संत पापा लम्पेदूसा में पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान करते हुए संत पापा लम्पेदूसा में पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान करते हुए  

वाचक और वेदी सेवक प्रेरिताई में महिलाओं की स्वीकृति, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस कलीसियाई कानून की संख्या 230 में परिवर्तन लाते हुए लोक धर्मी महिलाओं द्वारा वाचक और वेदी सेवक प्रेरिताई को अनुमोदित किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 11 जनवरी 2021 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने मोतु प्रोप्रियो, "स्पिरितुस दोमिनी" (स्वप्रेरणा से रचित पत्र) के आधार पर वाचक और वेदी सेवा प्रेरिताई को महिलाओं के लिए अनुमोदित किया। 

वे महिलाएँ, जो पूजन धर्मविधि समारोहों के दौरान ईशवचन की घोषणा करती हैं या वेदी सेवक के रूप में या पवित्र परमप्रसाद का वितरण करती है जो निश्चित रूप में नया नहीं है: वरन यह दुनिया भर के कई समुदायों में अब धर्माध्यक्षों द्वारा अधिकृत प्रथा बन गई है। अबतक, हालांकि, यह सब वास्तविक संस्थागत जनादेश के बिना हुआ, हालांकि संत पापा पॉल छठे द्वारा 1972 में इन प्रेतिरिक कार्यो को केवल पुरुषों के लिए आरक्षित रखने का निर्णय लिया गया था। संत पापा फ्राँसिस ने धर्माध्यक्षों के विगत धर्माध्यक्षीय धर्मसभा में हुई विचारमंथन के मद्देनजर, इस प्रेरितिक कार्यों पर महिला की उपस्थिति को संस्थागत बनाना चाहा है।

बपतिस्मा प्राप्त लोकधर्मी की पुरोहिताई

संत पापा फ्राँसिस ने मोतू प्रोप्रियो "स्पिरितुस दोमिनी" द्वारा, कलीसिया की कानून संहिता 230 के पहले अनुच्छेद को संशोधित करते हुए महिलाओं को इन प्रेरितिक कार्यों में सहभागिता हेतु अनुमोदन दिया है, वे एक संस्थागत अधिनियम के आधार पर इनमें सहभागी होगीं। संत पापा फ्राँसिस निर्दिष्ट करते हैं कि वे विभिन्न धर्मसभाओं से आई सिफारिशों को स्वीकार करना चाहते थे, "हाल के वर्षों में हम एक सैद्धांतिक विकास तक पहुंच गए हैं जो इस बात को उजागर करती है कि कलीसिया द्वारा स्थापित कुछ प्रेरितिक कार्य बपतिस्मा संस्कार प्राप्त लोकधर्मी पुरोहिताई की सामान्य नींव पर आधारित है।”  संत पापा हमें यह मानने के लिए आमंत्रित करते हैं कि ये प्रेरिताई "पुरोहिताभिषेक संस्कार से प्राप्त होने वाले प्रेरिताई से अनिवार्य रूप में भिन्न हैं।"

लोकधर्मियों के प्रेरितिक कार्य

संत पापा फ्राँसिस ने अपने मोतू प्रोप्रियो के साथ संलग्न एक पत्र में विश्वास एवं धर्म सिद्धांत के लिए बनी परमधर्मपीठय समिति के अध्यक्ष, कार्डिनल लुईस लादारिया को संबोधित करते हुए, ईशशस्त्रीय कारणों की व्याख्या की जो द्वितीय वाटिकन महासभा के तथ्यों को नवीकृत करता है, "कलीसिया में बपतिस्मा ग्रहण किये लोगों की सह-जिम्मेदारी विशेषकर लोकधर्मियों के प्रेरितिक कार्य को परिभाषित करना”। संत पापा फ्राँसिस ने कार्डिनल लादारिया को लिखे पत्र में, संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के शब्दों को याद दिलाया कि "पुरोहिताभिषेक के संबंध में, कलीसिया के पास किसी भी तरह से महिलाओं के पुरोहिताभिषेक की शक्ति नहीं है।" उन्होंने यह भी लिखा कि प्रेरिताई अपने में संभंव है, यह उचित है कि वर्तमान में लोकधर्मी महिलाओं की प्ररिताई अपने आरक्षण के पार जाये।

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11 January 2021, 14:44