आमदर्शन समारोह में लोगों के साथ संत पापा फ्राँसिस आमदर्शन समारोह में लोगों के साथ संत पापा फ्राँसिस  संपादकीय

एक प्रेरितिक विश्व पत्र सभी भाइयों और बहनों के लिए

संत पापा फ्राँसिस के अगले प्रेरितिक विश्व पत्र जिसका प्रकाशन वाटिकन प्रेस कार्यालय के अनुसार 4 अक्टूबर को किया जाएगा। इसके द्वारा संत पापा फ्राँसिस प्रत्येक व्यक्ति के दृदय में बात करना चाहते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 17 सितम्बर 20 (वीएन)- "फ्रातेल्ली तुत्ती" संत पापा फ्राँसिस के आनेवाले नये प्रेरितिक विश्व पत्र का शीर्षक है। इसके उपशीर्षक हैं "भाईचारा" एवं "सामाजिक मित्रता"। प्रेरितिक पत्र मूल रूप से इताली भाषा में लिखा गया है और दूसरी भाषाओं में अनुवाद किये जाने पर भी इसके शीर्षक को बिना अनुवाद के लिया जाएगा। नये प्रेरितिक पत्र का पहला शब्द महान संत फ्राँसिस असीसी से आता है जिनके नाम को संत पापा फ्राँसिस ने अपने लिए चुना है।

वाटिकन न्यूज के सम्पादक अंद्रेया तोरनेल्ली ने एक लेख प्रकाशित कर कहा, "हम प्रेरितिक विश्व पत्र के अंतर्वस्तु के बारे जानना चाहते हैं। जिसके द्वारा संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी समस्त मानव जाति को सम्बोधित करेंगे एवं जिसपर वे संत फ्राँसिस असीसी की कब्र पर 3 अकटूबर को हस्ताक्षर करेंगे। इसके शीर्षक एवं अर्थ पर काफी चर्चाएँ हुई हैं। चूँकि यह संत फ्राँसिस का प्रत्यक्ष उद्धरण है, संत पापा ने इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया है। यह शीर्षक, महिलाओं को अलग करने के मकसद से भी नहीं लिया गया है जिसमें मानव जाति की आधी जनता आती है।    

इसके विपरीत, संत पापा फ्राँसिस ने संत फ्राँसिस असीसी के शब्दों को चुना है ताकि एक चिंतन का सूत्रपात किया जा सके जिसपर वे बहुत अधिक ध्यान देते हैं, अर्थात् भाईचारा एवं सामाजिक मित्रता। अतः वे पृथ्वी के सभी भले लोगों को अपने भाई और बहन मानते हैं, जिसमें कोई किसी भी तरह से बहिष्कृत नहीं है।  

हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जो युद्ध, गरीबी, पलायन, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक संकट और महामारी से चिन्हित है। हम जिस किसी से मिलते हैं उसे अपने भाई अथवा बहन के रूप में पहचानना और ख्रीस्तियों के लिए पीड़ितों में, ख्रीस्त के चेहरे को पहचानना है।

ये प्रतिक्रियाएँ ईश्वर की छवि में बनाए गए हर इंसान की अलघुकरणीय गरिमा की पुष्टि करती हैं। ये हमें यह भी स्मरण दिलाती हैं कि कोई भी व्यक्ति केवल वर्तमान की कठिनाइयों के कारण एक दूसरे के खिलाफ नहीं होता, उत्तरी गोलार्ध, दक्षिणी गोलार्ध के खिलाफ नहीं होता, धनी, गरीब के विरूद्ध नहीं होता अथवा किसी अन्य प्रकार के भेदभाव नहीं होते।

27 मार्च को जब महामारी अपनी चरम पर थी रोम के धर्माध्यक्ष ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के खाली प्रांगण में भारी वर्षा के बीच, संत मरचेल्लो के शोकित क्रूसित येसु एवं रोम की संरक्षिका माता मरियम की स्नेहित नजर के सामने, सभी की मुक्ति के लिए प्रार्थना की थी।

संत पापा ने कहा, "इस आँधी में, उन रूढ़िवादिताओं के बहाने जिनके साथ हमने अपने अहम की छलनी की, अपनी छवि की चिंता हमेशा की, वह गिर गया है, सार्वजनिक वस्तुएँ पुनः खोल दिये गये हैं जिनसे हम भाई-बहन के रूप में वंचित नहीं किये जा सकते। संत पापा के आनेवाले नये विश्व पत्र का केंद्रविन्दु है, "धन्य है हमारी आम सहभागिता" जो हमें निश्चय ही भाई बहन बनाता है।"

भाईचारा एवं सामाजिक मित्रता, उपशीर्षक हैं जो उन चीजों की ओर संकेत देते हैं जो पुरूषों एवं स्त्रियों को एक साथ लाते। खून के रिश्ते न भी हों फिर भी लोगों के बीच एक स्नेहपूर्ण संबंध स्थापित करते हैं। संबंध, दया के कार्यों, मदद करने के विभिन्न रूपों, न्याय के कार्यों एवं जरूरत के समय में उदारता, विविधताओं के बावजूद दूसरे व्यक्ति के प्रति स्वार्थरहित प्रेम आदि के द्वारा प्रकट होता है। यही कारण है कि विश्वव्यापी एवं समावेशी शीर्षक "फ्रतेल्ली तुत्ती" के पठन में गलतफहमी या बहिष्कार की कोई गुंजाईश नहीं है।   

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17 September 2020, 14:28