"शांति के ज्ञान के लिए" वाटिकन प्रकाशन भवन की एक नई इतालवी पुस्तक "शांति के ज्ञान के लिए" वाटिकन प्रकाशन भवन की एक नई इतालवी पुस्तक  

अगली पीढ़ी को शांतिवाहक बनाने हेतु प्रशिक्षण, संत पापा

"शांति के ज्ञान के लिए" वाटिकन प्रकाशन भवन की एक नई इतालवी पुस्तक का अनुवाद है। पुस्तक की प्रस्तावना में संत पापा फ्राँसिस ने युद्ध और हिंसा के बिना दुनिया के निर्माण के लिए कलीसिया और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 16 सितम्बर 2020 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा आज के समाज में जलवायु परिवर्तन, युद्ध और हिंसा से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए युवा पीढ़ी में निवेश करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। उक्त बात संत पापा फ्राँसिस ने ने वाटिकन प्रकाशन भवन द्वारा छपी "पेर उन सपेरे देल्ला पाचे" (शांति के ज्ञान के लिए) नामक इतालवी में एक पुस्तक की प्रस्तावना में लिखा है।

उद्देश्य

विवाह और परिवार के विज्ञान के लिए पोंटिफिकल थियोलॉजिकल इंस्टीट्यूट 'जॉन पॉल II' के थियोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी के वाइस डीन  गिलफ्रेडो मारेंगो द्वारा संपादित, 124-पृष्ठ की किताब भविष्य के लिए कुछ ठोस विचारों को प्रदान करती है। 2018 में पोंटिफ़िकल लातेरन यूनिवर्सिटी में शांति विज्ञान के अध्ययन का एक चक्र स्थापित करने के लिए अपने फैसले को याद करते हुए,संत पापा कहते हैं कि  इसका लक्ष्य एक विशिष्ट आकृति की रूपरेखा जैसे शांति-निर्माता को परिभाषित करने में मदद करना है।

एक गठबंधन

शुरुआती बिंदु एक "बाहर जाने वाली कलीसिया" का विशेष आयाम है, जो शैक्षिक दुनिया के सहयोग से परिलक्षित होती है। संत पापा लिखते हैं, "कलीसिया शांति, सद्भाव, पर्यावरण, जीवन और मानव और नागरिक अधिकारों की रक्षा से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए खुद को प्रतिबद्ध करने के लिए बुलाई गई है।" इस मार्ग में, "विश्वविद्यालय की एक केंद्रीय भूमिका है जो कि एकात्म मानववाद के प्रतीकात्मक स्थान के रूप में है जिसे लगातार नए सिरे से और समृद्ध बनाने की आवश्यकता है।"

संवाद

इस प्रकार, दर्शन, धर्मशास्त्र, कानून और इतिहास के बीच उपयोगी बातचीत के आधार पर एक नया अंतःविषय शैक्षिक उद्यम एक तात्कालिक उद्देश्य है। संत पापा फ्राँसिस का कहना है कि उन्हें पूरा विश्वास है, "मानव विज्ञान के योगदान से पोषित ये शोध मार्ग,"शांति के ज्ञान" के विकास को बढ़ावा देने में सक्षम होगा, ताकि उत्कृष्ट शांति कार्यकर्ता बन सकें।"

पहचान

संत पापा ने इस क्षेत्र में विशेषज्ञ होने का मतलब समझाते हुए लिखा कि "एक अच्छे शांतिदूत को" दुनिया और इतिहास पर एक परिपक्व नज़र रखने में सक्षम होना चाहिए। जो हमेशा दृढ़ और संक्षिप्त रूप से लागू प्रस्तावों का साथ नहीं दे सकता। "यह वास्तव में, समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से परे जाने का मामला है जो पूरी तरह से वास्तविकता को तटस्थ और अवैयक्तिक रूप से गले लगाने का दावा करता है।"

स्थूलता

इसलिए, संत पापा हमें व्यावहारिक पहलुओं की उपेक्षा किए बिना संदर्भ पर अपना ध्यान केंद्रित करने हेतु आमंत्रित करते हैं। "जो कोई भी शांति विज्ञान में विशेषज्ञ बनने का इरादा रखते हैं, उन्हें समय के संकेतों के प्रति चौकस रहने के लिए सीखने की जरूरत है।" संत पापा के अनुसार, वैज्ञानिक शोध और अध्ययन की जिज्ञासा इस तरह होनी चाहिए जो आज के लोगों की खुशियों और दुखों को साझा करने में सक्षम हो, ताकि सुसमाचार का वास्तविक विवेचन किया जा सके।

योगदानकर्ता

पुस्तक, "शांति के ज्ञान के लिए", अनेक लोगों का योगदान है, ज्यादातर पोंटिफिकल लातेरन यूनिवर्सिटी में 28 फरवरी, 2019 को आयोजित एक संगोष्ठी से है। योगदानकर्ता-वाटिकन में विदेश मंत्रालय के सचिव महाधर्माध्यक्ष पॉल रिचर्ड गलाघर,  धर्मों के इतिहासकार डेनियल मेन्जोजी, वाटिकन पब्लिशिंग हाउस के मुख्य संपादक जूलियो चेसारियो और पोंटिफिकल लातेरन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक दर्शन के इतिहास के असाधारण प्रोफेसर फ्लॉशिया मार्सैका हैं।

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16 September 2020, 14:37