मोजाम्बिक, मडागास्कर और मोरिशस में सुसमाचार का खमीर
दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, 11 सितम्बर 2019 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को अफ्रीकी देशों की प्रेरितिक यात्रा का संक्षिप्त विवरण सुनने के पूर्व संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।
संत पापा ने कहा कि कल शाम मैंने मोजाम्बिक, मडागास्कर औऱ मोरिशस की अपनी प्रेरितिक यात्रा पूरी कर रोम वापस लौटा। मैं ईश्वर का धन्यवाद अदा करता हूँ जिनकी कृपा से मैंने शांति और आशा के एक तीर्थयात्री स्वरुप इन देशों की यात्रा पूरी की। मैं तीनों देशों के सामाजिक अधिकारियों और धर्माध्यक्षों के प्रति अपनी कृतज्ञता के भाव अर्पित करता हूँ जिन्होंने अतुल्य प्रेम में मेरा स्वागत करते हुए मेरी देख-रेख की।
सुसमाचार एक खमीर
येसु ख्रीस्त दुनिया की आशा हैं और उनका सुसमाचार- भ्रातृत्व, स्वत्रंतता, न्याय और शांति एक शक्तिशाली खमीर है। सुसमाचार प्रचारकों के कदमों में चलते हुए मैंने मोजाम्बिक, मडागास्कर और मोरिशस में इस खमीर को प्रसारित करने का प्रयास किया।
संत पापा ने कहा कि मोजाम्बिक में मैंने आशा, शांति और मेल-मिलाप के बीज बोने की कोशिश की जहाँ विगत सालों में हथियार बंद युद्ध के कारण देश को विकट परिस्थिति का सामना करना पड़ा है। पिछले बसंत में आये दो तूफानों ने भी देश को और अधिक प्रभावित किया है। ऐसी परिस्थिति में भी 1 अगस्त को देश में दलों के बीच हुए शांति समझौते को कलीसिया अपनी ओर से आगे ले जाने का प्रयास कर रही है।
नाजरेत का मार्ग “हाँ”
इस संदर्भ में मैंने देश के अधिकारियों को लोगों की भलाई हेतु एक साथ मिलकर कार्य करने हेतु प्रोत्साहित किया। विभिन्न धर्मों और परिवेश से आये हुए युवाओं को मैंने प्रोत्सहित करते हुए कहा कि वे देश के निमार्ण में सहयोग दें, अपनी निराशा और चिंता में विजय प्राप्त करते हुए सामाजिक मित्रता का प्रसार करें तथा अपने बुजुर्गों से मिली विरासत को धन के रुप में सुरक्षित रखें। मापुपो के निष्कलंक कुंवारी मरियम को समर्पित महागिरजाघर में धर्माध्यक्षों, पुरोहितों और समर्पित लोगों से मिलन के दौरान मैंने उन्हें बुलाहट के उद्गम की याद करते हुए नाजरेत के मार्ग, “हाँ” को उदारता में कृतज्ञतापूर्ण हृदय से जीने का आह्वान किया। प्रेरिताई की यह मजबूत झलक जिमपेतो के अस्पताल में झलकती है जो राजधानी से बाहर स्थिति है जिसे संत एजिदियो समुदाय ने अपने समर्पण में स्थापित किया है। मोजाम्बिक की मेरी प्रेरितिक यात्रा की चरम वहाँ के स्टेडियम में यूखारिस्तीय बलिदान का अनुष्ठान रहा जहाँ वर्षा के बावजूद लोकधर्मियों के बृहृद समुदाय ने क्रांति के बीज ईशवचन “अपने शुत्र से प्रेम करो” (लूका. 6.27) को अपने में ध्वनित पाया जो हिंसा का अंत करती और प्रेममय भ्रातृत्व को प्रसारित करती है।
मापुतो से हम मडागास्कर की ऱाजधानी आन्तनानारिवो पहुँचे। एक देश जो अपने में प्राकृतिक सुन्दरता औऱ खनिज सम्पदा से समृद्ध होते हुए भी गरीबी से अति प्रभावित है। मैं आशा करता हूँ कि एकता की परांपरा से प्रेरित होकर, मडागास्कर के लोग विभिन्नताओं में विजय होते हुए पर्यावरण और सामाजिक न्याय, दोनों मुद्दों पर अपने देश का विकास करेंगे। मैंने इस संदर्भ की प्रेरितिक निशानी “मैत्री के शहर” आकामासोआ की भेंट की जिसकी स्थापना प्रेरितिक कार्य में संलग्न पुरोहित पेद्रो ओपेका के द्वारा की गई है। सुसमाचार से प्रेरित वहाँ मिलकर मानव सम्मान, गरीबों की देख-रेख औऱ बच्चों की शिक्षा के कार्य समापन कर रहें हैं। आकामासोआ में ग्रेनाइट की खदान में कार्य करने वालों के संग मिलकर हमने ईश्वर को कृतज्ञतापूर्ण प्रार्थना अर्पित की।
