इताली शल्य-चिकित्सकों एवं दंत चिकित्सकों को सन्त पापा का सम्बोधन
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 20 सितम्बर 2019 (रेई,वाटिकन रेडियो): इटली के शल्य-चिकित्सकों और दंत चिकित्सकों के राष्ट्रीय संघ को शुक्रवार को सम्बोधित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि चिकित्सा का अन्तिम लक्ष्य मानव जीवन की सेवा होनी चाहिये।
"चिकित्सा", मानव जीवन की सेवा के लिये
उन्होंने कहा, उसकी परिभाषा के अनुकूल, "चिकित्सा", मानव जीवन की सेवा के लिये है और इसीलिये इसे मानव व्यक्ति की आध्यत्मिक एवं भौतिक अखण्डता और साथ ही उसके व्यक्तिगत एवं सामाजिक आयाम के सन्दर्भ में देखा जाना चाहिये।
सन्त पापा ने कहा कि यह स्मरण रखा जाना चाहिये कि "बीमारी एक नैदानिक तथ्य से अधिक है, यह केवल एक चिकित्सकीय तथ्य भी नहीं है बल्कि यह सदैव मानव व्यक्ति की स्थिति, रोगी की स्थिति है और चिकित्सकों को इसी दृष्टिकोण के साथ अपने कार्य के निर्वाह के लिये आमंत्रित किया जाता है, वे अपने रोगी के साथ किस प्रकार का व्यवहार करे इसी पर निर्भर रहा करता है।"
रोगी साक्षात्कार का सुअवसर
उन्होंने कहा कि चिकित्सकों के लिये यह नितान्त आवश्यक है कि वे चिकित्सीय, व्यावसायिक एवं तकनीकी क्षमताओं के साथ-साथ नैतिक मूल्यों को भी ध्यान में रखें जिससे उनके समक्ष आनेवाले रोगी केवल किसी रोग का निदान चाहने के इच्छुक लोग मात्र न रहें बल्कि प्रत्येक रोगी मानव व्यक्ति के संग साक्षात्कार का सुअवसर बने।
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