वीडियो संदेश देते संत पापा फ्राँसिस वीडियो संदेश देते संत पापा फ्राँसिस 

न्याय तभी सच्चा होता है जब यह लोगों का निर्माण करता है, न्यायधीशों से पोप

संत पापा फ्राँसिस ने अफ्रीका एवं अमरीका के सामाजिक अधिकारों की समिति के न्यायधीशों को एक विडीयो संदेश भेजा तथा अपील की कि वे न्याय, प्रतिष्ठा एवं समानता को बढ़ावा दें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन  सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 1 दिसम्बर 2020 (रेई)- संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को न्यायधीशों के एक वर्चुवल सभा को संदेश भेजा जो अफ्रीका एवं अमरीका के सामाजिक अधिकार के लिए समिति के सदस्य हैं।

संत पापा ने कहा, "अफ्रीका एवं अमरीका के प्यारे न्यायधीशों (पुरूष और महिला), मैं आपलोगों को इन शब्दों के साथ, आपके सुन्दर कार्य शुरू करने के पहले सम्बोधित करते हुए खुश हँ जिसका प्रस्ताव आप ने रखा है। सोचने, व्याख्या करने और "नया" सामाजिक न्याय का निर्माण करने के इस पहल के लिए मैं आपको बधाई देता हूँ।"

सामाजिक अधिकार के निर्माण हेतु 6 बिन्दु

संत पापा ने नियमित कार्यों से अवकाश लेकर मद्दों पर चिंतन करने हेतु न्यायधीशों की सराहना की एवं इस बात पर जोर दिया कि यह अभ्यास उन्हें अपने मिशन एवं सामाजिक जिम्मेदारी के पूर्ण आयाम को प्राप्त करने में मदद देगा। उन्होंने यह भी गौर किया कि यह अवसर समाज में चंगाई का एक मरहम है जो सत्ताधारियों एवं उनके निर्णय को संदेह एवं अविश्वास की नजर से देखता है।

सभा की विषयवस्तु थी, "सामाजिक न्याय का निर्माण, कमजोर स्थितियों में लोगों के मौलिक अधिकारों को पूर्णतया लागू करने की ओर।”

न्यायकर्ता कवि के समान

कसिना पियो 4 में आयोजित पहले की सभा की याद करते हुए संत पापा ने न्यायधीशों को स्मरण दिलाया कि सामाजिक आंदोलन के रूप में वे भी कवि हैं।

संत पापा ने रेखांकित किया कि जिस प्रकार एक कवि को वास्तविकता को सोचने, चिंतन करने, समझने और उसे शब्दों द्वारा आकार देने की जरूरत होती है, उसी तरह एक न्यायधीश को भी, हर वाक्य में, कविता बनाने की सुखद संभावना से गुजरना है। कविता जो गरीब के घाव को चंगा करती, ग्रह को एक करती, पृथ्वी एवं उसके सभी वंशजों की रक्षा करती – एक कविता मरम्मत करती, पुनः निर्देशित करती एवं पोषित करती है।"

न्यायधीश की भूमिका

न्यायधीशों का आह्वान करते हुए संत पापा ने अपील की कि वे संकल्प और साहस के साथ जिस अनुग्रह को धारण करते हैं उसे ग्रहण करें और इस बात से अवगत रहें कि वे जो कुछ भी अपनी ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ करते हैं वह बहुत महत्वपूर्ण है।

संत पापा ने उन्हें परामर्श दिया कि वे "याद रखें कि वह न्याय सचमुच न्यायोचित है जो राष्ट्रों और उनके लोगों को खुशी प्रदान करता, जबकि कोई भी ऐसा दण्ड न्याय संगत नहीं हो सकता और न ही कोई कानून वैध हो सकता है यदि वह असमानता उत्पन्न करता अथवा अधिकार का हनन, तिस्कार एवं हिंसा बढ़ाता है।"   

अंत में, संत पापा ने उन्हें सभा की सफलता की शुभकामना दी तथा स्मरण दिलाया कि "एक कविता जो बदलाव नहीं लाती, वह केवल एक मुट्ठी भर मृत शब्द है।”

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01 December 2020, 16:13