रोम के आजीवन डीकनों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांसिस रोम के आजीवन डीकनों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांसिस 

उपयाजक कलीसिया में सेवा के संरक्षक, पोप

संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 19 जून को रोम धर्मप्रांत के आजीवन उपयाजकों (डीकन) से मुलाकात की तथा उनकी भूमिका पर चिंतन किया। शनिवार को लगभग 500 उपयाजकों ने अपने परिवारों के साथ संत पापा से मुलाकात की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 19 जून 2021 (रेई)- रोम के आजीवन उपयाजकों को सम्बोधत करते हुए संत पापा ने उपयाजकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। वाटिकन द्वितीय महासभा के दस्तावेज लुमेन जेन्सियुम में उपयाजक पद के बारे कहा गया है कि उपयाजकों पर हाथ रखा जाता है "पुरोहिताई के लिए नहीं बल्कि सेवा के लिए।"

झुकना और सेवा करना

संत पापा ने कहा, "उपयाजक, खासकर, लोगों की सेवा के लिए समर्पित होते हैं। वे हमें स्मरण दिलाते हैं कि कलीसियाई शरीर में कोई अपने आपको ऊपर नहीं रख सकता। कोई भी एकदूसरे से बढ़कर नहीं हो सकता।"

"हम सभी झुकने के लिए बुलाये गये हैं क्योंकि येसु झुके, उन्होंने अपने आपको सभी का सेवक बनाया। कलीसिया में यदि कोई बड़ा है तो सिर्फ वे हैं जिन्होंने अपने आप को सबसे छोटा और सबका सेवक बनाया।" संत पापा ने कहा कि "येसु के शिष्यों के लिए प्रेम करने का अर्थ है सेवा करना और सेवा करने का अर्थ है राज्य करना। सेवा में ही शक्ति है किसी दूसरी चीज में नहीं।"

संत पापा ने चेतावनी दी कि यदि सेवा के आयाम को न जीया जाए तो यह खोखला हो जाएगा और यदि कोई प्रेरिताई अंदर से खोखली होती है तो वह फलहीन हो जाती एवं धीरे-धीरे दुनियादारी की ओर बढ़ती है। उपयाजक कलीसिया को याद दिलाते हैं कि कलीसिया का हृदय प्रेम से प्रज्वलित है। यह एक विनम्र हृदय है जो सेवा से धड़कता है। उपयाजक संत फ्रांसिस की तरह दीनता एवं खुशी से सेवा करते हुए ईश्वर के सामीप्य को दूसरों के लिए प्रदान करते हैं। वे ईश्वर की विनम्रता की महानता को प्रकट करते हैं जो सबसे पहले कदम बढ़ाते और उन लोगों के पास भी जाते हैं जो उनसे अपना मूँह मोड़ते हैं।

उदारता और प्रबंधन

संत पापा ने उपयाजकों को याद दिलाते हुए कहा, "आज, एक-दूसरे आयाम पर भी ध्यान देना है। पुरोहितों की संख्या में कमी उन्हें पुरोहिताई का स्थान लेने की प्रतिबद्धता के लिए प्रेरित करता है जो महत्वपूर्ण है किन्तु यह उपयाजक के विशिष्ट स्वभाव को नहीं बदल सकता। महासभा जोर देता है कि उपयाजक सबसे बढ़कर उदारता एवं प्रबंधन के कार्यों के लिए समर्पित है।

इस संबंध में उन्होंने आरम्भिक कलीसिया की याद आती है जहाँ उपयाजक धर्माध्यक्षों की ओर से विश्वासियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते थे और खासकर, गरीब एवं बीमार लोगों की देखभाल करते थे।

आधे पुरोहित नहीं

संत पापा ने उन्हें उदार कार्यों में सहयोग देने एवं गरीबों के निकट रहने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि इस तरह वे अपनी दिशा से नहीं भटकेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि उपयाजक "आधे पुरोहित अथवा भोग-विलासी वेदी सेवक" नहीं हैं बल्कि देखभाल करनेवाले सेवक हैं जो सभी का ख्याल रखते हैं ताकि कोई भी न छूटे और ईश्वर का ठोस प्रेम लोगों के जीवन को स्पर्श करे। संत पापा ने कहा कि उपयाजकों की आध्यात्मिकता के सार को इन शब्दों में इस प्रकार प्रकट किया जा सकता है – अंदर से उपलब्ध और बाहर से खुलापन, हृदय से तत्पर और "हाँ" कहने के लिए तैयार।

संत पापा ने रोम के उपयाजकों से आपेक्षा की कि वे विनम्र, अच्छे पति एवं पिता बनें तथा प्रहरी बनकर ख्रीस्तीय समुदाय में गरीबों में येसु को देखने के लिए प्रेरित करें।

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19 June 2021, 15:12