कलीसिया का निर्माण प्रेम की नींव पर, देवदूत प्रार्थना में पोप
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 29 जून 2019 (रेई)˸ उन्होंने संत पेत्रुस के बारे बतलाते हुए कहा कि येसु ने उनके नाम पेत्रुस (चट्टान) के अनुरूप जिम्मेदारी देने की बात करते हुए कहा था कि तुम पेत्रुस अर्थात् चट्टान हो और इसी चट्टान पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊँगा। (मती.16:18) संत पापा ने कहा कि यह पहली बात थी जब येसु ने कलीसिया शब्द का उच्चारण किया था।
"अपनी कलीसिया"
संत पापा ने येसु के शब्दों "अपनी कलीसिया" पर प्रकाश डालते हुए कहा, "येसु कलीसिया का जिक्र किसी बाह्य वस्तु के रूप में नहीं बल्कि उसके प्रति अपने महान प्रेम को प्रकट करने को लिए करते हैं। वे इसे "अपनी कलीसिया" कहते हैं। इससे मालूम होता है कि वे कलीसिया (हम सभी) से संयुक्त हैं। संत पौलुस लिखते हैं कि ख्रीस्त कलीसिया से प्रेम करते हैं और इसके लिए उन्होंने अपना जीवन अर्पित कर दिया है। वे कहते हैं कि ख्रीस्त ने कलीसिया को अपनी दुल्हिन की तरह प्यार किया है। अतः ख्रीस्त के लिए हम कोई धार्मिक समुदाय अथवा संगठन नहीं हैं बल्कि उनकी दुल्हिन हैं। वे कलीसिया को स्नेह से देखते हैं और हमारी गलतियों एवं विश्वासघात के बावजूद अपनी पूर्ण निष्ठा से प्रेम करते हैं।
हम भी उनके समान बड़े प्रेम से कहें "मेरी कलीसिया"। अपने को दूसरों से अलग करने के लिए नहीं बल्कि दूसरों के साथ रहने की सुन्दरता को सीखने के लिए क्योंकि येसु चाहते हैं कि हम खुले एवं एकजुट बनें। संत पापा ने स्पष्ट किया कि कलीसिया को मेरी कहने का अर्थ यह नहीं है कि यह मेरी इच्छाओं को पूरा करती है बल्कि इसलिए कि मैं इससे प्रेम करता हूँ। यह मेरी है क्योंकि मैं प्रेरितों के समान इसकी देखभाल करता हूँ और भ्रातृ प्रेम के साथ इसे अपनाता हूँ।
एकता का कारण
संत पेत्रुस और पौलुस के जीवन की दूसरी प्रेरणाओं पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा कि उन्होंने एक-दूसरे का आलिंगन किया। वे दोनों बिल्कुल भिन्न थे, एक मछुवारा था और दूसरा फरीसी। उनके बीच कई विवाद हुए किन्तु जिस चीज ने उन्हें एक साथ बांधे रखा, वह सचमुच महान था। येसु ही उन दोनों के प्रभु थे। उन दोनों ने मेरी कलीसिया कहने वाले येसु को अपना प्रभु स्वीकार किया। वे विश्वास में एक-दूसरे के भाई थे। वे आज हमें निमंत्रण देते हैं कि हम कलीसिया में भाई और बहन होने की खुशी की खोज करें। यह महापर्व जो विभिन्न प्रेरितों को एक साथ लाता है हम एक दूसरे के गुणों की प्रशंसा कर सकें, ईर्ष्या किये बिना दूसरों की क्षमताओं को पहचान सकें। ईर्ष्या या डाह हमारे अंदर कड़वाहट उत्पन्न करती है। यह हृदय के अंदर सिरका के समान है जो जीवन को कटुता से भर देता है।
उन्होंने कहा कि यह जानना कितना अच्छा है कि हम एक-दूसरे के हैं क्योंकि हमारा विश्वास, भरोसा और प्रेम एक है और हमारे एक ही प्रभु हैं। हम एक-दूसरे के हैं यही कलीसिया का महान रहस्य है।
कलीसिया से प्रेम
येसु पेत्रुस से कहते हैं, मेरे मेमनों को चराओ। वे हमें अपना मेमना कहते हैं उसी स्नेह के साथ जिस स्नेह से उन्होंने "मेरी कलीसिया" कहा था। संत पापा ने कहा कि स्नेह ही है जिसके द्वारा कलीसिया का निर्माण होता है। संत पापा ने प्रेरित संत पेत्रुस एवं संत पौलुस की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करने का आह्वान किया कि हम अपनी कलीसिया से प्रेम करने की कृपा मांगे। हम उस दृष्टि की याचना करें जिसके द्वारा हम सभी लोगों को भाई बहन के रूप में देख सकें। ऐसे हृदय की याचना करें जो येसु के समान स्नेह के साथ दूसरों का स्वागत करना जानता है। उन लोगों के लिए प्रार्थना करें जो ऐसा नहीं सोच पाते हैं। माता मरियम ने प्रेरितों के बीच भाईचारा की भावना विकसित की तथा उनके साथ प्रार्थना की। वे कलीसिया में भाई-बहनों के रूप में हमारी देखभाल करें।
देवदूत प्रार्थना एवं प्रतिनिधिमंडल के प्रति अपना आभार
देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने सभी विश्वासियों का अभिवादन किया एवं पर्व की शुभकामनाएँ दीं।
उन्होंने कुस्तुनतुनिया के ग्रीक ऑर्थोडोक्स कलीसिया के प्रतिनिधिमंडल के प्रति अपना आभार प्रकट किया एवं ग्रीक ऑर्थोडोक्स कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष बर्थोलोमियो प्रथम को अपना भ्रातृपूर्ण हार्दिक अभिवादन प्रेषित किया।
संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया जो महाधर्माध्यक्षों को प्रदान किये जाने वाले पालियो पर आशीष प्रदान किये जाने के अवसर पर समारोह में भाग लिया।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here