वाटिकन के सन्त मर्था प्रेरितिक आवास में ख्रीस्तयाग  वाटिकन के सन्त मर्था प्रेरितिक आवास में ख्रीस्तयाग  

कठिनाइयों में पड़े लोगों को सन्त पापा फ्राँसिस ने किया याद

वाटिकन के सन्त मर्था प्रासाद के प्रार्थनालय में शुक्रवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने बीमारों, बुज़ुर्गों तथा उन सब लोगों के प्रति अपने विचार अभिमुख रखे जो कोविद महामारी से पीड़ित हैं तथा जिनके पास जीने की सुख-सुविधा नहीं है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 27 मार्च 2020 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन के सन्त मर्था प्रासाद के प्रार्थनालय में शुक्रवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने बीमारों, बुज़ुर्गों तथा उन सब लोगों के प्रति अपने विचार अभिमुख रखे जो कोविद महामारी से पीड़ित हैं तथा जिनके पास जीने की सुख-सुविधा नहीं है। साथ ही उन्होंने उन लोगों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया जो इस महामारी से उत्पन्न कठिन स्थिति में बीमारों तथा ज़रूरतमन्दों की मदद कर रहे हैं।

मौन धारण की आवश्यकता

शुक्रवार के लिये निर्धारित सन्त योहन रचित सुसमाचार से लिये गये पाठ पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने इस बात को रेखांकित किया कि जो लोग येसु को मार डालना चाहते थे, उनका गुस्सा शैतान द्वारा भड़काया गया था, क्योंकि हर विनाशकारी रोष के पीछे शैतान होता है। उन्होंने कहा कि रोष से भड़के क्रुद्ध व्यक्ति के साथ वाद-विवाद नहीं किया जा सकता, ऐसी स्थिति में केवल मौन धारण ही उचित होता है, जैसा कि प्रभु येसु ने किया था, उन्होंने अपने लिये चुप रहने तथा दुख सहने को चुना। सन्त पापा ने कहा कि वर्तमान स्थिति में जब इस महामारी के बारे में अनर्गल बकवाद किया जा रहा है, ऐसा ही करने की ज़रूरत है, मौन धारण की आवश्यकता है।

ख्रीस्तीयों का प्रताड़न  

प्रभु येसु के दुखभोग की याद करते हुए सन्त पापा ने कहा कि शैतान द्वारा भड़काये गये लोगों ने उन्हें मरने तक प्रताड़ित किया, इसी प्रकार आज भी कई देशों में केवल ख्रीस्तीय धर्मानुयायी होने के कारण लोगों को प्रताड़ित किया जाता है। सन्त पापा ने कुछ धर्माध्यक्षों के साथ अपनी मुलाकात का हवाला देकर कहा कि धर्माध्यक्षों ने उन्हें बताया कि पास्का के एक दिन बाद बच्चों से स्कूल में पूछा गया कि उन्होंने पास्का पर्व पर क्या खाया और बच्चों के यह बताने पर कि उन्होंने अण्डे खाये थे, यह पता लगाया गया कि वे ख्रीस्तीय थे और उन्हें प्रताड़ित किया गया।

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि जिस प्रकार शैतान प्रभु येसु की परीक्षा लेने उन्हें उजाड़ प्रदेश ले गया था तथा उन्हें प्रलोभन में डालना चाहता था, उसी प्रकार स्कूली बच्चों को परीक्षा में डाला गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया। सन्त पापा ने कहा इसी को शैतानी कृत्य और कूट बुद्धि कहा जाता है।

प्रार्थना

प्रभु ईश्वर से प्रार्थना का अनुरोध करते हुए सन्त पापा ने कहा कि बुरी आत्मा के खिलाफ लड़ने का साहस पाने के लिये हम सब मिलकर प्रभु से विनती करें, हम प्रार्थना करें कि हम उसी समय बोलें जब हमें बोलना चाहिये, जबकि किसी के रोष के समक्ष चुप ही रहें, बकवाद करनेवाले को बकने दें, उसके समक्ष कुछ न कहें। ईश्वर के समक्ष मौन धारण करें ताकि उनकी कृपा के पात्र बन सकें। प्रभु से हम प्रार्थना करें कि वे सदैव हमारे समीप रहें तथा हमें शैतान के फन्दों से बचाये रखें।

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27 March 2020, 10:58