आमदर्शन समारोह के दौरान संत पापा आमदर्शन समारोह के दौरान संत पापा  

रोमानिया की यात्रा का वृतांत

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में रोमानिया की अपनी प्रेरितिक यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 05 जून 2019 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।

पिछले सप्ताह मैंने रोमानिया के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री महाशया के निमंत्रण पर रोमानिया की प्रेरितिक यात्रा पूरी की। मैं पुनः रोमानिया के सभी नागर और कलीसियाई अधिकारियों के प्रति अपनी कृतज्ञता के भाव अर्पित करता हूँ जिन्होंने मेरी इस प्रेरितिक यात्रा में अपना सहयोग देते हुए इसे सफल बनाने में मेरी मदद की है। मैं ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता के उद्गार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी स्वरुप, संत पापा योहन पौलुस द्वितीय के बाद 20 सालों उपरान्त, मुझे पुनः इस देश का दौरा करने का एक सौभाग्य प्रदान किया।  

एक साथ चलना

संत पापा ने कहा कि मेरी इस प्रेरितिक यात्रा का आदर्श वाक्य था,“एक साथ चलना”। मुझे खुशी है कि मैंने इसे दूर रहकर या ऊपर से पूरा नहीं किया अपितु मैंने इसे रोमानिया के लोगों के साथ चलते हुए इसे एक  तीर्थयात्रा की भांति पूरा किया है।

विभिन्न तरह की बैठकों में, हमें ख्रीस्तियों के रुप में विश्वास और करूणा के मूल्यों पर आधारित, देश के नागरिकों के लिए निष्ठापूर्ण तरीके से कार्य करने और एक साथ चलने की बातों पर बल दिया।

ख्रीस्तियों के रुप में हमें विभिन्न कलीसियाओं के संग भ्रातृत्व प्रेम में एक साथ मिलकर रहने की कृपा प्राप्त हुई है। रोमानिया में अधिकतर विश्वासी आर्थोडॉक्स कलीसिया के अनुसायी हैं जिनकी अगुवाई प्राधिधर्माध्यक्ष दनियल करते हैं जिन्हें मैं अपने भ्रातृत्व प्रेम में याद करता हूँ। “ग्रीक” और “लातीनी” दोनों काथलिक समुदाय अपने में सक्रिया और सजीव हैं। सभी ख्रीस्तीय समुदाय के बीच का संबंध, यद्यपि अपने में पूर्ण नहीं है, फिर भी वे अपने को एक ही बपतिस्मा से प्रोषित पाते जो दुःखभोग और ख्रीस्त के लोहू से अंकित है जिन्हें विशेषकर पिछले दशक नास्तिक शासनकाल के अंधकारमय समय में घोर सतावट का सामना करना पड़ा। संत पापा ने कहा कि वहाँ एक लुथरन समुदाय भी है जो येसु ख्रीस्त में अपने विश्वास को अभिव्यक्त करते हुए आर्थोडॉक्स और काथलिक कलीसियों के संग अच्छे संबंध में जीवनयापन करता है।

मेल-मिलाप में साथ लाने की आशा

प्राधिधर्माध्यक्ष और संत पेत्रुस के सिहांसन के अधिकारी स्वरुप, रोमानिया अर्थोडॉक्स कलीसियाई अधिकारियों संग हमारी बैठक बहुत ही मित्रता पूर्ण रही जहाँ मैंने काथलिक कलीसिया के विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि हम अतीत की बातों का मेल-मिलाप करते हुए पूर्ण एकता में साथ चलने की इच्छा रखते हैं जिसे रोमानिया के लोगों ने संत पापा योहन पौलुस द्वितीय की प्रेरितिक यात्रा के दौरान घोषित किया था। यह महत्वपूर्ण अन्तरकलीसियाई आयाम इस प्रेरितिक यात्रा की चरमसीमा पर तब पहुंची जब हमने बुखारेस्ट के आर्थोडॉक्स महागिरजाघर में एक साथ मिल कर “हे पिता हमारे” प्रार्थना का पाठ किया। यह हमारे लिए एक आपसी एकता के मूल्य की एक गहरी निशानी थी क्योंकि “हे पिता हमारे” की प्रार्थना अपने आप में वह प्रार्थना है जो बपतिस्मा प्राप्त लोगों के रुप में हम सभों के लिए सर्वश्रेष्ठ निधि है। संत पापा ने कहा कि हममें को भी “मेरे पिता” और “तुम्हारे पिता” नहीं कह सकते हैं बल्कि बपतिस्मा प्राप्त ईश प्रज्ञा के रुप में हम सभी “हमारे पिता” कह कर उच्चरित करते हैं। हमने इस बात को निरूपित किया है कि एकता हमारी वैध विविधता को नष्ट नहीं करती है। पवित्र आत्मा हमें ईश्वर की संतान और भाई-बहनों के रुप में और अधिक एकता में जीवनयापन करने हेतु प्रेरित करे।

