बैंककॉक के बौद्ध में सन्त पापा फ्राँसिस बौद्ध परमगुरु महामुनीवॉन्ग के साथ बैंककॉक के बौद्ध में सन्त पापा फ्राँसिस बौद्ध परमगुरु महामुनीवॉन्ग के साथ  

शांति की सेवा में सम्वाद नितान्त आवश्यक

बैंककॉक में गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने शहर के वत रक्षाभोपित सतहित सिमरन बौद्ध मन्दिर में थायलैण्ड के बौद्ध परमगुरु सोमदेज फ्रा महामुनीवॉन्ग से मुलाकात कर थायलैण्ड के ख्रीस्तीयों एवं बौद्ध धर्मानुयायियों के बीच परस्पर सम्वाद की आवश्यकता पर बल दिया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

बैंककॉक, गुरुवार, 21 नवम्बर 2019 (विविध, वाटिकन रेडियो): बैंककॉक में गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने शहर के वत रक्षाभोपित सतहित सिमरन बौद्ध मन्दिर में थायलैण्ड के बौद्ध परमगुरु सोमदेज फ्रा महामुनीवॉन्ग से मुलाकात कर थायलैण्ड के ख्रीस्तीयों एवं बौद्ध धर्मानुयायियों के बीच परस्पर सम्वाद की आवश्यकता पर बल दिया।

स्थायी मैत्री

थायलैण्ड के बौद्ध धर्मानुयायियों की ओर से सन्त पापा फ्राँसिस का अभिवादन करते हुए परमगुरु सोमदेज फ्रा महामुनीवॉन्ग ने 35 वर्षों पूर्व सम्पन्न सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की थायलैण्ड यात्रा का स्मरण किया, उस अवसर पर परमगुरु महामुनावॉन्ग भी उपस्थित थे। फिर, उन्होंने थायलैण्ड के सम्राटों द्वारा 1897 ई. में सन्त पापा लियो तेरहवें, सन् 1934 ई. में सन्त पापा पियुस 11 वें और सन् 1960 में सन्त पापा जॉन 23 वें के साथ वाटिकन में सम्पन्न मुलाकातों का भी स्मरण दिलाया। उन्होंने कहा, "ये मुलाकातें काथलिक एवं बौद्ध धर्मों के बीच गहन एवं स्थायी मैत्री को प्रदर्शित करती हैं जो परस्पर समझदारी की यथार्थ भावना एवं समान समझदारी का द्योतक है।"

साक्षात्कार की संस्कृति

सन्त पापा तथा बौद्ध परमगुरु के बीच सम्पन्न बातचीत के विषय में जारी वाटिकन प्रेस कार्यालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया, मैत्रीपूर्ण बातचीत के दौरान, शांति को बढ़ावा देने के लिए दोनों धर्मों के बीच भाईचारे के मूल्य पर चर्चा की गई। इस अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने बौद्ध धर्मानुयायियों से कहा, "यदि हम भाई-भाई हैं तो हम विश्व शांति में योगदान दे सकते हैं, निर्धनों एवं पीड़ितों की मदद कर सकते हैं क्योंकि "निर्धनों की सहायता सदा से ही आशीर्वाद का मार्ग रहा है।"

मूल्यों का महत्व

इसके अतिरिक्त, मुलाकात के अवसर पर शिक्षा के महत्व पर बल दिया गया, मिशनरियों की भूमिका को प्रकाश में लाया गया तथा स्मरण दिलाया गया कि मिशनरी शांति एवं मैत्री के सन्देशवाहक हैं। मिशनरी स्थानीय लोगों पर हावी होने के लिये नहीं अपितु राष्ट्र के नागरिकों की सहायता के लिये आते हैं, जिसमें दोनें धर्मों के लोगों का योगदान अनिवार्य है।

परिचय एवं आदान-प्रदान

दोनों धर्मों के परमधर्मगुरुओं की मुलाकात शिष्ठमण्डलों के परिचय, उपहारों के आदान-प्रदान, तस्वीरें खिचवाने तथा परस्पर आशीर्वाद के साथ समाप्त हुई। वाटिकन सूत्रों के अनुसार, अन्य उपहारों सहित सन्त पापा फ्राँसिस ने "विश्व शांति और सामान्य सह-अस्तित्व के लिए मानव भाईचारा" शीर्षक से, विगत फरवरी माह में आबू धाबी में प्रकाशित तथा ख्रीस्यीयों एवं मुसलमानों द्वारा हस्ताक्षरित, दस्तावेज़ की एक प्रतिलिपि भी अर्पित की। सन्त पापा ने कहा, "मानवता को और अधिक भ्रातृत्वपूर्ण बनाने के लिये हमें एक साथ मिलकर काम करना होगा।"

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21 November 2019, 12:15