सन्त पापा फ्राँसिस मध्यान्ह देवदूत प्रार्थना के अवसर पर, तस्वीर 08.11.2020 सन्त पापा फ्राँसिस मध्यान्ह देवदूत प्रार्थना के अवसर पर, तस्वीर 08.11.2020 

व्यक्तियों एवं सृष्टि के सम्मान का सन्त पापा ने किया आह्वान

सन्त पापा फ्राँसिस ने गुरुवार को सन्त जोसफ कालासान्तियुस द्वारा स्थापित, ईश माता के अकिंचन याजक नामक पुरोहितों के धर्मसमाज को लिखे एक पत्र में सृष्टि के प्रति एवं व्यक्तियों के प्रति सम्मान की शिक्षा प्रदान करने का आह्वान किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 13 नवम्बर 2020 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्राँसिस ने गुरुवार को सन्त जोसफ कालासान्तियुस द्वारा स्थापित, ईश माता के अकिंचन याजक नामक पुरोहितों के धर्मसमाज प्रमुख फादर पेद्रो आगुवादो केस्ता को लिखे एक पत्र में सृष्टि के प्रति एवं व्यक्तियों के प्रति सम्मान की शिक्षा प्रदान करने का आह्वान किया।  

पायस स्कूलों का संचालन करनेवाले उक्त धर्मसमाजी पुरोहित इस समय ग्लोबल एडूकेशनल पैक्ट पर एक ऑनलाईन शिविर का संचालन कर रहे हैं। 12 से 14 नवम्बर तक चलनेवाला यह शिविर धर्मसमाज प्रमुखों के अन्तरराष्ट्रीय संगठन (यू.आई.एस.जी.) के तत्वाधान में आयोजित किया गया है।

धर्मसमाजियों की भूमिका

शिविर में विचाराधीन, वैश्विक शिक्षा सम्विदा के पुनर्निर्माण की चुनौती विषय के बारे में सन्त पापा फ्राँसिस ने याद किया कि शिक्षा के क्षेत्र में, पारम्परिक तौर पर, धर्मसमाजी पुरोहित एवं धर्मबहनें आरम्भ ही से आग्रणी रहे हैं। उन्होंने उक्त धर्मसमाज के संस्थापक सन्त जोसफ कालासान्तियुस का उदाहरण दिया जिन्होंने सबसे पहले निर्धनों के लिये निःशुल्क स्कूलों को खोला था।   

सन्त पापा ने लिखा, कालान्तर में "इतिहास की सभी अवधियों में अलग-अलग करिशमाई नेतृत्व उभरे हैं,  जिन्हें हर समय और स्थान की जरूरतों और चुनौतियों का सामना करने के लिये ईश वरदान के रूप में समझा गया तथा ज़रूरत के अनुसार अनुकूलित किया गया।"

सन्त पापा ने कहा कि आज के धर्मसमाजियों से मांग की जाती है कि वे अपनी अस्मिता एवं अपनी पहचान के लक्ष्य को नवीकृत करें तथा समर्पण एवं उत्साह के साथ अपने शैक्षिक मिशन को अन्जाम दें।  

ठोस कार्य हेतु निर्देशिका

ग्लोबल एडूकेशनल पैक्ट की प्रतिबद्धताओं के विषय में सन्त पापा ने गुरुवार को प्रेषित अपने पत्र में कहा कि व्यक्तियों को अपने सब कार्यों का केन्द्र बनाया जाना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है इसलिये कि "व्यक्ति को शिक्षित करना हमारे बच्चों और युवाओं के लिए विकसित और परिपक्व होने का एक साधन है, ताकि एक साथ मिलकर न्याय और शांति के भविष्य का निर्माण करने हेतु आवश्यक कौशल और संसाधनों को प्राप्त किया जा सके।"

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "हमें बच्चों और युवाओं को स्वागत करना सिखाना होगा, उन्हें मिलकर काम करना सिखाना होगा ताकि वे उन संस्कृतियों एवं कुप्रथाओं का बहिष्कार करें जो मानव व्यक्ति एवं सृष्टि का सम्मान नहीं करती।" उन्होंने कहा, "यह अनिवार्य है कि हमारे बच्चे, हमारे सामान्य धाम की रक्षा करना सीखें।"

पत्र के अन्त में सन्त पापा ने लिखा, "बच्चों और युवाओं को चुनौतियों का समाधान ढूँढ़ने की दिशा में काम करने के लिए उपकरण प्रदान करना सम्पूर्ण मानव परिवार को लाभान्वित करेगा।"

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13 November 2020, 11:22