रोमानिया के कार्याक्रम

काथलिक समुदाय के रूप में हमने तीन ख्रीस्तयाग अर्पित किये। 31 मई को संत मरियम के अभ्यागमन पर्व के उपलक्ष्य में हमने बुखारेस्ट के महागिरजाघर में, माता मरियम की प्रतिमा जो कलीसियाई विश्वास और करूणा की यात्रा का संदेश देती है, मिस्सा बलिदान अर्पित किया। दूसरा मिस्सा हमने मरियम के तीर्थ सुमुलेयु सियुक में अर्पित किया जहां बहुत से तीर्थयात्री जमा होते हैं। ईश्वर की माता ने वहाँ विभिन्न स्थानों से विश्वासियों को एकत्रित किया जो कई भाषा-भाषी, संस्कृति और रिवाजों के थे। ब्लाज जो रोमानिया में ग्रीक-काथलिक कलीसिया का केन्द्र है हमने दिव्य धर्मविधि का अनुष्ठान करते हुए सात ग्रीक काथलिक शहीद धर्माध्यक्षों को धन्य घोषित किया जिन्होंने सुसमाचार के मूल्यों स्वतंत्रता और दया का साक्ष्य देते हुए अपने प्राणों की आहूति दी। नये धन्य घोषित में से एक धर्माध्यक्ष इलियु होसु ने अपने कैदखाने की जिन्दगी के दौरान लिखा, “ईश्वर ने हमें इस दुःख के इस अंधकार में भेजा है जिससे हम क्षमा  का संदेश देते हुए सभों के मनफिराव हेतु प्रार्थना कर सकें।” प्रताड़ना की उस परिस्थिति जहाँ उन्हें घोर दुःख सहना पड़ा उनके ये वाक्य हमें करूणा का साक्ष्य देते हैं।

युवाओं से मिलन सुखद अनुभूति

लासी एक प्राचीन शहर, जो पूर्व और पश्चिम की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है, उत्साह और जोश में युवाओं और उनके परिवारों से मिलन अपने में एक सुखद अनुभूति रही। यह वह स्थल है जो हमें खुले मार्ग में एक साथ चलने हेतु निमंत्रण देता है जहाँ हम अपनी विविधता की समृद्धि में जो स्वतंत्रता की हमारी जड़ों को नहीं काटता वरन हमें सृजनात्मक बनने का आहृवान करता है। इस मिलन की विषयवस्तु मरियम के गुणों पर आधारित थी जहाँ हमने अपने युवाओं और उनके परिवारों को ईश्वर की माता के हाथों में सुपुर्द किया।

मेरी प्रेरितिक यात्रा का अंतिम पड़ाव ब्लाज में यायावर समुदाय के लोगों से मिलना था। उस शहर में उनकी संख्या बहुत अधिक है और यही कारण था कि मैं उनसे मिलकर विभिन्न धर्मों, भाषाओं और जाति के लोगों के विरूद्ध हो रहें पक्षपात पर लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहता था।  

संत पापा ने कहा कि हम इस प्रेरितिक यात्रा हेतु ईश्वर का धन्यवाद अदा करते हैं। हम माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करते हैं कि यह तीर्थ रोमानिया और वहाँ की कलीसिया के लिए बहुतायत में फल उत्पन्न करें। 

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05 June 2019, 16:35