संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना : आगमन, आशा में बने रहने का निमंत्रण

आगमन काल के प्रथम रविवार 29 नवम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये अपने संदेश में उन्होंने आगमन काल पर प्रकाश डाला एवं इसे आशा और प्रतीक्षा का समय बतलाया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 29 नवम्बर 2020 (वाटिकन रेडियो) : संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित विश्वासियों एवं श्रद्धालुओं के साथ आगमन काल के प्रथम रविवार 29 नवम्बर को देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने आगमन काल का संदेश दिया।

प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज, आगमन के पहले रविवार को, एक नये पूजन पद्धति वर्ष की शुरूआत हो रही है। कलीसिया इस अवधि में येसु के जीवन एवं मुक्ति के इतिहास की मुख्य घटनाओं की याद करती है। ऐसा करके, यह एक माँ के समान, हमारे जीवन में हमारी यात्रा को आलोकित करती है, दैनिक जीवन में हमारी सहायता करती एवं ख्रीस्त से हमारी अंतिम मुलाकात की ओर बढ़ने हेतु प्रेरित करती है। आज की धर्मविधि हमें पूजन पद्धति वर्ष के प्रथम "प्रभावशाली समय" आगमन काल को जीने का निमंत्रण देती है जो प्रतीक्षा एवं आशा के समय के रूप में क्रिसमस की तैयारी कराती है।

प्रतीक्षा का उद्देश्य

संत पौलुस (1 कोर.1:3-9) प्रतीक्षा के उद्देश्य का संकेत देते हैं। प्रभु किस तरह प्रकट होते हैं। (7) प्रेरित (पौलुस) कोरिंथ के ख्रीस्तियों और हमें भी निमंत्रण देते हैं कि हम येसु से मुलाकात करने पर अपना ध्यान केंद्रित करें, एक ख्रीस्तीय के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है प्रभु से लगातार मुलाकात करना, प्रभु के साथ रहना। जीवन के प्रभु के साथ रहने के आदी होकर, हम अनन्त जीवन में उनके साथ मुलाकात करने एवं उनके साथ रहने के लिए तैयारी कर सकते हैं।

यह मुलाकात निश्चित है जो दुनिया के अंत में होगी। किन्तु प्रभु रोज दिन आते हैं ताकि हम उनकी कृपा से अपने जीवन में और दूसरों के लिए अच्छा काम कर सकें। हमारे ईश्वर एक ऐसे ईश्वर हैं जो आते हैं, लगातार आते हैं : वे हमारी प्रतीक्षा को व्यर्थ नहीं करते! प्रभु कभी निराश नहीं करते हैं। हमें थोड़ा इंतजार करना, कुछ समय के लिए अंधकार में प्रतीक्षा करना पड़ सकता है ताकि हमारी आशा सुदृढ़ हो सके किन्तु वे कभी निराश नहीं करते हैं। प्रभु हमेशा आते हैं, हमारी बगल में चलते हैं, कई बार हम उन्हें नहीं देख पाते किन्तु वे निरंतर आते हैं।   

वे एक खास ऐतिहासिक समय में आये, मनुष्य बने ताकि हमारे पापों को अपने ऊपर ले सकें। क्रिसमस का महापर्व ऐतिहासिक समय में, इस पहले आगमन की याद दिलाता है। वे अंतिम समय में विश्व का न्याय करने फिर आयेंगे। वे तीसरी बार तीसरे तरह से आयेंगे।

हृदय के द्वार पर दस्तक

वे हर दिन अपने लोगों से मुलाकात करने आते हैं, उस स्त्री और पुरूष से मिलने जो ईश वचन, संस्कारों एवं भाई-बहनों में उनका स्वागत करते हैं। बाईबिल कहता है कि येसु द्वार पर हैं और दस्तक दे रहे हैं। वे हरेक दिन हमारे हृदय के द्वार पर दस्तक देते हैं। संत पापा ने विश्वासियों से प्रश्न किया, "क्या आप प्रभु को सुनना जानते हैं जो आज आपसे मिलने आये हैं? जो एक विचार एवं प्रेरणा के साथ व्यग्रता से आपके हृदय पर दस्तक देते हैं? वे बेतलेहेम में आये, दुनिया के अंत में फिर आयेंगे किन्तु हरेक दिन हमारे पास आते हैं। आप चौकस रहें, देखें कि प्रभु जब आपको दस्तक देते हैं तब आप क्या महसूस करते हैं।"    

