ट्रिपल विपत्ति पीड़ितों के साथ संत पापा ट्रिपल विपत्ति पीड़ितों के साथ संत पापा  

जापान के ट्रिपल विपत्ति पीड़ितों के साथ संत पापा की मुलाकात

जापान की प्रेरितिक यात्रा के तीसरे दिन सोमवार को संत पापा फ्राँसिस ने ट्रिपल विपत्ति भुकंप, सुनामी और परमाणु बम घटना के पीड़ितों से मुलाकात की। उन्हें, एकजुटता और एक दूसरे के प्रति प्रतिबद्धता के आधार पर अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए प्रत्येक दिन थोड़ा-थोड़ा करके आगे बढ़ने हेतु आमंत्रित किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

टोकियो, सोमवार 25 नवंबर 2019(वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को टोकियो के बेलेसाल्ले हनजोमन के ट्रिपल विपत्ति भुकंप, सुनामी और परमाणु बम घटना के पीड़ितों से मुलाकात की। संत पापा ने इस मुलाकात को अपनी जापान यात्रा का महत्वपूर्ण क्षण कहा। संत पापा ने उनके स्वागत के लिए धन्यवाद दिया।

बेहतर भविष्य की उम्मीद

संत पापा ने वहाँ उपस्थित लोगों से कहा कि वे उन सभी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो ट्रिपल विपत्ति से प्रभावित हुए हैं। इससे न केवल इवाते, मियागी और फुकुशिमा के प्रान्त प्रभावित हुए हैं बल्कि पूरे जापान के लोग प्रभावित हुए हैं। संत पापा ने विशेष रुप से तोशिको, तोकून और मत्सूकी को अपने जीवन की धटनाओं को साझा करने के लिए धन्यवाद दिया। संत पापा ने कहा कि मत्सूकी ने अपना साक्ष्य साझा करने के बाद अंत में मुझे प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया। संत पापा ने वहाँ उपस्थित सभी लोगों के साथ कुछ देर मौन रहकर 18 हजार से भी ज्यादा पीड़ितों, लापता लोगों और उनके परिवार के लोगों के लिए प्रार्थना की।

सहायता के लिए आभार

संत पापा ने जापान की स्थानीय सरकार, गैर सरकारी संस्थाओं और उन समाज सेवको के प्रति आभार व्यक्त किया जो ट्रिपल आपदाओं से प्रभावित लोगों के घरों की मरम्मत करने में लगे हुए हैं। करीब 50 हजार लोग अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं और वे अपने घरों में लौटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

 संत पापा ने तोशिको द्वारा साझा किये गये बातों की सराहना करते हुए कहा कि आपदाओं के तुरंत बाद न केवल जापान के लोगों ने बल्कि अन्य देशों के लोगों ने पीड़ितों के लिए प्रार्थना और आर्थिक सहायता सामग्री जुटाने में सहयोग दिया। संत पापा ने कहा, “हमें इस कार्रवाई को समय बीतने के साथ खोना नहीं चाहिए, बल्कि, हमें इसे जारी रखना चाहिए और इसे बनाए रखना चाहिए। जैसा कि मात्सुकी ने हमें बताया, जो प्रभावित क्षेत्रों में रहते थे उनमें से कुछ को लगता है कि दूसरे अब उन्हें भूल गए हैं और कई लोगों को दूषित भूमि, जंगल और विकिरण के दीर्घकालिक प्रभाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।”

 समुदाय की एकजुटता और समर्थन

संत पापा ने कहा कि भोजन, वस्त्र और आवास जैसे बुनियादी संसाधनों के बिना, एक सामान्य जीवन जीना संभव नहीं है और जीवन को फिर से पटरी में उतारने और सामान्य जीवन जीने के लिए समुदाय की एकजुटता और समर्थन की बहुत जरुरत है। तोशिको ने बताया कि सुनामी ने उसके घर को तबाह कर दिया परंतु वह अपने जीवन के लिए ईश्वर को धन्यवाद देती है। उनकी मदद में आये लोगों के साहस और सेवा को देखते हुए उनके अंदर जीने की आशा जगी।

संत पापा ने कहा, “ट्रिपल आपदा के आठ साल बाद, जापान ने यह कर दिखाया है कि कैसे लोग एकजुटता, धैर्य, दृढ़ता और संकल्प में एकजुट हो सकते हैं। पूरी तरह से आपदा से उबर पाना लम्बा समय ले सकता है लेकिन यह संभव है लोगों में एक दूसरे की मदद करने भावना बरकरार रहनी चाहिए। जैसा कि तोशिको ने कहा, अगर हम कुछ नहीं करते हैं, तो परिणाम शून्य होगा। लेकिन जब भी आप एक कदम उठाते हैं, तो आप एक कदम आगे बढ़ते हैं।

