संत पेत्रुस महागिरजाघर में मिस्सा का अनुष्ठान करते हुए संत पापा फ्राँसिस संत पेत्रुस महागिरजाघर में मिस्सा का अनुष्ठान करते हुए संत पापा फ्राँसिस 

धैर्य समर्पित पुरुषों और महिलाओं की पहचान है, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने प्रभु के समर्पण के अवसर पर पवित्र ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान किया। इसे विश्व समर्पित जीवन दिवस के रूप में मनाया जाता है। संत पापा ने अपने प्रवचन में, समर्पित पुरुषों और महिलाओं को आगे बढ़ने, नए रास्ते तलाशने और पवित्र आत्मा के संकेत का जवाब साहस और धैर्य के साथ देने हेतु आह्वान किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 3 फरवरी 2021 (वाटिकन न्यूज) :  संत पापा फ्राँसिस ने 2 फरवरी मंगलवार शाम को वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में प्रभु के समर्पण का पवित्र ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान किया। संत पापा ने अपने प्रवचन को धर्मी पुरुष सिमेयोन के वचनों पर केंद्रित किया जो इस्राएल की सांत्वना की प्रतीक्षा में था।(लूकस 2:25)

सिमेयोन का धैर्य

संत पापा ने कहा, "हम सिमेयोन के धैर्य को करीब से गौर करें," सिमेयोन ने अपना पूरा जीवन प्रभु के इंतजार में लगा दिया। वह अपने में धैर्य का अभ्यास कर रहा था। अनुभव से सिमेयोन ने सीखा था कि ईश्वर असाधारण घटनाओं में नहीं आते हैं, लेकिन हमारे दैनिक जीवन की स्पष्ट एकरसता के बीच, हमारी गतिविधियों की  छोटी चीजों को ध्यान और विनम्रता के साथ काम करते हैं और उसकी इच्छा को करने के हमारे प्रयासों में हम ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव करते हैं।”

संत पापा ने कहा कि सिमेयोन के लंबे जीवन में निश्चित रूप से चोट और मुश्किल समय आया था, लेकिन उन्होंने आशा नहीं खोई: "धैर्य की लौ अभी भी उनके दिल में उज्ज्वल रूप से जलती थी।" ईश्वर के वादे पर भरोसा करके, उन्होंने खुद को अफसोस या निराशा की भावना से भस्म नहीं होने दिया।

 उन्होंने कहा, "उनकी आशा और अपेक्षा को एक ऐसे व्यक्ति के दैनिक धैर्य में अभिव्यक्ति मिली, जो सब कुछ के बावजूद, चौकस बने रहे, जब तक कि वादा के अनुसार उनकी आँखों ने 'मुक्तिदाता' का दर्शन न कर लिया।"

ईश्वर के अपने धैर्य का दर्पण

संत पापा ने कहा कि सिमेयोन का धैर्य ईश्वर के अपने धैर्य का दर्पण था। वास्तव में,  सिमेयोन ने प्रार्थना और अपने लोगों के इतिहास से, "एक दयालु, क्रोध न करने वाले और स्थिर प्रेम एवं निष्ठावान प्रभु ईश्वर" के बारे में  सीखा था।

संत पापा ने कहा कि  संत पौलुस रोमियों के नाम प्रत्र में लिखते हैं कि धैर्य "हमें पश्चाताप की ओर ले जाता है," और जर्मन पुरोहित एवं लेखक, रोमानो गार्डिनी के हवाले से, जिन्होंने एक बार अवलोकन किया था कि धैर्य हमारी कमजोरियों का जवाब देने का ईश्वर का तरीका है वे हमें खुद को बदलने के लिए समय देते हैं। संत पापा  ने कहा कि येसु मसीह को जिसे सिमेओन ने अपनी बाहों में लिया था, हमें ईश्वर के धैर्य को दिखाता है, दयालु पिता जो हमें बुलाते रहते हैं, यहां तक कि हमारे जीवन के अंतिम समय में भी।”

ईश्वर, पूर्णता की मांग नहीं करते हैं, लेकिन हमेशा नई संभावनाओं को खोलते हैं, जब लगता है कि सब खो गया तो ईश्वर हमारे कठोर दिलों में एक दरार बना देते हैं।

ईश्वर कभी हमारी प्रतीक्षा करते नहीं थकते

संत पापा ने कहा, "यह हमारी आशा का कारण है: ईश्वर कभी भी हमारी प्रतीक्षा करते नहीं थकते, जब हम दूर हो जाते हैं, तो वे हमारी तलाश करने आते हैं।" जब हम गिरते हैं, तो वे हमें अपने पैरों पर उठाते है, जब हम रास्ता भटकने के बाद फ्र से उसके पास लौटते हैं, तो वह खुली बांहों से हमारा इंतजार करते हैं। उनके प्यार को नहीं तौला जा सकता, ईश्वर हमें नए सिरे से शुरुआत करने की हिम्मत देते हैं।”

हमारा धैर्य

संत पापा फ्राँसिस ने तब ईश्वर के धैर्य और सिमेयोन के धैर्य पर चितन करने हेतु सभी समर्पित महिलाओं और पुरुषों और धर्मसंघियों को आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, धैर्य, केवल कठिनाइयों को सहन करने या कठिनाई का सामना करने में कड़ा निश्चय दिखाने के बारे में नहीं है, "यह कमजोरी का संकेत नहीं है, लेकिन आत्मा की ताकत जो हमें व्यक्तिगत और सामुदायिक समस्याओं का बोझ उठाने में सक्षम बनाती है, दूसरों से खुद को अलग मानें, जब सब खो जाए तो भी अपने अंदर की अच्छाई को बनाए रखें। थकान और बेचैनी को दूर करते हुए आगे बढ़ते रहें। ”