कठिनाई की घड़ी में प्रभु का आह्वान

हम यह अच्छी तरह जानते हैं कि जीवन में उतार और चढ़ाव है, उजाला और अंधेरा है। हम सभी निराशा, असफलता और घबराहट का अनुभव करते हैं। इसके अलावा, हम जिस परिस्थिति में जी रहे हैं यह महामारी से बहुत अधिक प्रभावित है, जो हममें अत्यधिक चिंता, डर और परेशानी उत्पन्न कर रहा है, इससे निराशावाद में गिरने की जोखिम है, बंद हो जाने एवं उदासीनता में पड़ने का खतरा है। इन सबके सामने हमें क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करना है? आज का स्तोत्र इसका सुझाव देता है : "हम प्रभु की राह देखते रहते हैं, वही हमारा सहायक और रक्षक है। हम उनकी सेवा करते हुए आनन्दित हैं।" (स्तोत्र 32, 20-21) इस तरह हमारी आत्मा एक प्रतीक्षा में है, एक ऐसी प्रतीक्षा, जो प्रभु पर भरोसा से सुदृढ़ है जो हमें जीवन के अंधकारमय क्षणों में सांत्वना और साहस प्रदान करता है। यह साहस एवं दृढ़ता कहाँ से उत्पन्न होता है? निश्चय ही, आशा से। यह आशा निराश नहीं करती है, यह सदगुण हमें प्रभु से मुलाकात हेतु आगे ले जाती है।

ईश्वर हमारे साथ

आगमन काल आशा के लिए एक निरंतर बुलावा है : यह याद दिलाता है कि ईश्वर इतिहास में उपस्थित हैं कि वे हमें अंतिम लक्ष्य और पूर्णता की ओर ले जाएँ, जो स्वयं येसु ख्रीस्त हैं। ईश्वर मानव के इतिहास में उपस्थित हैं, ईश्वर हमारे साथ हैं, वे हमसे दूर नहीं हैं, हमेशा हमारे साथ हैं और कई बार हमारे हृदयों के द्वार खटखटाते हैं।  ईश्वर हमारे बगल में हमें सहारा देने के लिए चलते हैं। प्रभु कभी नहीं छोड़ते, वे हमारे जीवन की परिस्थिति में साथ देते हैं कि हम अपनी यात्रा का अर्थ समझ सकें, ताकि परीक्षा और दुःख की घड़ी में साहस करते हुए अपने दैनिक जीवन की सार्थकता देख सकें। जीवन के उथल-पुथल के बीच, ईश्वर हमेशा अपना हाथ बढ़ाते और हमें भय से मुक्त करते हैं। विधि-विवरण ग्रंथ में एक पद बहुत अच्छा है जिसमें नबीं लोगों से कहते हैं, "जरा सोचो, कौन ऐसी प्रजा है जिसका ईश्वर इतना नजदीक है जितना मैं तुम्हारे नजदीक हूँ?" कोई नहीं, सिर्फ हमें यह सौभाग्य मिला है कि ईश्वर हमारे नजदीक हैं। हम प्रतीक्षा करते हैं कि वे हमारे लिए अपने को प्रकट करें किन्तु वे भी इंतजार करते हैं कि हम अपने को उनके लिए प्रस्तुत करें।  

माता मरियम से प्रार्थना

अति निष्कलंक मरियम, प्रतीक्षा की माता, इस नये पूजन पद्धति वर्ष में हमारा साथ दें जिसकी हम शुरूआत कर रहे हैं, और येसु के शिष्यों के कार्यों को पूरा करने में हमारी सहायता करें, जिसका संकेत प्रेरित पौलुस ने दिया है। संत पापा ने पूछा, "यह काम क्या है?" उन्होंने कहा, "अपने हृदय में प्रभु मसीह पर श्रद्धा रखना।" (1पेत्रुस 3,15)

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29 November 2020, 18:52