अमाजोन धर्मसभा अमाजोन धर्मसभा 

अमाजोन धर्मसभा में हर कोई शामिल है, संत पापा फ्राँसिस

शनिवार को अंतिम दस्तावेज की मंजूरी के बाद, संत पापा फ्रांसिस ने अमाजोन के लिए धर्माध्यक्षों के धर्मसभा के काम को यह कहते हुए विराम दिया कि "जब हम एक साथ कलीसिया के प्रेरितिक कामों को करते हैं तो हम सभी विजेता हैं।"

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 28 अक्टूबर 2019 (वाटिकन न्यूज) :  संत पापा फ्राँसिस ने धर्मसभा के धर्माध्यक्षों और अन्य प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, धर्मसभा में चर्चा किए गए चार आयामों: सांस्कृतिक, पारिस्थितिक, सामाजिक और प्रेरिताई को संक्षेप में प्रस्तुत किया।

सांस्कृतिक आयाम

सांस्कृतिक आयाम के साथ शुरुआत करते हुए, संत पापा ने कहा कि वे विशेष रूप से संस्कृतियों के उल्लंघन, मूल्यांकन और सम्मान के बारे में हुई चर्चा से प्रसन्न थे। सांस्कृतिक अनुकूलन कलीसिया की एक परंपरा है। संत पापा ने कहा कि इस मुद्दे को 40 साल पहले पुएब्ला सम्मेलन में संबोधित किया गया था।

पारिस्थितिक आयाम

संत पापा फ्राँसिस ने तब धर्मसभा द्वारा पारिस्थितिक आयाम पर किये गये विचारों का उल्लेख किया। उन्होंने कॉन्स्टंटिनोपल के प्राधिधर्माध्यक्ष बार्थोलोमेव के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि वे इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने वाले पहले लोगों में से एक थे। पारिस्थितिक आयाम पर चिंतन करते हुए उन्हें प्रेरितिक उद्बोधन "लौदातो सी" लिखने की प्रेरणा मिली। और अब पारिस्थितिक जागरूकता आगे बढ़ती जा रही है।

संत पापा ने अमाजोन की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि आज के युवा भी अमाजोन के पक्ष में प्रदर्शन कर रहे हैं," उन्होंने कहा कि न केवल अमाजोन के युवा, बल्कि कांगो और अर्जेंटीना के युवा भी, पारिस्थितिक खतरों के बारे में जागरुक हैं।

सामाजिक आयाम

संत पापा फ्राँसिस ने धर्मसभा में जांचे गए सामाजिक आयाम का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि शोषण "न केवल सृष्टि को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि लोगों को नुकसान पहुँचाता है।" अमाजोन के लोगों को हर स्तर पर क्रूर शोषण का सामना करना पड़ा है, साथ ही "उनकी सांस्कृतिक पहचान को नष्ट कर दिया गया है। इसमें मानव तस्करी भी शामिल है। जब वे पेरू की प्रेरितिक यात्रा के दैरान पूएरतो माल्दोनाडो में थे, तो उन्होंने हवाई अड्डे पर एक मानव तस्करी के खिलाफ लोगों को सचेत करने का एक संकेत देखा, वह बस एक संकेत था लेकिन इसकी वास्तविकता अति व्यापक है।

प्रेरितिक आयाम

प्रेरितिक आयाम पर गौर करते हुए, संत पापा ने पुष्टि की कि सुसमाचार की घोषणा आवश्यक और जरूरी है। उन्होंने कहा कि चारों में से यह आयाम सबसे महत्वपूर्ण है। सुसमाचार को इन संस्कृतियों के द्वारा "समझने, अवशोषित होने और आत्मसात करने" की आवश्यकता है। पुरोहित, धर्मसंघी, समर्पित लोग,  और स्थायी डीकन सुसमाचार घोषणा को मजबूत करने में योगदान दे सकते हैं। प्रेरितिक कार्यों में नवीनता और रचनात्मकता लाने की आवश्यकता है, इसमें प्रारंभिक कलीसिया में स्थायी डीकनों और महिलाओं की भूमिका का अध्ययन करना शामिल है। संत पापा ने कहा कि वे इस उद्देश्य के लिए सुसमाचार प्रचार हेतु बने धर्मसंघ तथा विश्वास के प्रसार हेतु बने धर्मसंघ के साथ मिलकर एक नया आयोग स्थापित करने का इरादा रखते हैं।

सुधार

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि धर्मसभा के दौरान, कुछ चीजें सामने आईं, जिनमें सुधार की आवश्यकता है। "कलीसिया को हमेशा सुधार की आवश्यकता है।" पुरोहितों के प्रशिक्षण के साथ शुरुआत करते हुए, संत पापा ने पुष्टि की कि यह धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों की जिम्मेदारी है और वे उन्हें युवा धर्मसंघियों के साथ अधिक उत्साह के साथ काम करने हेतु आह्वान करते हैं। उनकी बुलाहट ठोस है, लेकिन उन्हें प्रेरितिक उत्साह के साथ प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है ताकि वे दूर दराज क्षेत्रों में जाकर प्रेरितिक कार्य सम्पन्न कर सकें।