संत पापा ने उन्हें, एकजुटता और एक दूसरे के प्रति प्रतिबद्धता के आधार पर अपने बच्चों और नाती-पोतों का भविष्य बनाने के लिए प्रत्येक दिन थोड़ा-थोड़ा करके आगे बढ़ने हेतु आमंत्रित किया।

उदासीनता का मुकाबला करने में सक्षम संस्कृति

तोकून द्वारा युद्ध, शरणार्थी, भोजन, आर्थिक विषमताएं और पर्यावरण संबंधी चुनौतियों पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर संत पापा ने कहा कि इन मुद्दों को अलग से नहीं समझा जा सकता है। यह सोचना एक गंभीर गलती है कि इन मुद्दों को अलग-अलग करके निपटाया जा सकता है, उन्हें एक बहुत बड़े नेटवर्क के हिस्से के रूप में देखना चाहिए। तोकून ने ठीक ही कहा है कि हम इस धरती का हिस्सा हैं, पर्यावरण का हिस्सा हैं, हम सब आपस में जुड़े हुए हैं। इस लिए विशेष रूप से प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग और भविष्य के ऊर्जा स्रोतों के बारे में महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे। संत पापा का मानना है कि समाज में उदासीनता की संस्कृति का मुकाबला करनी चाहिए। यदि हम अपने स्वार्थ और उदासीनता से बाहर निकल कर पूरे विश्व को अपना मानना शुरु करेंगे तो हम एकजुट होकर विवेकपूर्ण कार्य करते हुए सभी तरह की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो पायेंगे।

परमाणु ऊर्जा का उन्मूलन

संत पापा ने विशेष रुप से, फुकुशिमा में दाइची परमाणु ऊर्जा स्टेशन की दुर्घटना और उसके बाद के प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि वैज्ञानिक या चिकित्सा संबंधी मामलों के अलावा, समाज के ताने-बाने को बहाल करने की भी बड़ी चुनौती है। जब तक स्थानीय समुदायों में सामाजिक संबंध फिर से स्थापित नहीं हो जाते और लोग एक बार सुरक्षित और स्थिर जीवन का आनंद लेना शुरु न कर लेते, तबतक फुकुशिमा दुर्घटना पूरी तरह से हल नहीं होगी।

इसी कारण से जापान के धर्माध्यक्षों ने परमाणु ऊर्जा के निरंतर उपयोग के बारे में अपनी चिंता प्रकट की है और उन्होंने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को समाप्त करने का आह्वान किया है।

भविष्य के लिए एक नया रास्ता

संत पापा ने कहा कि आज तकनीकी प्रगति को मानवीय प्रगति का पैमाना बनाया जा रहा है। प्रगति और विकास का यह "तकनीकी लोक-प्रतिमान" व्यक्तियों और समाज के कामकाजी जीवन को आकार देता है और अक्सर एक ऐसी कमी को जन्म देता है जो मानव और सामाजिक जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है (सी एफ, लौदातो सी 101-114)। इसलिए इस समय हमें गंभीरता से विचार करना है कि हम कौन हैं?, हम क्या बनना चाहते हैं?  कैसी दुनिया, कैसी विरासत हम उन लोगों के लिए छोड़ेंगे जो हमारे बाद आएंगे?  हमारे बुजुर्गों के ज्ञान और अनुभव, युवा लोगों का एक अलग दृष्टि बनाने में मदद करे जो जीवन के उपहार, भाइयों और बहनों के साथ एकजुटता तथा बहु-जातीय और बहु-सांस्कृतिक मानव परिवार का सम्मान करे।

आम घर की सुरक्षा

संत पापा ने कहा कि हमार आम घर के भविश्य को देखते हुए हम मात्र अपने स्वार्थ के लिए निर्णय नहीं ले सकते हैं हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी एक बड़ी जिम्मेदारी है। नतीजतन, हमें जीवन का एक विनम्र और शांत तरीका चुनना चाहिए जो उन तत्काल वास्तविकताओं को पहचानता है जिनका हमें सामना करना है। हम सभी अपनी संस्कृति, अनुभव, भागीदारी और प्रतिभा के अनुसार हमारे आम घर की सुरक्षा और देखभाल में सहयोग दे सकते हैं।

संत पापा ने पुनः उदार दानदाताओं को धन्यवाद दिया जो अपनी क्षमता अनुसार पुनर्निर्माण का काम में सहयोग दे रहे हैं। संत पापा ने कहा कि हम सभी अपनी प्रार्थनाओं और आर्थिक रुप से भी मदद करना जारी रखे जिससे कि जरुरत मंद हमार भाई बहन अकेला या भूला हुआ महसूस न करें। भविष्य के लिए आशा, स्थिरता और सुरक्षा मिले।

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25 November 2019, 16:03