एक मजदूर काम करते हुए एक मजदूर काम करते हुए  

असुरक्षित मजदूरों के लिए ‘वैश्विक मूल मजदूरी’ पर विचार का आह्वान

संत पापा फ्राँसिस ने कोरोना वायरस महामारी का सामना करने हेतु पोपुलर मूवमेंट (लोकप्रिय आंदोलन) एवं समुदायिक संगठनों को एक पत्र लिखकर एक संभावित "वैश्विक मूल वेतन" पर विचार करने का आह्वान किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

कोविड-19 महामारी के बीच 12 अप्रैल 2020 को प्रेषित पत्र में संत पापा ने "वैश्विक मूल वेतन" पर विचार करने का आह्वान किया है जो एक मानवीय एवं ख्रीस्तीय आदर्श सुनिश्चित करेगा और ठोस आदर्श प्रस्तुत करेगा कि “कोई भी मजदूर बिना अधिकार के न रहे।”

पत्र में पोपुलर मूवमेंट को सम्बोधित करते हुए उन्होंने लिखा है कि महामारी के इस समय में, मैं आप सभी की विशेष याद करता हूँ और आपको मैं अपना सामीप्य व्यक्त करता हूँ।

संत पापा का संदेश ऐसे समय में आया है जब महामारी ने बहुतों के स्वास्थ्य एवं जीवन को तबाह कर दिया है तथा इसके परिणामस्वरूप लाखों नौकरियाँ, स्थानीय एवं विश्व अर्थव्यवस्था कमजोर कर रही हैं। संत पापा ने कहा है कि वे उन आंदोलनों के साथ प्रोत्साहन और एकजुटता व्यक्त करते हैं जो वैश्विक प्रणालियों और संरचनाओं में परिवर्तन लाने का लक्ष्य रखते हैं। उन्होंने कहा, “इन दिनों की चिंताओं एवं परेशानियोँ में आप निश्चय ही अदृश्य सैनिक हैं जो सबसे खतरनाक खाइयों में लड़ रहे हैं। आप ऐसे सैनिक हैं जिसके हथियार हैं- एकात्मता, आशा और सामुदायिक भावना, जो पुनःसशक्त हो रहे हैं क्योंकि कोई भी अकेला अपने आपकी रक्षा नहीं कर सकता। संत पापा ने पोपुलर मूवमेंट को उनके कार्यों के लिए धन्यवाद दिया है। उन्होंने स्वीकार किया है कि उनके कार्यों को उचित पहचान नहीं मिल पाती है, फिर भी उन्होंने कहा है कि आप शिकायत नहीं करते बल्कि अपनी आस्तीन ऊपर कर, अपने परिवारों, अपने समुदायों और आम लोगों के हित के लिए काम करते हैं। आपका लचीलापन मेरी मदद करता, मुझे चुनौती देता, और मुझे बहुत कुछ सिखाता है।”

अनेक लोग अदृश्य रूप से पीड़ित

संत पापा ने उन पीड़ित लोगों का भी जिक्र किया है जो दुनिया की नजरों में नहीं आते। महिलाएँ जो सूप किचन में ब्रेड तैयार करतीं और बीमार एवं बुजूर्ग समाचार पत्रों में कभी दिखाई नहीं पड़ते और न ही छोटे किसान और उनके परिवार जो प्रकृति को नष्ट किये बिना, लोगों की जरूरतों में बेइमानी किये बिना, पौष्टिक भोजन का उत्पादन करते हैं। मैं आप को बतलाना चाहता हूँ कि हमारे स्वर्गीय पिता आप सभी पर दृष्टि डालते हैं, आपको महत्व देते, आपकी प्रशंसा करते और आपके समर्पण में आपकी सहायता करते हैं। संत पापा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि गरीब और बेघर लोगों का, घर में ठहरकर रहना कितना कठिन है। उन्होंने अप्रवासियों तथा बुरी लत के कारण पुनर्वास केंद्रों में रह रहे लोगों की भी याद की है जो आजादी से वंचित होते हैं।

व्यक्ति, जीवन और प्रतिष्ठा केंद्र में

संत पापा ने पोपुलर मूवमेंट को चीजों को कम कठिन और कम पीड़ादायक मनाने में मदद करने के लिए भी धन्यवाद दी है और उम्मीद जतायी है कि यह बदलाव का समय होगा। उन्होंने कहा, “मेरी आशा है कि सरकारें समझतीं हैं कि टेक्नोक्रेटिक प्रतिमान इस संकट या मानवता को प्रभावित करने वाली किसी बड़ी समस्या का सामना करने के लिए काफी नहीं है। आज दूसरे समय से कहीं अधिक जरूरत है व्यक्ति, समुदाय और लोगों को केंद्र में रखे जाने, चंगाई के लिए एक होने, चिंता करने और बांटने की।”

उन्होंने गौर किया है कि कितने अधिक लोग वैश्विकरण के लाभ से बाहर हो जाते हैं। "सड़कों पर समान बेचनेवाले, पुनःचक्रण का कार्य करनेवाले, छोटे किसान, राजमिस्त्री और विभिन्न प्रकार से सेवा देनेवाले: जो अनौपचारिक हैं, अपने दम पर काम कर रहे हैं या जमीनी स्तर की अर्थव्यवस्था में हैं, उनके पास इस कठिन समय से गुजरने के लिए कोई स्थिर आय नहीं है... और लॉकडाउन असहनीय होता जा रहा है। यह एक सार्वभौमिक मूल वेतन पर विचार करने का समय हो सकता है जो उनके द्वारा किए जाने वाले महान, आवश्यक कार्यों को स्वीकार और प्रतिष्ठित करेगा।

अंततः संत पापा ने पोपुलर मूवमेंट को प्रोत्साहन दिया है कि वे अपने संघर्षों में स्थिर दृढ़ बने रहें। भाई-बहन की तरह एक-दूसरे की चिंता करें। तब उन्होंने उन्हें अपनी प्रार्थनाओं एवं आशीर्वाद का आश्वासन दिया।

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14 April 2020, 17:21