संत अन्ना और ज्वाकिम छोटी कुँवारी मरियम के साथ संत अन्ना और ज्वाकिम छोटी कुँवारी मरियम के साथ  

येसु के नाना-नानी संत अन्ना और ज्वाकिम का पर्व

26 जुलाई को कलीसिया धन्य कुँवारी मरियम के माता-पिता और येसु के नाना-नानी, संत और संत ज्वाकिम का पर्व मनाती है। उनकी प्रार्थना हमें माता मरियम के पास पहुँचाती है। जैसा कि संत पापा ने बारम्बार कहा है बुजूर्ग व्यक्ति कलीसिया के लिए वरदान है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 25 जुलाई 2020 (वीएन)- दादा-दादी यादगारी के समान हैं और वे उन पेड़ों के समान हैं जो फल देते रहते हैं। संत पापा फ्राँसिस अपनी शिक्षा देते हुए बहुधा अपनी नानी की याद करते हैं जिनसे उन्होंने विश्वास के रास्ते पर कई चीजें सीखी हैं। 18 मई 2013 को पेंतेकोस्त जागरण प्रार्थना के दौरान उन्होंने बतलाया था, "सबसे बढ़कर मेरी दादी हैं, मेरे पिता की माँ, जो विश्वास की मेरी यात्रा को चिन्हित करती हैं। वे एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने हमें येसु के बारे बतलाया, धर्मशिक्षा दी जिसको में हमेशा याद करता हूँ। पुण्य शुक्रवार की शाम को उन्होंने हमें मोमबत्ती जुलूस में लिया था और जुलूस के अंत में जब क्रूसित ख्रीस्त की आराधना करने का समय आया, तब उसने घुटनी टेकी और हमें भी घुटनी टेकने को कहा और बतलाया कि देखो वे मर गये हैं किन्तु कल फिर जी उठेंगे।" संत पापा ने कहा कि मैंने पहली धर्मशिक्षा अपनी दादी से प्राप्त की।  

दादा-दादी की प्रार्थना एक वरदान  

विश्वास के हस्तांतरण के पीछे प्रेरक शक्ति बहुधा दादा-दादी होते हैं। यह वरदान, परिवार के प्रेम में पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती है। संत पौलुस, तिमथी को सम्बोधित करते हुए लिखते हैं, "मैं तुम्हारे सच्चे विश्वास की याद करता हूँ जो पहले तुम्हारी दादी और फिर तुम्हारी माँ में व्याप्त थी। दादा-दादी के वचन एवं उनकी शिक्षा, ईश्वर के वचन के प्रचार हेतु एक विशेष तरीका है।" संत पापा ने 11 मार्च 2015 में आमदर्शन समारोह के दौरान कहा था कि "दादा-दादी और बुजूर्गों की प्रार्थना कलीसिया के लिए एक महान वरदान है, एक धन है। समस्त मानव समाज के लिए प्रज्ञा की प्राप्ति है।"   

संत पापा ने बतलाया था कि उनके दादा-दादी के शब्द उनके लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। पुरोहिताभिषेक के दिन उन्होंने उनके लिए संदेश लिखा था जिसको वे आज भी अपनी प्रार्थना की किताब में सुरक्षित रखे हैं और पढ़ते रहते हैं।

संत पापा फ्राँसिस - बुजूर्गों की भूमिका का महत्व (आमदर्शन समारोह, 4.3.2015)

संत अन्ना और संत ज्वाकिम

कुँवारी मरियम के माता-पिता संत अन्ना और ज्वाकिम, बुजूर्गों की बुलाहट में नवीकृत नजर डालने के विचार को पोषित करते हैं। अन्ना हिब्रू शब्द "हन्ना" से आता है जिसका अर्थ है कृपा, जबकि ज्वाकिम का अर्थ है "ईश्वर बल प्रदान करते हैं" (हिब्रू)। संत अन्ना और ज्वाकिम के बारे बाईबिल में अधिक बातें नहीं कही गई हैं किन्तु हम उनके बारे अपोक्रिफल लेख जैसे कि संत याकूब के सुसमाचार में पाते हैं। इसके अनुसार संत अन्ना और ज्वाकिम निःसंतान थे। अन्ना लम्बे समय तक प्रार्थना कर रही थी एवं मातृत्व की कृपा की याचना कर रही थी। एक दिन उन्हें एक स्वर्गदूत दिखाई दिया और कहा, "अन्ना, अन्ना, प्रभु ने आपकी प्रार्थना सुन ली है और आप गर्भधारण करेंगी एवं पुत्री प्रसव करेंगी एवं दुनियाभर में आपके वंश की चर्चा होगी।" अन्ना ने मरिया को जन्म दिया और बड़े स्नेह से उसे पाला। जब मरियम 3 साल की हो गई तब धन्यवाद ज्ञापन स्वरूप अन्ना और ज्वाकिम ने उन्हें मंदिर में समर्पित किया।      

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25 July 2020, 15:10