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि वाटिकन राजनयिकों के प्रशिक्षण के तहत दुनिया के कुछ चुनौतीपूर्ण मिशन क्षेत्रों के धर्माध्यक्षों की सेवा में एक या दो साल बिताने का विचार उनके लिए अच्छा होगा। एक और अच्छा सुधार यह होगा कि एक देश के भीतर पुरोहितों को पुनर्वितरित करना।

यह अक्सर कहा जाता है कि अमाजोन क्षेत्र के कई पुरोहित संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में हैं। दूसरे अध्ययन करने के लिए जहाँ जाते हैं वे अपने देश नहीं लौटते और वहीं रह जाते हैं। इटली के एक धर्माध्यक्ष ने उनसे कहा कि ऐसे भी कुछ पुरोहित हैं जो तब तक पहाड़ों पर स्थित गांवों में नहीं जाते जब तक उन्हें भुगतान नहीं किया जाता। संत पापा फ्राँसिस ने इसे एक घोटाला बताया। हमें इन देशों में सुधार लाने की जरूरत है।

महिलाएँ

संत पापा ने तब दस्तावेज़ के महिलाओं की भूमिका से संबंधित अनुभाग की बात की। उन्होंने कहा कि यह खंड थोड़ा छोटा था। "मैं सिर्फ इसे रेखांकित करना चाहूंगा, हमें अभी भी यह महसूस नहीं हुआ है कि कलीसिया में महिलाओं की क्या भूमिका है।" हम केवल इसके बारे में एक कार्यात्मक दृष्टिकोण से सोच रहे हैं। "कलीसिया में महिलाओं की भूमिका मात्र कार्यक्षमता नहीं परंतु इससे भी बढ़कर है।"

पुनर्निर्माण

दस्तावेज़ का अंतिम भाग पुनर्गठन के मुद्दे को छूता है। इसमें आरइपीएएम जैसी सेवा संरचनाओं का उल्लेख है। संत पापा ने दुनिया के अन्य हिस्सों में धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों, अर्ध-धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों और क्षेत्रीय सम्मेलनों के अस्तित्व का उल्लेख किया और कहा कि क्यों न अमाजोन में छोटे धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों की अवधारणा लागू की जाए।

धर्मविधि

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि धर्मसभा ने संस्कारों और पूजन विधियों पर भी चर्चा की थी। "ये दिव्य उपासना हेतु गठित घर्मसंघ की जिम्मेदारी के तहत आते हैं, जो सांस्कृतिक अनुकूलन के उद्देश्य से प्रस्तावों की जांच करेगा। कलीसिया में मौजूदा संस्कारों की बात करते हुए, संत पापा ने कहा कि शुरु में ये छोटी थी पर समय के अंतराल में बड़ी होती गई। हमें इन संस्थाओं से नहीं डरना चाहिए जो पवित्र माता कलीसिया के भीतर की एक विशेष प्रकृति है। वह "इस मार्ग पर हमारा समर्थन करने वाली माँ" है।

संत पापा ने रोमन कूरिया के भीतर समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने के लिए बने विभाग के अंदर "अमाजोन अनुभाग" शुरु करने की बात कही। इसके लिए वे विभाग के अध्यक्ष कार्डिनल टर्कसन के साथ बातें करेंगे।

धन्यवाद

तब संत पापा ने उन सभी को धन्यवाद दिया, जिन्होंने "इस कमरे के बाहर काम किया", जिनमें सचिव, मीडिया, प्रसारण टीम, बैठकें तैयार करने वाले "पर्दे के पीछे", काम किया।

धर्मसभा के अध्यक्षों और जनरल सचिवालय का धन्यवाद करने के बाद, संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि वे धर्मसभा की खबर को प्रसारित करने के लिए संचार मीडिया का विशेष रुप से अपना आभार व्यक्त करना चाहते हैं।

उन्होंने पूछा कि अंतिम दस्तावेज का संचार करते समय, मीडिया ने सांस्कृतिक, सामाजिक, प्रेरिति और पारिस्थितिक आयामों के बारे में प्रस्तुत निदान पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि समाज को इसे अपने रूप में लेने की जरूरत है। दुनिया को विश्लेषण किए गए सभी चार आयामों को समझने की आवश्यकता है। हमेशा ऐसे लोग होते हैं जो दस्तावेज़ के एक छोटे से हिस्से, अनुशासनात्मक या अंतर-कलीसियाई क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। वे देखना चाहते हैं कि कौन जीता और कौन नहीं जीता। जब हम अपने प्रेरितिक काम को एक साथ करते हैं, तो"हम सभी विजेता हैं।"  

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28 October 2019, 16:54