश्यक है कि सभी सम्प्रादयों एवं धार्मिक समुदायों को एक साथ आना चाहिए। वार्ता में भाग लेने में कलीसिया का अनुभव पुराना है ...और वह उनकी मदद करने में अपने आपको सेतु निर्माता के रूप में दुनिया को समर्पित करती है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि जिन्हें अधिक अधिकार है अथवा कम अधिकार है वे ही एक दूसरे के साथ वार्ता कर सकते हैं।

दुर्बलता के आधार पर सुरक्षा

तब संत पापा ने गौर किया कि कलीसिया के मिशन के लिए यह भी सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी कमजोर लोग अपनी आवश्यकता के आधार पर सुरक्षा पा सकें।  

बीमारी, उम्र, विकलांग, विस्थापन, हाशिये पर जीवनयापन करनेवाले या दूसरों पर आधारित लोग। संत पापा ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा प्रणालियाँ, जो स्वयं बड़ी जोखिमों का सामना कर रही हैं, उनका समर्थन और विस्तार किया जाना चाहिए ताकि स्वास्थ्य सेवाओं, भोजन और बुनियादी मानवीय जरूरतों तक पहुँच सुनिश्चित हो सके।

मौलिक अधिकारों का सम्मान

उन्होंने आगे कहा कि "श्रमिकों और सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा उनके मौलिक अधिकारों के सम्मान के माध्यम से सुनिश्चित की जानी चाहिए", जिसमें संघों में संगठित होने का अधिकार भी शामिल है।

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17 June 2021, 16:37