ईश्वर सदा हमारे साथ हैं
संत पापा ने कहा कि मडागास्कर की प्रेरितिक यात्रा के शुरू में हमने मठवासी धर्मबहनों से मुलाकात की जो हमें इस बात का एहसास दिलाता है कि विश्वास और प्रार्थना के बिना मानव निर्मित शहर अपने में व्यर्थ है। धर्माध्यक्षों के संग मिलकर हमने अपने समर्पण को नवीकृत किया, हम “शांति और आशा के बीज बोने वाले बनें”, ईश प्रज्ञा की देख-रेख करें विशेषकर गरीबों और अपने पुरोहितों की। हमने एक साथ मिलकर मडागास्कर की धन्य वितोरे रोसोमानानारिवो को आदर-सम्मान अर्पित किया। युवाओं के साथ मिलकर हमने रात्रि जागरण प्रार्थना में भाग लिया और उनके साक्ष्य, गीतों और नृत्यों से अपने को रुबरु किया। मैंने उन्हें प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे अपने जीवन की राह में सदा बने रहें, ईश्वर जो उन्हें नाम लेकर बुलाते हैं वे उनका प्रतिउत्तर दें जो उन्हें अपने कार्यों के लिए निर्देशित करते हैं। वे इस बात पर विश्वास करें कि वे जीवित हैं और सदा उनके साथ रहते हैं।
संत पापा ने कहा कि हमने रविवार को अन्तानानारिवो में, धर्मप्रान्त के मैदान में यूखारिस्तीय बलिदान अर्पित किया, यह उसी प्रकार था जैसे गलीसिया के चौराहों में बड़ी भीड़ येसु के चारो ओर एकत्रित थी। अंत में संत मिकेल के संस्थान में मैंने मडागास्कर के पुरोहितों, समर्पित लोगों और गुरूकुल के विद्यार्थियों से भेंट की। हमारा यह मिलन ईश्वरीय स्तुति गान की निशानी रही।
रोमवार, हमारे लिए गणतंत्र मेरिशस की तीर्थ का दिन रहा, जो तीर्थयात्रियों के लिए एक सुप्रसिद्ध प्रर्यटक स्थल है, उसे मैंने विभिन्न जातियों औऱ संस्कृतियों के बीच एकता में मिलन के स्थल स्वरुप चुना। वास्तव में, पिछले दो शताब्दियों में, अलग-अलग समूह के लोगों ने, इस द्वीपसमूह पर अपने पैर रखें हैं, खासकर भारत से, और स्वतंत्रता के बाद देश ने अपनी मजबूत आर्थिक और सामाजिक विकास का अनुभव किया है।
धन्य ईशवचन हमारी पहचान पत्र
हमने माता मरियम की शांति स्मृति स्थल पर, धन्य जाक देसिरे लाभाल की यादगारी में पवित्र मिस्सा बलिदान अर्पित किया जो “मोरिशस की एकता के प्रेरित” हैं। धन्य ईशवचन जो येसु ख्रीस्त के शिष्यों के लिए एक पहचान पत्र के समान है, हमें व्यक्तिगत स्वार्थ और केवल अपनी ही भलाई के मनोभाव से बाहर निकले को प्रेरित करता है जहाँ हम अपने को सच्ची खुशी, करुणा, न्याय और शांति की खमीर से पोषित होता हुआ पाते हैं। अंत में, मैंने मोरिशस के अधिकारियों से मुलाकात करते हुए देश की एकता और विविधता हेतु उनका धन्यवाद अदा किया। मैंने उन्हें इस बात हेतु प्रोत्साहित किया कि वे एक दूसरे को स्वीकार करने की अपनी योग्यता को बनाये रखने का प्रयास करते हुए लोकतांत्रिक जीवन का विकास करें।
संत पापा ने कहा, “प्रिय भाइयों और बहनों, आइए हम ईश्वर को धन्यवाद दें और उनसे निवेदन करें कि इस प्रेरित यात्रा में बोये गए बीज मोजाम्बिक, मडागास्कर और मोरिशस के लोगों के लिए प्रचुर मात्रा में फल उत्पन्न करे।”
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