कृषि एवं खाद्य संगठन के महानिर्देशक कू डोंगयू के साथ सन्त पापा फ्राँसिस, तस्वीरः 11.12.2019 कृषि एवं खाद्य संगठन के महानिर्देशक कू डोंगयू के साथ सन्त पापा फ्राँसिस, तस्वीरः 11.12.2019 

धारणीय और विविध कृषि को बढ़ावा दें, सन्त पापा फ्राँसिस

संयुक्त राष्ट्र संघीय खाद्य एवं कृषि संगठन की स्थापना की 75 वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में संगठन के अध्यक्ष एवं अधिकारियों को सम्बोधित एक विडियो सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने धारणीय एवं विविध कृषि को बढ़ावा देने का आह्वान किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

रोम, शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020 (रेई,वाटिकन रेडियो): रोम में संयुक्त राष्ट्र संघीय खाद्य एवं कृषि संगठन की स्थापना की 75 वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में संगठन के अध्यक्ष एवं अधिकारियों को सम्बोधित एक विडियो सन्देश में, शुक्रवार को, सन्त पापा फ्राँसिस ने धारणीय एवं विविध कृषि को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि खाद्य एवं कृषि संगठन का मिशन अत्यधिक महत्वपूर्ण है, इसलिये कि यह भुखमरी, खाद्य असुरक्षा एवं कुपोषण को परास्त करने के लिये कार्यरत है।       

"उत्पादन, पोषण, संरक्षण"

इस वर्ष विश्व खाद्य दिवस के लिये चुने गये विषय "उत्पादन, पोषण, संरक्षण" पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा कि यह विषय हमारे आस-पड़ोस के वातावरण में सुधार और असंख्य लोगों में आशा के संचार हेतु पहलों को आरम्भ करने के लिये प्रेरणा देता है।

सन्त पापा ने कहा कि विगत 75 वर्षों के अन्तराल में खाद्य एवं कृषि संगठन ने यह अनुभव किया है कि केवल खाद्य उत्पादन पर्याप्त नहीं है, अपितु इसके साथ-साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि खाद्य निकाय धारणीय एवं स्थायी हों तथा सभी को स्वस्थ आहार मुहैया करने में सक्षम हों। इसके लिये, सन्त पापा ने कहा, नवीन समाधानों को अपनाने की आवश्यकता है जो हमारे समुदाय एवं धरती के लिये भोजन बनाने और उपभोग करने के तरीके को बदल सकें और इस प्रकार खाद्य उत्पादन को दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान कर सकें।

कोविद-19 के परिप्रेक्ष्य में

सन्त पापा ने कहा, कोविद-19 महामारी के फलस्वरूप उत्पन्न महान कठिनाइयों के सन्दर्भ में यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि खाद्य एवं कृषि संगठन, विश्व खाद्य कार्यक्रम तथा कृषि विकास सम्बन्धी अंतर्राष्ट्रीय कोष जैसे संगठनों द्वारा आरम्भ पहलों से धारणीय और विविध कृषि को बढ़ावा दिया जाये तथा निर्धन राष्ट्रों के ग्रामीण समुदायों एवं उनके कृषि कार्यों के विकास हेतु काम किया जाये।  

सन्त पापा ने कहा कि, मानव जाति के लिये, भुखमरी केवल एक त्रासदी ही नहीं है, बल्कि यह गहन लज्जा का भी विषय है, जिसका कारण पृथ्वी के संसाधनों का असमान वितरण, कृषि क्षेत्र में निवेश की कमी, जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम और धरती के विभिन्न क्षेत्रों में संघर्षों में वृद्धि है। उन्होंने कहा कि भुखमरी के विपरीत, दूसरी ओर टनों से खाद्यान्न और भोजन फेंका जाता है जिसके समक्ष हम मौन नहीं रह सकते, क्योंकि हम सभी इस स्थिति के लिये ज़िम्मेदार हैं। सन्त पापा ने कहा कि कोविद- 19 महामारी से उत्पन्न संकट दर्शाता है कि विश्व से भुखमरी को हटाने के लिये सशक्त राजनैतिक नीतियों और ठोस कार्यों की नितान्त आवश्कता है।

उन्होंने कहा कि इसके लिये ज़रूरी है कि शस्त्रों के लिये खर्च की जानेवाली राशि का एक अंश भुखमरी को, हमेशा के लिये, मिटाने तथा निर्धन राष्ट्रों के विकास हेतु खर्च किया जाये, जिससे अनेक युद्धों से बचा जा सकेगा तथा असंख्य लोगों को गरिमापूर्ण जीवन का आश्वासन दिया जा सकेगा।

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16 October 2020, 11:10