म्यांमार का झंडा लिए धर्मबहने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में म्यांमार का झंडा लिए धर्मबहने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में 

रोम में म्यांमार काथलिकों के साथ संत पापा का पवित्र मिस्सा

16 मई को संत पापा फ्राँसिस रोम में रहने वाले म्यांमार काथलिकों के साथ पवित्र मिस्सा समारोह का अनुष्ठान करेंगे। संत पापा ने म्यांमार में संवाद और शांति के लिए कई बार अपील किया है। 1 फरवरी के सैन्य तख्तापलट के बाद से देश संघर्ष का सामना कर रहा है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 5 मई 2021 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस रोम में रहने वाले म्यांमार के काथलिकों के लिए 16 मई सुबह 10 बजे संत पेत्रुस महागिरजाघर में प्रभु के स्वर्गारोहन महोत्सव का ख्रीस्तयाग अर्पित करेंगे।

 म्यांमार के लिए संत पापा का यह संकेत माता मरियम के महीने के दौरान आता है, संत पापा ने दुनिया भर में मरियम तीर्थस्थलों को शामिल करते हुए, महामारी के अंत के लिए इस महीने को समर्पित किया है है। 1 मई को,संत  पापा ने संत पेत्रुस महागिरजाघऱ में पहले पड़ाव के साथ मैराथन प्रार्थना का उद्घाटन किया।

इस बीच, म्यांमार के कार्डिनल चार्ल्स बो ने देश में शांति, न्याय और मानवीय गरिमा के लिए काथलिकों से इस महीने के दौरान रोज़री प्रार्थना करने और पवित्र साक्रामेंट की आराधना में भाग लेने का आग्रह किया है।

रविवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में स्वर्गीय रानी प्रार्थना के बाद संत पापा फ्राँसिस ने म्यांमार के कलीसिया की पहल का उल्लेख करते हुए कहा कि वे उनके दिल के बहुत करीब हैं। उन्होंने कहा कि यह "हमें हमारे दैनिक रोज़री में म्यांमार में शांति के लिए एक प्रणाम मरिया प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित करता है।"

संत पापा ने कहा, "जब हम जरूरत में या कठिनाई में होते हैं, तो हम में से प्रत्येक अपनी मां की ओर मुड़ जाता है।" "इस महीने, हम माता मरियम को म्यांमार के सभी नेताओं के दिलों की बात करने के लिए कहते हैं ताकि वे वार्तालाप, सुलह और शांति के रास्ते पर चलने का साहस जुटा सकें।"

व्यापक हिंसा

1 फरवरी के तख्तापलट के बाद से हिंसा फैल गई है, जिसमें सेना ने आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंका और लोकतंत्र की ओर धीमी प्रगति के वर्षों को पीछे छोड़ दिया।

एक राष्ट्रव्यापी विरोध, हड़ताल और सविनय अवज्ञा आंदोलन पुरे राष्ट्र में फैल गया है, लोग आंग सान सू की और अन्य नेताओं की रिहाई और लोकतंत्र की बहाली की मांग कर रहे हैं। सुरक्षा बलों द्वारा कम से कम 766 नागरिकों के मारे जाने की सूचना है।

सेना का टकराव हवाई हमले, भारी तोपखाने और म्यांमार की सीमाओं पर सेनाओं के खिलाफ जातीय विद्रोह जमीनी हमलों के साथ व्यापक हो गया है, जो हजारों नागरिकों को विस्थापित कर रहा है।

म्यांमार के लिए संत पापा की निकटता

2017 में म्यांमार का दौरा करने वाले संत पापा ने 1 फरवरी के तख्तापलट के बाद, देश में बातचीत और शांति के लिए कई अपील की है।

शांति के लिए उनकी पहली अपील 7 फरवरी, रविवार को आई थी, जब उन्होंने म्यांमार के सैन्य नेताओं के लिए प्रार्थना की कि वे एक “ लोकतांत्रिक सामंजस्य के लिए सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने, जनहित की सेवा में खुद को तत्परता के साथ समर्पित करें। आइए, हम म्यांमार के लिए प्रार्थना करें। ”

3 मार्च को फिर से, संत पापा ने बातचीत और सद्भाव के लिए अपनी आवाज उठाई ताकि म्यांमार के लोगों की आकांक्षा हिंसा से प्रभावित न हो। उन्होंने आग्रह किया कि युवाओं को भविष्य की उम्मीद है जहां नफरत और अन्याय वार्तालाप और मेल-मिलाप का रास्ता बना सके।

वाटिकन में 17 मार्च को अपने आम दर्शन के दौरान बोलते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने कहा, “मैं भी म्यांमार की सड़कों पर घुटने टेकता हूँ और कहता हूँ: हिंसा बंद करें! मैं भी अपनी बाहें फैलाये हुए कहता हूँ: संवाद को शुरु करें! " उनके शब्द म्यांमार काथलिक धर्मबहन के शक्तिशाली इशारे से प्रेरित थे, काचिन राज्य की राजधानी मित्किना की धर्मबहन एन रोजा नू तावंग, जिन्होंने 28 फरवरी को हर डर को अलग रखा और सशस्त्र सुरक्षा बलों से संपर्क किया और उनसे अपने घुटनों पर हाथ जोड़कर निवेदन किया कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को नुकसान नहीं पहुंचायें।

 4 अप्रैल को ईस्टर रविवार को अपने उरबी एट ओरबी संदेश में, संत पापा ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देश के युवा लोगों के लिए अपनी निकटता व्यक्त की और कहा कि वे "लोकतंत्र का समर्थन करने और अपनी आवाज़ को शांति से सुनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, उन्हें इस बात का ज्ञान है कि नफरत को केवल प्यार से दूर किया जा सकता है।”

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05 May 2021, 13:56