अक्टूबर माह के लिए संत पापा फ्राँसिस का वीडियो संदेश
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
"कोई भी व्यक्ति पुरोहित या धर्माध्यक्ष के रूप में बपतिस्मा प्राप्त नहीं किया है। हम सभी ने लोकधर्मी के रूप में बपतिस्मा प्राप्त किया है। लोकधर्मी लोग कलीसिया के नायक हैं।
आज, यह विशेष रूप से आवश्यक है कि कलीसिया में अधिक प्रासंगिक महिला उपस्थिति के लिए बृहद अवसर उत्पन्न किये जाएँ, और हमें महिला लोकधर्मी की उपस्थिति पर जोर देना चाहिए क्योंकि महिलाओं को दरकिनार करने की प्रवृति है।
हमें महिलाओं की सहभागिता को बढ़ावा देना चाहिए, खासकर, जहाँ महत्वपूर्ण निर्णय लिये जाते हैं।
हम प्रार्थना करते हैं कि बपतिस्मा के आधार पर, लोकधर्मी, विशेषकर महिलाएँ, कलीसियाई जिम्मेदारी के क्षेत्रों में अधिक भाग ले सकें, याजकवाद के रूपों के शिकार हुए बिना जो लोकधर्मी विशिष्ठता को कम करता है।"
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