उन्होंने तीन स्थानों का जिक्र किया जहाँ हम ठोस रुप से धर्य का अभ्यास करते हैं : व्यक्तिगत जीवन, सामुदायिक जीवन और दुनिया से हमारा रिश्ता

व्यक्तिगत जीवन

हमारा व्यक्तिगत जीवन, जिस तरह से हमने प्रभु के आह्वान का जवाब दिया है वह  निराशा और शक्तिहीनता की भावनाओं के कारण हमेशा स्थिर नहीं रहा है।

उन्होंने कहा, “समर्पित पुरुष और महिला के रूप में, यह भी हो सकता है कि हमारे जीवन में आशा धीरे-धीरे घटती चली जाए। फिर भी हमें अपने आप के साथ धैर्य रखना होगा और ईश्वर के अपने समय और स्थानों की राह देखनी होगी, क्योंकि वे अपने वादों के प्रति हमेशा वफादार हैं। अपने जीवन में हतोत्साहित होने के बजाय, इसे याद रखने से हमें अपने कदमों को वापस लाने और अपने सपनों को फिर से जीवित करने में मदद मिल सकती है।”

संत पापा ने कहा, "हम समर्पित दुखी व्यक्तियों में हमारे भीतर में दुःख एक कीड़े की तरह है: एक कीड़ा, हमें भीतर से खा रहा है। अतः इस आंतरिक दुःख से उबरें!"

सामुदायिक जीवन

उन्होंने कहा कि मानवीय रिश्ते हमेशा शांतिमय नहीं होते हैं, खासकर जब वे सामुदायिक जीवन या प्रेरितिक गतिविधि को साझा करते हैं: ऐसे समय जब टकराव पैदा होते हैं और तत्काल समाधान की उम्मीद नहीं की जा सकती है और न ही जल्दबाजी में निर्णय किए जाने चाहिए। शांति को बनाए रखने के लिए और उदारता एवं सच्चाई में स्थितियों को सुलझाने के लिए बेहतर समय की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता होती है। संत पापा ने उन समर्पित पुरुषों और महिलाओं से आग्रह किया जो इस तरह के समुदाय में रहते हैं वे पारस्परिक धैर्य को बनायें रखें। एक दूसरे को समर्थन दें अर्थात अपने कंधों पर सामुदायिक जीवन का वहन करें,जिसमें उसकी कमजोरियां और असफलताएं भी शामिल हैं।”

संत पापा ने कहा, "हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रभु हमें एकलवादी होने के लिए नहीं बुलाते हैं," और कलीसिया में प्रभु हमें "संगीत का हिस्सा बनने के लिए कहते हैं, कभी-कभी एक या दो नोट गलत हो सकते हैं, लेकिन हमें हमेशा एकजुट होकर गाने का प्रयास करना चाहिए। ”

दुनिया से हमारा रिश्ता

संत पापा ने कहा कि धैर्य का अभ्यास करने का स्थान हमारा समाज हमारी दुनिया है जहाँ हम रहते हैं। संत पापा ने सिमेयोन और अन्ना के धैर्य को पुनः याद किया कि किस तरह से उन्होंने इतिहास के अंधेरे में बिना शिकायत के धीरज के साथ भविश्यवाणी को पूरा होने का इन्तजार किया। "हमें भी उस तरह के धैर्य की आवश्यकता है, ताकि हम विलाप के जाल में न पड़ें।" 'दुनिया अब हमारी नहीं सुनती है', या 'हमारे पास और अधिक शब्द नहीं हैं', 'ये आसान समय नहीं हैं।" उन्होंने कहा, "ऐसा हो सकता है कि ईश्वर भी धैर्यपूर्वक इतिहास और हमारे दिलों में कार्य करना चाहते हैं और हम खुद को अधीर दिखाते हैं और तुरंत न्याय करना चाहते हैं। इस तरह, हम उम्मीद खो बैठते हैं।”

धैर्य और दयालुता

संत पापा फ्राँसिस ने अपने प्रवचन को समाप्त करते हुए कहा कि हम जिस तरह से अपने आप को, अपने समुदायों और हमारी दुनिया को देखते हैं धैर्य हमें दयालु होने में मदद करता है।"

उन्होंने सभी विश्वासियों और धर्मसंघियों को पवित्र आत्मा के धैर्य का स्वागत करने के लिए आमंत्रित किया,संत पापा ने कहा आप सदा एक-दूसरे का समर्थन करें सामूदायिक जीवन की खुशी को दूसरों को बांटें और धैर्य के साथ अपना सेवा कार्य जारी रखें।

 उन्होंने कहा, “ये हमारे समर्पित जीवन के लिए वास्तविक चुनौतियां हैं: हम अतीत के लिए उदासीन नहीं रह सकते हैं हमें आगे बढ़ने, नए रास्ते तलाशने और पवित्र आत्मा के संकेत का जवाब देने के लिए धैर्य और साहस की आवश्यकता है।”

कभी गपशप न करें, विनोद प्रवृति को न खोएं!

पवित्र मिस्सा के अंत में संत पापा ने समर्पित लोगों को दो हिदायतें दीः प्रहला- समुदाय में एक दूसरे की चुगली न करें। कभी गपशप न करें, यह सामुदायिक जीवन को बर्बाद करता है। दूसरा- अपनी विनोद प्रवृति, अपनी समझदारी को कम न करें। “यह गपशप विरोधी है, एक अच्छे दिल से आप खुद पर, स्थितियों पर, यहां तक कि दूसरों पर भी हँसना जानते हैं! इससे हमें बहुत मदद मिलती है।”

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

03 February 2021, 14:37