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सामाजिक अधिकार के निर्माण हेतु संत पापा ने 6 बिन्दु बतलाये

संत पापा फ्राँसिस ने अमरीका एवं अफ्रीका के सामाजिक अधिकार न्यायधीशों को एक वीडियो संदेश दिया तथा अपील की कि वे सामाजिक न्याय को पुनः आकार देने के लिए 6 बिन्दुओं को आधार बनायें।।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 1 दिसम्बर 2020 (रेई)- अफ्रीका एवं अमरीका के सामाजिक अधिकार न्यायधीशों को दिये संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने गौर किया कि सामाजिक न्याय की विचारधारा का निर्माण एवं विश्लेषण करने के लिए, सबसे पहले हमें उस आधार की ओर जाने की आवश्यकता है जिसपर यह आधारित है। इसके लिए 6 बिन्दु हैं।

वास्तविकता

पहला है वास्तविकता का आयाम। संत पापा ने कहा, "विचारधारा जिसपर आप कार्य करेंगे, वह कष्टदायक चित्र को अनदेखा न करे, जिसमें मानवता का एक छोटा सा हिस्सा अस्पष्ट रूप में रहता है, लोगों की बढ़ती संख्या के लिए उनकी गरिमा अज्ञात होता और उनके मानवाधिकारों की अनदेखी और उल्लंघन किया जाता है।”

न्याय का निर्माण

दूसरा बिन्दु हमें स्मरण दिलाता है कि किस तरह न्याय उत्पन्न किया जाए। संत पापा ने कहा, "मैं सामूहिक कार्य पर विचार कर रहा हूँ, एक साथ कार्य करने पर, जहाँ सभी लोग काल्पनिक आदर्श को चुनौती देते हैं तथा अच्छाई एवं प्यार की तरह, न्याय एक ऐसा काम है जिसे हर दिन जीतना चाहिए, क्योंकि हर पल असंतुलन एक प्रलोभन है। "यही कारण है कि हर दिन एक जीत है"।

समर्पण

तीसरा है कि इस नये सामाजिक न्याय को आकार देने एवं जोड़ने हेतु प्रतिबद्ध होना। संत पापा ने कहा, हमें पहचानना चाहिए कि दूसरों पर ध्यान नहीं देने का प्रलोभन बहुत अधिक है, खासकर, कमजोर लोगों को। बिना शर्त समर्पण द्वारा हमें दूसरों की पीड़ा को अपने ऊपर लेना चाहिए तथा उदासीनता की संस्कृति में नहीं पड़ना चाहिए।  

इतिहास

चौथा है इतिहास की विचारधारा को मार्गदर्शक अक्ष के रूप में लेना। हमारे सभी अनुभवों की जड़े अतीत में हैं, सामाजिक न्याय के उन लोगों की भी जिन्हें आज हम पुनः याद करना, बढ़ाना और मजबूत करना चाहते हैं।”

लोग

पाँचवां है लोग। इतिहास हमें लोगों की ओर ले जाता है। सुसमाचार से शुरू कर ईश्वर हमें जो उनके विश्वासी हैं आग्रह करते हैं कि हम ईश्वर के व्यक्ति बनें न कि ईश्वर के कुलीन। क्योंकि जो ईश्वर के कुलीन के रास्ते पर चलते हैं वे विख्यात कुलीन याजक बनकर रह जाते हैं जो लोगों के लिए कार्य करते किन्तु लोगों के साथ नहीं, और न ही लोगों के साथ होने का एहसास करते हैं।  

एकात्मता

6वाँ है एकात्मता। गरीबी, असमानता, रोजगार, जमीन एवं घर की कमी के संरचनात्मक कारणों की खोज करना। जमीन, छत और कार्य ये तीन चीजें हैं जो हमें योग्य बनाते हैं। संक्षेप में, संघर्ष, उन लोगों के खिलाफ है जो सामाजिक और श्रमिक अधिकारों को अस्वीकार करते हैं, उस संस्कृति के खिलाफ संघर्ष हैं जो दूसरों का उपयोग करने के लिए, दूसरों को गुलाम बनाने के लिए और दूसरों की गरिमा को समाप्त करने के लिए अग्रसर करता है। यह न भूलें कि एकात्मता के गहरे अर्थ को समझना, इतिहास का एक रास्ता है।

संत पापा ने संदेश के अंत में कहा कि धर्मी वे लोग हैं जो न्याय करते हैं। धर्मी जानता है कि कानून की रक्षा करते हुए हम गरीब व्यक्ति को वही चीज देते हैं जो आवश्यक है, हम उन्हें अपनी वस्तुएं नहीं देते, न ही तीसरे व्यक्ति की वस्तुएँ देते हैं बल्कि वही चीज लौटाते हैं जो उनका है।

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01 December 2020, 16:44