पोप द्वारा संचालित क्रूस रास्ता के केंद्र में बच्चों की आशा
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 3 अप्रैल 2021 (रेई)- दुनियाभर के लोगों के एकाकीपन, अपने परिवारों एवं मित्रों से अलग, अपने कामों और जीविका से वंचित, डर एवं अपने तथा अपने बच्चों के भविष्य की अनिश्चितता में जीना आदि पर क्रूस-रास्ता में चिंतन किया गया।
यह दूसरी बार है जब संत पापा फ्राँसिस ने पुण्य शुक्रवार के दिन संत पेत्रुस के खाली प्राँगण में क्रूस-रास्ता में भाग लिया है। कोविड-19 महामारी के कारण लगे प्रतिबंधों के कारण क्रूस रास्ता को खाली संत पेत्रुस प्राँगण में सम्पन्न किया गया।
क्रूस रास्ता का संचालन संत पापा फ्राँसिस ने बच्चों के साथ किया जो अपने माता पिता, शिक्षकों और प्रचारकों के साथ आये थे। बच्चों में से कुछ ने बारी बारी से क्रूस रास्ता की प्रार्थना पढ़ी जबकि कुछ बच्चों ने क्रूस और बत्तियों को ढोने का काम किया।
संत पापा ने इस साल के क्रूस रास्ता को लिए बच्चों एवं युवाओं को तैयारी करने का भार दिया था जो आशा एवं भविष्य के प्रतीक हैं।
परम्परागत क्रूस रास्ता
50 वर्षों पहले संत पापा पौल छटवें ने क्रूस रास्ता की पुरानी परम्परा को सन् 1964 में पुनर्जीवित किया था। येसु के दुःखभोग एवं मृत्यु की यादगारी में संत पापाओं ने क्रूस रास्ता की इस परम्परा को रोम के कोलोस्सेयुम में जारी रखा। कोवड-19 महामारी के कारण पिछले साल से इस क्रूस रास्ता को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में किया जा रहा है और वाटिकन के संचार माध्यमों द्वारा लाखों विश्वासी इसे देख पा रहे हैं।
क्रूस रास्ता के हर स्थान पर, येसु के दुःखभोग की घटना से संबंधित सुसमाचार पाठ, चिंतन और संत पापा द्वारा प्रार्थना एवं गीत गाये गये।
शब्दों की आवश्यकता नहीं
संत पापा फ्राँसिस ने महसूस किया कि शब्दों की आवश्यकता नहीं थी अतः उन्होंने क्रूस रास्ता के उपरांत उपदेश नहीं दिया। चुप्पी और क्रूस पर चिंतन ही, वायरस के कारण पीड़ित एवं असहाय, मौन विश्व को बताने के लिए सबसे प्रभावशाली माध्यम था जहाँ लोग हाशिये पर जीवन यापन कर रहे हैं, बेरोजगारी, गरीबी, अन्याय और उदासीनता के वायरस के कारण मौत एवं निराशा के शिकार हो रहे हैं।
बच्चे : भविष्य की आशा
14वें एवं अंतिम स्थान पर प्रकाश डाला गया कि किस तरह बच्चे और युवा, पुनर्जन्म की कुँजी एवं आशा हैं। प्रार्थना की गई कि "प्रभु करुणावान पिता, इस साल हमने पुनः आपके पुत्र येसु के क्रूस रास्ता में भाग लिया है। हमने बच्चों की आवाज एवं प्रार्थना को सुनते हुए उनका अनुसरण किया है जिनको तूने ही स्वर्गराज में प्रवेश करने हेतु हमारे लिए आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया है।" हमें उनके समान बनने में सहायता दे, हर जरूरत में जीवन के लिए खुला होने। हम हृदय की शुद्धता पुनः प्राप्त कर सकें और हम चीजों को स्पष्ट प्रकाश में देख सकें। हम याचना करते हैं कि हमारे विश्व के सभी बच्चों को आशीष दे एवं उनकी रक्षा कर। सभी बच्चे प्रज्ञा, उम्र और कृपा में बढ़ सकें और इस तरह उनकी खुशी के लिए आपकी विशेष योजना को जान सकें और उसपर चल सकें।
अंत में, संत पापा ने अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया, बच्चों को उनके चिंतन के लिए धन्यवाद दिया और महागिरजाघर की ओर प्रस्थान किया।
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