टोकियो में सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा के अवसर पर- 25.11.2019 टोकियो में सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा के अवसर पर- 25.11.2019 

फुकुशिमा परमाणु रिएक्टर आपदा से पीड़ित लोगों को सान्तवना

सन्त पापा फ्राँसिस ने सोमवार को जापान के फुकुशिमा परमाणु रिएक्टर आपदा से पीड़ित लोगों को सान्तवना दी। थायलैण्ड तथा जापान में अपनी सात दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के तीसरे चरण में सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस इस समय जापान के टोकियो शहर का दौरा कर रहे हैं।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

टोकियो, सोमवार, 25 नवम्बर 2019 (रेई,वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्राँसिस ने सोमवार को जापान के फुकुशिमा परमाणु रिएक्टर आपदा से पीड़ित लोगों को सान्तवना दी। थायलैण्ड तथा जापान में अपनी सात दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के तीसरे चरण में सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस इस समय जापान के टोकियो शहर का दौरा कर रहे हैं। रविवार का दिन उन्होंने जापान के नागासाकी तथा हिरोशिमा में व्यतीत किया था जो, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम हमलों और उसके परिणामस्वरूप हुए नरसंहार का रंगमंच बने थे।

फुकुशिमा आपदा

फुकुशिमा परमाणु रिएक्टर आपदा पीड़ितों से मुलाकात के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने भावी ऊर्जा स्रोतों पर गहन चिन्ता व्यक्त की तथा जापान के काथलिक धर्माध्यक्षों के आह्वान का स्मरण दिलाया जिन्होंने परमाणु ऊर्जा के पूर्ण उन्मूलन की गुहार लगाई है।

2011 में, 30 मीटर तक ऊँची समुद्री लहरों वाले, सूनामी तूफान के उपरान्त, जापान के कथित "ट्रिपल डिजास्टर" में कई शहर नष्ट हो गये थे तथा 18,000 से अधिक लोगों के मरने अथवा लापता हो जाने की ख़बरें मिली थी। इस प्राकृतिक आपदा में जापान का उत्तरीपूर्वी समुद्री तट पूर्णतः नष्ट हो गया था तथा फुकुशिमा दाई-इची परमाणु संयंत्र को महान क्षति पहुँची थी जिसे चेरनोबिल दुर्घटना के बाद से विश्व की सर्वाधिक गम्भीर परमाणु दुर्घटना बताया गया था। हज़ारों लोग विस्थापित हो गये थे जो अब कभी भी अपने घरों को वापस, नहीं लौट सकेंगे।  

भावी ऊर्जा स्रोतों पर चिन्तन ज़रूरी

फुकुशिमा परमाणु रिएक्टर आपदा से पीड़ित लोगों से सोमवार को मुलाकात करते हुए सन्त पापा ने कहा, "प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग और, विशेष रूप से, भविष्य के ऊर्जा स्रोतों के बारे में महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे।" उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदायों में सामाजिक बन्धन को मज़बूत कर लोगों को सुरक्षित जीवन का आश्वासन जब तक नहीं मिलेगा तब तक फुकुशिमा दर्घटना से सम्बन्धित सम्स्याओं को नहीं सुलझाया जा सकेगा।

स्मरण रहे कि जापान के काथलिक धर्माध्यक्षों ने भी परमाणु ऊर्जा के पूर्ण उन्मूलन की गुहार लगाई है। फुकुशिमा आपदा के उपरान्त जारी एक विज्ञप्ति में धर्माध्यक्षों ने कहा था कि जापान एक आपदा प्रभावित देश है इसलिये यह अनिवार्य है कि परमाणु ऊर्जा उत्पादन की सभी गतिविधियाँ समाप्त की जायें।  

दुनिया के सबसे अधिक भूकंप-प्रभावित राष्ट्रों में से एक होने के बावजूद जापान परमाणु ऊर्जा पर निर्भर रहा है। 2011 की परमाणु दुर्घटना के बाद सभी संयंत्रों को बन्द कर दिया था किन्तु इसके बाद से कईयों को फिर से खोल दिया गया है।

सन्त पापा से मुलाकात करनेवालों में बौद्ध भिक्षु तोकून तनाका भी उपस्थित थे जिन्होंने हमारे संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "जो कुछ करना है उसके बारे में ईमानदार और विनम्र चिन्तन की ज़रूरत है ताकि गहन समझदारी के साथ भविष्य के लिये निर्णय लिये जा सकें।" उन्होंने कहा, "सबसे महत्वपूर्ण बात धरती की आवाज़ को सुनना है।"

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25 November 2019, 11:48