पुरोहितों और धर्मसंघियों को संबोधित करते हुए संत पापा पुरोहितों और धर्मसंघियों को संबोधित करते हुए संत पापा  

ईश्वर की उपस्थिति का जीवित संकेत बनें, संत पापा मिशनरियों से

संत पापा फ्राँसिस अंतानानारिवो में एकत्र हुए पुरोहितों और धर्मसंघियों के कार्यों की प्रसंशा करते हुए कठिन परिस्थितियों में लोगों के चरवाहे बने रहने और प्रार्थना करने हेतु प्रोत्साहित किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

अंतानानारिवो, सोमवार 09 सितम्बर 2019 (रेई, वाटिकन न्यूज) :  मडागास्कर की दो दिवसीय यात्रा के अंतिम पड़ाव में संत पापा फ्राँसिस ने रविवार शाम को मडागास्कर के पुरोहितों, धर्मसंघियों, धर्मबहनों, धर्मबंधुओं, सेमिनारियों और नौसिखियों से मुलाकात की जो अंतानानारिवो में येसु समाजियों द्वारा संचालित संत मिखाएल कॉलेज के प्राँगण में हजारों की संख्या में एकत्रित थे। इस संस्थान की स्थापना सन् 1888 में फ्रांसीसी जेसुइट मिशनरियों द्वारा की गई थी, अब यह पूरे क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए एक प्रसिद्ध केंद्र बन गया है।

मिशनरी विरासत

संत पापा फ्राँसिस ने उन सभी मिशनरियों विशेषकर विंसेंट धर्मसमाजियों, येसु समाजियों, क्लूनी कके संत जोसेफ की धर्मबहनों, ख्रीस्तीय स्कूलों के धर्मबंधुओं, ला सालेट के मिशनरियों  और धर्माध्यक्षों को कृतज्ञता के साथ याद करते हुए कहा, "पिछले वर्षों में मिशनरियों ने प्रभु येसु और उनके राज्य के विस्तार पर अपना जीवन दांव पर लगाया। बहुत सारे मिशनरियों के साथ लोकधर्मियों ने भी सुसमाचार के संदेश को फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। देश में जब धर्मसतावट शुरु हुआ और मिशनरियों को देश छोड़ना पड़ा तो उत्पीड़न के कठिन दिनों के दौरान लोकधर्मियों ने इस भूमि में विश्वास की लौ को बनाए रखा। आज यहाँ मौजूद आप सभी उनकी विरासत में साझा कर रहे हैं।”

कलीसिया की चुनौती

संत पापा ने वहाँ उपस्थित लोगों की तुलना उन 72 शिष्यों से की, जिन्हें येसु ने सुसमाचार प्रचार करने के लिए भेजा। संत पापा ने कहा कि वे खाली हाथ गये थे पर लौटते वक्त उनके पास साझा करने के लिए बहुत कुछ था। उन्होंने जो भी देखा और अनुभव किया अपने दूसरे भाइयों के साथ साझा किया।

संत पापा ने कहा, "आपने भी आगे आने की हिम्मत की और इस द्वीप के विभिन्न हिस्सों में सुसमाचार के प्रकाश को लाने की चुनौती स्वीकार किया।" आप पानी, बिजली, सड़क और संचार के साधन जैसे आवश्यक सेवाओं का अभाव में भी लोगों के साथ रहते हैं। संत पापा ने लोगों के बीच रहने और उनकी कठिनाइयों में उनका साथ देने हेतु कठिन जीवन का चुनाव करने के लिए उन्हें पुनः धन्यवाद दिया।

प्रेरितिक कार्यों के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों की कमी और कई कठिन परिस्थितियों में भी लोगों का साथ देना और उनके बीच उपस्थित रहना कलीसिया की एक बड़ी चुनौती है। संत पापा ने कहा,“आप सभी प्रभु के हृदय में और अपने लोगों के दिल के करीब रहना सीखा है।"

सुसमाचार के खुशबू को बनायें रखें

संत पापा फ्राँसिस ने उन लोगों से आग्रह किया कि वे अपने मिशन में आगे बढ़ते रहे और कभी भी प्रभु की प्रशंसा करना बंद न करें। उन्होंने कहा, “अक्सर, हम काम, हमारे "प्रभाव" "सफलताओं" और "विफलताओं" के बारे में बात कर, अपना समय बर्बाद करने के प्रलोभन में पड़ जाते हैं और कभी-कभी अपने स्वयं के इतिहास को नकारने का जोखिम उठाते हैं। आपके लोगों का इतिहास "जो गौरवशाली है, बलिदानों, आशाओं, दैनिक संघर्षों का इतिहास है। आप सुसमाचार के खुशबू को बनायें रखें। प्रार्थना और प्रभु का महिमागान करते रहें।

संत पापा ने रोमानो गुवार्डिनी के हवाले से कहा, "जो अपने दिल की गहराई से ईश्वर की आराधना करता है, और हर संभव अपने ठोस कार्यों द्वारा सच्चाई को जीता है। वह कई चीजों के बारे में गलत हो सकता है; वह अपनी सभी कार्यों से हताश और निराश हो सकता है, लेकिन इतना कुछ होते हुए भी, उसका जीवन एक निश्चित नींव पर टिका होता है।”

अपने अंदर की लड़ाइयाँ

संत पापा फ्राँसिस ने आध्यात्मिक जीवन की लड़ाइयों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हम अपने बुलाहट में आगे बढ़ते हैं, धर्मसंघियों के लिए दी गई आध्यात्मिक अभ्यास और दैनिक प्रार्थना कर संतुष्ट हो जाते हैं। दूसरों से मुलाकात करना, दुनिया के साथ जुड़े रहना या कहें कि सुसमाचार प्रचार का जुनून शिथिल पड़ने लगता है। इसके परिणाम स्वरूप, प्रशंसा के पुरुष और महिला होने के बजाय, हम "पेशेवर" बन जाते हैं। संत पापा ने अपने अंदर की लड़ाई को जीतने और सुसमाचार के लिए अपने जुनून को बनाये रखने हेतु सभी को आमंत्रित किया।

संत पापा ने कहा, “आइये, हम अपने आप में मिशनरी आनंद को खत्म होने न दें। इस कलीसिया ने ईश्वर के राज्य के लिए कठिन कार्य किया है और पृथ्वी के हाशिए पर रहने वाले लोगों को ईश्वर की खुशखबरी सुनाई है। अपने लोगों के बीच ईश्वर की उपस्थिति का जीवित संकेत बनें।”

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09 September 2019, 14:49