संत पापाओं के साथ 11 सितम्बर की याद
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 12 सितम्बर 2019 (रेई)˸ 11 सितम्बर 2001 को न्यूयॉर्क के विश्व व्यापार केंद्र पर हुए हमले की 18वीं वर्षगाँठ पर वीभत्सकारी घटना की याद करते हुए, घटना के प्रभाव का सामना करने हेतु संत पापाओं के शब्दों एवं कार्यों की याद की गयी है।
संत पापा जॉन पौल द्वितीय ˸ 2001
यह मंगलवार का दिन था। संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने घटना को टेलीविजन पर लाईव देखा। उनके संचार सचिव ने बाद में बतलाया कि संत पापा जॉन पौल द्वितीय घटना को देखने के बाद अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से टेलीफोन पर सम्पर्क करने की कोशिश की और अमरीका के लोगों के प्रति अपना आध्यात्मिक सामीप्य व्यक्त करना चाहा किन्तु राष्ट्रपति से सम्पर्क नहीं हो पा रहा था क्योंकि वे सुरक्षा कारणों से पहुँच के बाहर थे। तब संत पापा ने तार संदेश भेजाकर अमानवीय आक्रमण की निंदा की तथा उस विकट परिस्थिति में अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन दिया।
दूसरे दिन बुधवार को संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने आंतरिक पीड़ा के तनाव के साथ आमदर्शन समारोह का नेतृत्व किया, जहाँ उन्होंने कहा कि "मानव प्रतिष्ठा पर वह भयंकर आक्रमण मानव इतिहास का सबसे अंधकारमय दिन" था। मनुष्य का हृदय एक अगाध गर्त है, जो कई बार अकथनीय क्रूरता का कार्य करता है।"
संत पापा बेनेडिक्ट 16वें ˸ 2008
20 अप्रैल 2008 को संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने न्यूयॉक में ग्रौंड जीरो की पहली बार यात्रा की। इसके शिकार लोगों के सम्मान में उन्होंने भाषण नहीं देने का निर्णय किया बल्कि उसके स्थान पर एक प्रार्थना अर्पित की। उन्होंने इस प्रकार प्रार्थना की, "हे प्रज्ञा के ईश्वर, इस त्रासदी की भयावहता से अभिभूत, जब हम इस भयंकर घटना का सामना कर रहे हैं तब हम आपकी ज्योति और मार्गदर्शन की खोज करते हैं।"
उसके बाद संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने न्यूयॉक के वॉशिंगटन डी सी में मारे गये लोगों की याद में एक मोमबत्ती जलायी थी।
संत पापा फ्रांसिस ˸ 2015
सात सालों बाद, संत पापा फ्राँसिस ने अपने पूर्वाधिकारी के पदचिन्हों पर चलते हुए 25 सितम्बर 2015 को ग्रौंड जीरो स्मारक का दौरा किया। संत पापा फ्राँसिस ने प्रतिबिंब पूल के किनारे जब श्वेत गुलाब के फूल अर्पित किये, वहाँ सिर्फ पानी के बहने की धीमी आवाज सुनाई पड़ रही थी।
इस ऐतिहासिक स्थान पर संत पापा फ्राँसिस ने एक अंतरराष्ट्रीय सभा में भाग लिया तथा सभी धर्मों के लोगों से अपील की कि एक साथ मिलकर शांति को बढ़ावा दिया जाए।
उन्होंने सभा में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा, "मृत्यु का यह स्थान अब जीवन का स्थान बन गया है। यह विनाश और मृत्यु पर जीवन के विजय का गीत है, बुराई पर अच्छाई और मेल-मिलाप तथा घृणा एवं विभाजन पर एकता की जीत का संगीत है।"
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here