मडागास्कर के धर्माध्यक्षों से मुलाकात करते संत पापा मडागास्कर के धर्माध्यक्षों से मुलाकात करते संत पापा 

नये धर्माध्यक्षों से संत पापा, ईश्वर और लोगों के करीब रहें

संत पापा फ्राँसिस ने साल 2018 में अभिषिक्त धर्माध्यक्षों से 12 सितम्बर को मुलाकात की जो इन दिनों रोम में धर्माध्यक्षों एवं पूर्वी कलीसियाओं के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ द्वारा आयोजित एक कोर्स में भाग ले रहे हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 12 सितम्बर 19 (रेई)˸ संत पापा ने धर्माध्यक्षों से कहा, "हमारा मिशन है कलीसिया और विश्व के लिए ईश्वर के सामीप्य का संस्कार (चिन्ह) बनना। हमारा विश्व इसी दिव्य सामीप्य की खोज करता है। कलीसिया खुद अपने आप खो जाती है जब वह भला चरवाहा होने की जीवनदायी कोमलता को खो देती है।  

ईश्वर के नजदीक

संत पापा ने कहा, "ईश्वर का सामीप्य एक धर्माध्यक्ष की प्रेरिताई का स्रोत है और हम इस सामीप्य को प्रत्यक्ष बनाने के लिए होते हैं किन्तु हम ईश्वर के सामीप्य को तब तक व्यक्त नहीं कर सकते जब तक कि हम खुद उसे अनुभव नहीं कर लेते।" बीज बोने वाले के निकट रहे बिना हम पौधे के विकास को दृढ़ धैर्य से साथ नहीं दे सकते।

ईश्वर की प्रजा के करीब

संत पापा ने कहा कि उस प्रजा के करीब रहना जिसे हमें सौंपा गया है, हमारी आवश्यक स्थिति है। येसु अपने धर्माध्यक्षों के द्वारा, उनके सहारा देने वाले हाथों के द्वारा, उनके वचनों, सुसमाचार की घोषणा और उनके हृदयों से अपने भाई-बहनों के करीब होना चाहते हैं। हम ऐसा तभी कर सकते हैं जब हम भाइयों एवं बहनों के दुःख-सुख में सहभागी हों। "हमें अपने जीवन से उन मापों को प्रकट करना है जो दुनिया के मापों से भिन्न हैं, प्रेम की माप जो असीम है।"

भले समारी का सामीप्य

एक धर्माध्यक्ष का सामीप्य आलंकारिक नहीं होता। यह आत्म-संदर्भित उद्घोषणा नहीं होती बल्कि सच्ची तत्परता होती है। यह भले समारी की तरह सामीप्य के लिए ठोस क्रियाओं को करता है न कि लोगों को देखकर दूसरी ओर मुँह फेर लेता अथवा उन लोगों को छोड़ नहीं देता जो उनका इंतजार करते हैं और न ही समस्या को दरी के अंदर छुपा देता है।

संत पापा ने नये धर्माध्यक्षों को प्रोत्साहन दिया कि वे लोगों के सम्पर्क में रहें और उनके लिए अधिक समय दें। भला समारी घाव पर पट्टी बांधता है और अपने हाथ को गंदा होने देता है। ईश्वर की प्रजा के करीब होने का अर्थ है अपने आप को उनके बीच रखना, उनके सुख और दुःख में सहभागी होना।  

गरीबों के नजदीक

संत पापा ने कहा कि सामीप्य की माप इसमें है कि गरीबों पर कितना ध्यान दिया जाता है। सरल जीवन जीने का अर्थ है येसु का साक्ष्य देना तथा जिस ख़ज़ाने के साथ हम खुद को घेरना चाहते हैं, वह उन लोगों से बना है, जो अपनी गरीबी में हमें येसु की याद दिलाते हैं।

सुनने की नजदीकी

संत पापा ने नये धर्माध्यक्षों को सुनने वाले प्रेरित बनने की सलाह दी जो किस तरह सुनना है उसे जानते हैं भले ही कई बार सुनना प्रिय न लगे। संत पापा ने उन्हें सिर्फ "हाँ" कहने वाले लोगों से नहीं घिरे रहने का परामर्श दिया।

उन्होंने उन्हें नियमित प्रेरितिक मुलाकात करने का प्रोत्साहन दिया, अपने लोगों और अपने चरवाहों से मुलाकात करने का प्रोत्साहन। माता मरियम के समान मुलाकात करने को कहा जो अपने साथ प्रभु का विश्राम लेकर आती हैं।  

पुरोहितों के नजदीक

अंततः संत पापा ने नये धर्माध्यक्षों से अपील की कि वे पुरोहितों के करीब रहें जिन्हें प्रेम किये जाने, साथ दिये जाने और प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। संत पापा ने कहा कि एक पुरोहित, धर्माध्यक्ष का सबसे निकट पड़ोसी होता है अतः उनका आलिंगन करें और मेरे नाम से उन्हें धन्यवाद दें।

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12 September 2019, 17:38